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फ्रांस का इस्लामिक स्टेट को अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत में ले जाने का आह्वान

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने इसे एक सर्वाधिक भीषण विडम्बना करार दिया है कि आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट अपने सदस्यों की जातीय विविधताओं को स्वीकार करने में अधिक खुला रुख अपना रहा है जबकि कुछ देशों द्वारा अपने ही नागरिकों के साथ जातीय भेदभाव बरता जाना जारी है. मुस्लिम और अरब देशों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 28, 2015 10:22 AM

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने इसे एक सर्वाधिक भीषण विडम्बना करार दिया है कि आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट अपने सदस्यों की जातीय विविधताओं को स्वीकार करने में अधिक खुला रुख अपना रहा है जबकि कुछ देशों द्वारा अपने ही नागरिकों के साथ जातीय भेदभाव बरता जाना जारी है.

मुस्लिम और अरब देशों से पहले मानवाधिकार प्रमुख जीद राद अल-हुसैन ने कल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यह बात उस समय कही, जब फ्रांसिसी विदेश मंत्री लॉरेंट फैबियस ने सजातीय एवं धार्मिक आधार पर मध्यपूर्व में किए जाने वाले उत्पीडन के मुद्दे पर एक विशेष बैठक की अध्यक्षता की.

दोनों ने ही कहा कि सुरक्षा परिषद को इराक और सीरिया की स्थितियों के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत (आईसीसी) में उठाना चाहिए. फैबियस ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि इस्लामिक स्टेट को, आईसीसी के कठघरे में खडा किया जाना चाहिए. जीद ने इस्लामिक स्टेट समूह को ‘घृणित’ बताया लेकिन साथ ही उन्होंने मध्यपूर्व और अन्य उन देशों की आलोचना भी की,

जहां इन प्रताडनाओं, नागरिक समाज पर होने वाले हमलों को नजरअंदाज किया जाता है और फांसीवाद को विकसित होने दिया जाता है. उन्होंने कहा, ‘यदि हम जनसंहार शुरू होने के बाद ही अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर काम करते हैं तो हम पहले ही विफल हो जाते हैं.’इस्लामिक स्टेट ने पिछले एक साल में सीरिया और इराक के बडे हिस्सों पर कब्जा जमा लिया है और इसपर अंतरराष्ट्रीय सेना द्वारा जवाबी कार्रवाई भी की गई.

इस कार्रवाई में दोनों देशों में चरमपंथियों पर अमेरिका की ओर से किये गये हवाई हमले भी शामिल हैं. इस समूह ने इस्लामिक कानून का एक कडा रूप लागू किया है और अपने विरोधियों के सिर कलम किए हैं तथा नरसंहार को अंजाम दिया है. फैबियस ने कहा, ‘आम नागरिकों को हैरानी हो रही है कि जो इतने सारे देश एकसाथ मिलकर खुद को ‘संयुक्त राष्ट्र’ कहते हैं, वे अब तक आतंकवाद से निपटने में और इसके उन्मूलन में विफल कैसे रहे हैं?

फैबियस ने कहा कि इस्लामिक स्टेट समूह ने इराक और सीरिया दोनों में अवशेषों को नष्ट किया और पुरातत्व स्थलों पर लूटपाट भी की है. उन्होंने कहा कि ‘सांस्कृतिक संहार को मानवता के खिलाफ अपराधों के दायरे में शामिल किया जाना चाहिए.’ संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून ने भी परिषद से अपील की कि वह चार वर्षों से संघर्ष झेल रहे सीरिया में नागरिकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए.

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