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जमात नेता को फांसी देने के लिए बांग्लादेश को है अदालत के आदेश का इंतजार

ढाका : बांग्लादेश में 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ आजादी की लडाई में युद्ध अपराध के दोषी शीर्ष जमात नेता कमर-उज-जमां की फांसी को लेकर जेल प्राधिकारियों ने कहा कि वे मोहम्मद को फांसी देने के लिए तैयार है, लेकिन उन्हें अभी इस बाबत अदालत का आदेश प्राप्त करना है. ढाका सेंट्रल जेल के वरिष्ठ […]

ढाका : बांग्लादेश में 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ आजादी की लडाई में युद्ध अपराध के दोषी शीर्ष जमात नेता कमर-उज-जमां की फांसी को लेकर जेल प्राधिकारियों ने कहा कि वे मोहम्मद को फांसी देने के लिए तैयार है, लेकिन उन्हें अभी इस बाबत अदालत का आदेश प्राप्त करना है.
ढाका सेंट्रल जेल के वरिष्ठ अधीक्षक फरमान अली ने संवाददाताओं को बताया ‘हमें उसे फांसी देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के लिखित आदेश अभी प्राप्त करना है.’ फांसी देने से पहले हमें मौत की सजा पाए दोषी से पूछना होगा कि क्या वह राष्ट्रपति से क्षमादान मांगना चाहता है.
नाम न छापने की शर्त पर जेल अधिकारियों ने हालांकि कहा कि जल्लाद को तैयार रखा गया है और जेल के अंदर फांसी देने वाली जगह को तैयार कर लिया गया है ताकि दोषी को किसी भी वक्त फांसी दी जा सके. अटॉर्नी जनरल एम आलम ने जुगांतर समाचार पत्र को बताया कि शीर्ष अदालत मौत की सजा की समीक्षा करने वाली कमर-उज-जमां की याचिका को खारिज करने के बारे में अपना पूरा फैसला जारी कर सकती है.
उन्होंने कहा कि जब शीर्ष अदालत के न्यायाधीश ने पहले दिन यानी सोमवार को सुनवाई के बाद याचिका खारिज की थी तो वे उसी दिन आदेश जारी कर सकते थे, अब ऐसा लगता है कि वे अपना पूरा आदेश जारी करेंगे और फांसी देने के लिए आदेश की एक प्रति जेल भेजी जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने छह अप्रैल को कमर-उज-जमां की समीक्षा याचिका खारिज कर दी थी और फांसी से बचने के लिए उसके आखिरी कानूनी प्रयास को खत्म कर दिया था.
आलम ने कहा ‘अगर कमर-उज-जमां राष्ट्रपति से दया नहीं मांगता है या अगर राष्ट्रपति उसकी दया याचिका को खारिज कर देते हैं तो सरकार दोषी को फांसी देने के लिए कदम उठा सकती है.’
बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आइसीटी) ने मई 2013 में कमर-उज-जमां को 1971 के मुक्ति संग्राम में पाकिस्तानी सेना का सहयोग करके मानवता के खिलाफ अपराध करने के लिए मौत की सजा सुनाई थी.
कमर-उज-जमां को मेमनसिंह क्षेत्र में जनसंहार, हत्या, अपहरण, प्रताडित करना, बलात्कार, उत्पीडन और यातना के लिए उकसाने का दोषी पाया गया था. उसे उत्तरी शेरपुर में उनके गृहजिले के एक गांव में 164 लोगों की हत्या का दोषी पाया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल तीन नवंबर को उसकी मौत की सजा को बरकरार रखा था. हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने संपूर्ण फैसला 18 फरवरी को जारी किया था और इसे आईसीटी को भेज दिया था. आईसीटी ने इस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए मृत्यु वारंट जारी कर दिया था.
मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना और उनके बांग्ला भाषी सहयोगियों ने लगभग 30 लाख लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. अगर फैसले पर अमल किया जाता है तो 1971 के अपराधों में कमर-उज-जमां फांसी पाने वाला दूसरा जमात नेता होगा. इससे पहले कादर मुल्लाह को फांसी दी गई थी.

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