गीतांजलि बब्बर एक पहल जिंदगी की

दिल्ली के जीबी रोड में रहनेवाली सेक्स वर्कर्स और उनके बच्चों के लिए गीतांजलि बब्बर अपनेपन से भरा एक नाम है, जिसने उन्हें एक परिवार दिया है. यह परिवार उनमें एक बेहतर जिंदगी की ओर देखने की उम्मीद जगाने के लिए प्रयासरत है. पत्रकारिता में स्नातक और डेवलपमेंट कम्युनिकेशन में स्नातकोत्तर करने के बाद किसी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 25, 2013 8:16 AM

दिल्ली के जीबी रोड में रहनेवाली सेक्स वर्कर्स और उनके बच्चों के लिए गीतांजलि बब्बर अपनेपन से भरा एक नाम है, जिसने उन्हें एक परिवार दिया है. यह परिवार उनमें एक बेहतर जिंदगी की ओर देखने की उम्मीद जगाने के लिए प्रयासरत है.

पत्रकारिता में स्नातक और डेवलपमेंट कम्युनिकेशन में स्नातकोत्तर करने के बाद किसी के लिए भी अवसरों की कमी नहीं रहती. ऐसे में अगर कोई इस क्षेत्र में एक बेहतर कैरियर तलाशने की बजाय सेक्स वर्कर्स और उनके बच्चों की जिंदगी संवारने के रास्ते पर चल पड़े तो, एकबारगी यकीन नहीं होता. वह भी तब जब ऐसा करनेवाली एक 26 वर्षीय लड़की हो. आम युवाओं से एकदम अलहदा रास्ता चुननेवाली यह लड़की है गीतांजलि बब्बर.

दिन के उजाले में भी जिस इलाके से लोग अकसर कतरा कर निकल जाते हैं, गीतांजलि वहां जाकर, उन लोगों के लिए काम करती हैं, जो समाज में रहते हुए भी समाज से कटे हुए हैं. दिल्ली विवि से स्नातक और जामिया मिलिया से पीजी करने के दौरान गीतांजलि के पास भविष्य को लेकर स्पष्ट खाका नहीं था. छात्र जीवन से ही वह सामाजिक कार्यो से जुड़ी थीं. इसी क्रम में एक बार उन्हें नेशनल एड्स कंट्रोल सोसायटी के माध्यम से दिल्ली के जीबीरोड में काम करने का मौका मिला. पहली बार उन्होंने सेक्स वर्कर्स की जिंदगी को नजदीक से देखा. यही वह मोड़ था जब गीतांजलि के मन में इनके लिए ही कुछ बेहतर करने का विचार आया. जाननेवालों ने इससे असहमति जतायी, लेकिन माता-पिता साथ खड़े रहे. गीतांजलि ने ‘कट कथा’ नाम से संस्था की शुरुआत की. रितु मोनीदास, नरेंद्र पांडेय, सांची चंदना और अंकुश भारद्वाज जैसे सहयोगी मिले और कारवां चल पड़ा. अभी 40 वालिंटयर उनका साथ दे रहे हैं.

गीतांजलि कहती हैं,‘हमने यहां एक परिवार बनाया है. इसमें सेक्स वर्कर्स और उनके बच्चे पूरे दिल से शामिल हैं. हम उनके बच्चों को, शिक्षा से जोड़ते हैं. उनकी रुचियों के अनुसार उन्हें फोटोग्राफी, पेंटिग, रंगमंच, नृत्य का प्रशिक्षण देते हैं. महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई और हैंडमेड चीजें बनाना सिखाते हैं.’ वह आगे बताती हैं, इसके लिए उन्होंने सीधे किसी से आर्थिक सहयोग नहीं मांगा है. अपनी स्वेच्छा से लोग मदद करते हैं. शुरुआत में उन्हें स्कूल के लिए किसी ने जगह दे दी. वह जगह छिनी तो सेक्स वर्कर्स ने कोठों में जगह बना दी. फिलहाल कट-कथा जहां चल रहा है वहां पहले एक कोठा था, जिसे प्रशासन ने सील कर रखा था. कट-कथा परिवार की तरह काम करता है. इसमें सेक्स वर्कर्स की हर परेशानी चाहे वह स्वास्थ्य से जुड़ी हो या जिंदगी के किसी और पहलू से, सुलझायी जाती है.

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