क्या यही है नेताओं का गुड गवर्नेस?

चुनाव के समय देश के प्राय: सभी दल के नेताओं ने लोकतंत्र की रक्षा करने के नाम पर अपने वादे के साथ जनता से पूर्ण बहुमत मांगा था. देश की जनता ने भी उन पर भरोसा करके किसी एक दल को सत्ता सौंप दिया, लेकिन नेताओं ने चुनावी भाषणों में जनता से जो वादा किया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 1, 2015 4:01 AM
चुनाव के समय देश के प्राय: सभी दल के नेताओं ने लोकतंत्र की रक्षा करने के नाम पर अपने वादे के साथ जनता से पूर्ण बहुमत मांगा था. देश की जनता ने भी उन पर भरोसा करके किसी एक दल को सत्ता सौंप दिया, लेकिन नेताओं ने चुनावी भाषणों में जनता से जो वादा किया था, वह पूरा नहीं हो रहा है. राज्य में वादों के विपरीत कार्य किये जा रहे हैं. यहां समस्याएं यथावत पड़ी हुई हैं.
सरकार में शामिल लोगों को सबसे बड़ी जो समस्या नजर आयी, वह थी विधायकों का वेतन और भत्ता. सरकारी खजाने पर कुंडली मारे बैठे इन लोगों को जनता की चिंता नहीं है.
राज्य से शिक्षित बेरोजगार पलायन कर रहे हैं, पारा शिक्षकों के वेतन नहीं बढ़ाये जा रहे हैं और राज्य में गरीबी के कारण कुपोषण के शिकार लोग मौत के आगोश में समा रहे हैं, उसकी इन्हें चिंता नहीं है. तो क्या यही इनका गुड गवर्नेस है?
बाबू चंद साव, ई-मेल से

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