युद्ध की मार झेल रही महिलाएं

जिस्मफरोशी के लिए भारत आ रही हैं अफगान औरतें सैयद नजाकत वह अपना नाम दिलजान बताती है. सुनहरे बाल और हरी आंखें. वह एक रात के 20,000 से 90,000 रुपये लेती है. हालांकि भारत में अब भी रूस और यूक्रेन की यौन कर्मियों का बोलबाला है, लेकिन दिलजान जैसी अफगान बालाओं ने उन्हें हाशिए पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 23, 2013 7:19 AM

जिस्मफरोशी के लिए भारत आ रही हैं अफगान औरतें

सैयद नजाकत

वह अपना नाम दिलजान बताती है. सुनहरे बाल और हरी आंखें. वह एक रात के 20,000 से 90,000 रुपये लेती है. हालांकि भारत में अब भी रूस और यूक्रेन की यौन कर्मियों का बोलबाला है, लेकिन दिलजान जैसी अफगान बालाओं ने उन्हें हाशिए पर धकेलना शुरू कर दिया है.

वह एक सीधी-सादी इस्लामपरस्त औरत थी, जो हिजाब पहनती थी और हर सुबह फज्र की नमाज पढ़ती थी. 2001 के युद्ध में उसके परिवार को कंधार से काबुल भागना पड़ा. वहां एक शख्स ने दिलजान का बलात्कार किया. बलात्कारी ने मुंह खोलने पर जान से मारने की धमकी दी. उसी महीने एक दूसरे शख्स ने भी बलात्कार किया, उसने भी ऐसी ही धमकी दी. 2011 में एक महिला ने उसे दिल्ली के एक बड़े होटल में वेटर के काम का प्रस्ताव दिया. वह उछल पड़ी. उस औरत ने दिलजान के लिए पासपोर्ट और वीजा का इंतजाम किया और एक विमान पर चढ़ा दिया. दिल्ली में बताया गया कि नौकरी अब नहीं है. इसके बाद वह जिस्मफरोशी के धंधे में आ गयी.

द वीक पत्रिका की खोजी रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे दर्जनों मामले हैं. अफगानिस्तान जिस्मफरोशी के लिए स्रोत और गंतव्य बनता जा रहा है. किसी को नहीं पता कि कितनी अफगान औरतें इस दलदल में धकेली गयी हैं. अमेरिका ने अफगानिस्तान को मानव तस्करी के मामले में ‘टीयर 2’ में रखा है. कई साल के युद्ध ने लाखों अफगानों को बेघर किया और इसके बाद ही मानव तस्करी भी बढ़ी. पुरानी गरीबी और औरतों के बदतर हालात ने उन्हें और मुश्किल में डाल दिया. दूसरा मामला अफगानिस्तान के भूगोल का है. वह छह पड़ोसियों से घिरा है, जिनमें ईरान, पाकिस्तान और ताजिकिस्तान भी हैं. इनमें से कई सीमाओं की निगरानी लगभग असंभव है, क्योंकि वहां पहाड़ों का जाल-सा बिछा है.

अफगान महिला ट्रेनिंग और विकास संस्थान की निदेशक पलवाशा साबूरी का कहना है कि हर साल सैकड़ों महिलाओं की तस्करी हो रही है. इसके बाद भी सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है. उनका दावा है कि पिछले दो साल में उनकी संस्था ने 319 औरतों और बच्चों को बचाया है. साबूरी का कहना है, ‘‘इनमें से ज्यादातर के साथ बुरी तरह यौन उत्पीड़न हुआ.’’

अफगान सरकार ऐसी औरतों के लिए शिविर चलाती है और फिलहाल आठ जगहों पर बलात्कार और तस्करी की शिकार 727 औरतों का पुनर्वास चल रहा है. साल 2007 में ऐसा पहला शिविर बनाया गया. जिन पीड़ितों को इन शिविरों में जगह नहीं मिल पाती है, उन्हें कई बार जेल में रखा जाता है. अफगान सरकार के महिला विभाग की निदेशक जकिया बरयालती कहती हैं- ‘‘हमारे पास पीड़ितों की पूरी फौज है.’’

अफगान औरतों की तस्करी के ज्यादातर रास्ते यूएइ जैसे अरब देशों, पाकिस्तान और ईरान से जुड़े हैं. भारत नया ठिकाना है. मानव तस्कर शादी, पढ़ाई और अच्छी जिंदगी का झांसा देते हैं. जब लड़की दिल्ली पहुंचती है, तो एजेंट फर्जी इश्तेहार देकर ग्राहक जुटाते हैं. ये इश्तेहार मालिश और एस्कॉर्ट सर्विस के नाम पर दिये जाते हैं. कुछ में तो यहां तक लिखा होता है कि ‘हॉट अफगान लड़कियां, जो आपकी संतुष्टि के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं.’

दिल्ली पुलिस कमिश्नर (अपराध) एसबीएस त्यागी का कहना है कि भारत में विदेशी यौनकर्मियों का प्रभाव बढ़ रहा है और हमने कई ऐसी लड़कियों को गिरफ्तार किया है. उन्होंने माना कि अफगान लड़कियां बाजार में नयी हैं. काबुल पुलिस (अपराध जांच) के प्रमुख जनरल मुहम्मद जाहिर ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी है कि अफगान औरतें भारत में पहुंच रही हैं, उन्हें धोखा दिया जा रहा है और उनके साथ बदसलूकी की जा रहा है. हमें इस बारे में नहीं पता कि उन्हें भारत कैसे ले जाया जा रहा है, लेकिन हम भारत में पुलिस से बात कर रहे हैं.

(द वीक की रिपोर्ट डायचे वेले से साभार)

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