मधु ने दिया नि:शक्त बच्चों को सहारा

आरामतलबी के दायरे से बाहर निकल समाज के शोषित-पीड़ित लोगों के लिए जीवन समर्पित करना कहने-सुनने में जितना आसान लगता है, हकीकत में उससे बिल्कुल अलग होता है. इसके लिए हौसला चाहिए, जो फैशन डिजाइनर मधु तुगैत में कूट-कूट कर भरा है. उन्होंने एक सफल उद्यमी के जीवन को पीछे छोड़ समाज सेवा की राह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 21, 2013 8:40 AM

आरामतलबी के दायरे से बाहर निकल समाज के शोषित-पीड़ित लोगों के लिए जीवन समर्पित करना कहने-सुनने में जितना आसान लगता है, हकीकत में उससे बिल्कुल अलग होता है. इसके लिए हौसला चाहिए, जो फैशन डिजाइनर मधु तुगैत में कूट-कूट कर भरा है. उन्होंने एक सफल उद्यमी के जीवन को पीछे छोड़ समाज सेवा की राह पर चलते हुए उन नि:शक्त बच्चों को अपनाया है, जो अनाथ हैं या जिन्हें माता-पिता ने किसी वजह से छोड़ दिया है. अपने बुटीक के सफल व्यवसाय को पूरी तरह अपने टेलर के हवाले कर चुकी मधु आज अपनी संस्था ‘इच्छा फाउंडेशन’ के जरिये इस काम में जुटी हैं.

कैसे शुरू हुआ सफर

उद्यमी होते हुए भी अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों की पहचान उन्हें शुरू से थी, लेकिन 1998 में उन्होंने इस दिशा में गंभीरता से सोचना शुरू किया. दरअसल, एक दिन उन्होंने एक मिर्गी से पीड़ित बच्चे को डूबने से बचाया. वह एकबारगी चौंक गयी, जब पता चला कि वह बच्चा अनाथ है. उस समय तो वह उस बच्चे के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर पायी, लेकिन यह ठान लिया कि कुछ अलग करना है. सात साल बाद एक स्थानीय चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़ीं और खादी का प्रचार-प्रसार करने लगीं. ट्रस्ट में ही उन्होंने एक प्रोडक्शन सेंटर शुरू किया और महिलाओं को एंब्रॉयडरी और डिजाइन बनाने का प्रशिक्षण देने लगीं.

आश्रय बनाने के लिए धन-संपत्ति बेचा

मधु अनाथ बच्चों के लिए एक ऐसा आश्रय स्थल बनाना चाहती थीं, जहां उनका हर तरह से ख्याल रखा जा सके, लेकिन इसके लिए उनके पास पैसे नहीं थे. पैसे इकट्ठा करने के लिए उन्होंने गहने बेच कर जमीन खरीदी और फिर पुणो के अपने फ्लैट को बेच कर इच्छा फाउंडेशन की नींव रखी.

सपना ले रहा आकार

विशाखापत्तनम से 50 किलोमीटर दूर कोंडाकार्ला गांव में एक एकड़ जमीन पर इच्छा फाउंडेशन आकार ले रहा है. घर के साथ ही यहां कलमकारी आर्ट और टेलरिंग सिखानेवाला केंद्र भी शुरू किया जायेगा, जिससे स्थानीय महिलाओं को जीविकोपार्जन का कौशल सिखाया जा सके.

पांच बच्चों की बनीं कानूनी पालक

मधु के साथ पांच नि:शक्त बच्चे रहते हैं. मधु ने इनमें से किसी को रेल की पटरी से उठाया है, तो किसी को सड़क पर से. साथ रहनेवाली अलका मधु को तब मिली थी, जब वह केवल दो दिन की थी. उसे एक दंपती ने गोद भी लिया थ़ा, लेकिन तीन दिन बाद ही लौटा दिया क्योंकि दंपती को पता चला कि उसके दिमाग का एक हिस्सा चोटिल है. भले ही मधु को भी इसे पालने में दिक्कतें आयीं, लेकिन उन्होंने इसे हंसी-खुशी पाला. फिलहाल इन बच्चों के पालन-पोषण में मधु को एक स्पेनी स्वयंसेवी और कुछ अन्य लोगों की मदद मिल रही है.

क्या है भविष्य की योजनाएं

नि:शक्त बच्चों के लिए वह एक ऐसा स्कूल बनाना चाहती हैं, जहां उन्हें आधुनिक तरीके से शिक्षा मिल सके. साथ ही, फाउंडेशन से जुड़ी महिलाओं द्वारा बनाये गये प्रोडक्ट्स की बिक्र ी के लिए एक सेंटर खुलवाना चाहती हैं. इसके अलावा, मधु अकेली मांओं, बेघर महिलाओं और असहाय बुजुर्गो के लिए भी आश्रय बनवाना चाहती हैं. मधु इसके लिए अपने परिवार को धन्यवाद कहती हैं, जिनके साथ और हौसले की बदौलत वह अपना सपना पूरा कर रही हैं.

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