चीन-पाक के बीच हो सकता है 46 अरब डालर का करार
इस्लामाबाद : चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग आज पाकिस्तान की अपनी पहली सरकारी यात्रा पर यहां पहुंच रहे हैं. उनकी इस यात्रा में दोनों देशों के बीच 46 अरब डालर की महत्वाकांक्षी आर्थिक गलियारा परियोजना पर हस्ताक्षर किए जाने की संभावना है जिससे न केवल पकिस्तान की अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने में मदद मिलेगी बल्कि […]
इस्लामाबाद : चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग आज पाकिस्तान की अपनी पहली सरकारी यात्रा पर यहां पहुंच रहे हैं. उनकी इस यात्रा में दोनों देशों के बीच 46 अरब डालर की महत्वाकांक्षी आर्थिक गलियारा परियोजना पर हस्ताक्षर किए जाने की संभावना है जिससे न केवल पकिस्तान की अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने में मदद मिलेगी बल्कि भारत के पडोंस में कम्यूनिस्ट चीन के प्रभाव का विस्तार होगा.
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) चीन के अल्प विकसित पश्चिमी क्षेत्र को पाक अधिकृत कश्मीर के रास्ते पाकिस्तान के अरब सागर से जुडे ग्वादार बंदरगाह को सड़कों, रेलवे, व्यावसायिक पट्टियों, ऊर्जा योजनाओं और पेट्रोलियम पाइपलाइनों के मिश्रित नेटवर्क से जोडा जाना है.
शी के पाकिस्तानी वायु क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद दोनों देशों द्वारा संयुक्त रुप से विनिर्मित आठ जेएफ-17 थंडर लडाकू विमानों की एक टुकडी उनके विमान की सुरक्षा में उसके साथ उडेगी।.
शी का पाकिस्तान में शानदार स्वागत किये जाने की तैयारियां हैं. चीनी राष्ट्रपति ने 2015 में अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए पाकिस्तान को चुना है. उनका यहां पहले आने का कार्यक्रम रद्द हो गया था.
पाकिस्तान के योजना एवं विकास मंत्री अहसान इकबाल ने कहा कि सीपीईसी परियोजना की कुल लागत 46 अरब डालर है. उन्होंने कहा, यह सिर्फ एक परियोजना नहीं है बल्कि इसमें ऊर्जा उत्पादन, बुनियादी ढांचा विकास और कारोबारी क्षेत्र से जुडी कई परियोजनाएं शामिल हैं. शुरुआत में ध्यान बिजली पर रहेगा और कुछ परियोजनाएं तीन साल में तैयार हो जाएंगी और करीब 10,400 मेगावाट बिजली का उत्पादन करेंगी.
शी पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन से मिलेंगे जो उनके सम्मान में भोज का आयोजन करेंगे. उन्हें पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान – निशान-ए-पाकिस्तान – से सम्मानित किया जाएगा. प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, शी से वार्ता करेंगे और उसके बाद दोनों देशों में विभिन्न समझौते पर हस्ताक्षर किए जायेंगे. शी चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के महासचिव भी हैं.
अहसान ने कहा कि 28 अरब डालर की परियोजना तैयार है और इनमें से कुछ परियोजनाओं के काम की शुरुआत की भी औपचारिकता हो सकती है. सीपीईसी से बडे आर्थिक बदलाव की उम्मीद है.
चीन ने अपने अशांत मुस्लिम बहुल शिचियांग प्रांत और पाकिस्तान में तालिबान के खतरे के बावजूद इस महत्वाकांक्षी परियोजना को आगे बढाने का फैसला किया है.
इस गलियारे को 1979 के काराकोरम राजमार्ग के बाद दोनों देशों के बीच सबसे बडी संपर्क परियोजना करार दिया जा रहा है. यह पश्चिम एशिया से तेल -गैस आयात का मार्ग छोटा हासिल करने की चीन की महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है.
चीन ने पाक अधिकृत कश्मीर के जरिए इस 3,000 किलोमीटर के गलियारे के निर्माण पर भारत की चिंता को दरकिनार करते हुए कहा कि यह वाणिज्यिक परियोजना है.