अपहृत के घर मातम का माहौल
चकाई . झाझा से अपहृत मुंशी तथा चकाई थाना क्षेत्र के बेजा गांव निवासी पे्रम सागर चौधरी के घर में पिछले तीन दिनों से मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है. मां बिजली देवी, पिता मोहन चौधरी एवं पत्नी उषा सहित घर के अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है. मां एवं पत्नी की आंखें […]
चकाई . झाझा से अपहृत मुंशी तथा चकाई थाना क्षेत्र के बेजा गांव निवासी पे्रम सागर चौधरी के घर में पिछले तीन दिनों से मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है. मां बिजली देवी, पिता मोहन चौधरी एवं पत्नी उषा सहित घर के अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है. मां एवं पत्नी की आंखें एक टक दरवाजे की और निहारती रहती है. हर आहट पर सभी चौंक कर खड़ा हो जाते है कि कही उनका प्रिय पे्रम सागर तो अपराधियों के चंगुल से छूट कर घर नहीं लौट आया. वही अपहृत के पिता मोहन चौधरी ने सुबकते हुए बताया कि हमलोग तो अपने आपको समझा लेते है. मगर अपहृत के तीन वर्षीय एक मात्र पुत्र दिलखुश जब पापा को खोजता हैं तो हमलोगों का कलेजा फटने लगता है. इस मासूम को क्या कहें तीन दिन से हमारे घर चूल्हा नहीं जला है. किसी तरह पड़ोसी अपने घर से भोजन लाकर बच्चो को खिला रहे है. पता नहीं मेरे बेटे का क्या होगा. मेरे बुढ़ापे के लाठी का सहारा वही तो है.