काठमांडू : नेपाल में भूकंप की महातबाही के बीच कुछ अच्छी खबरें भी सामने आ रही हैं, जो उम्मीद जगाती हैं. 36 घंटे बाद मलबे से जीवित निकाली गयी सुनीता शिटौला से यही साबित होती है. सुनीता ने कहा, ‘मैं जीवन की आस छोड़ चुकी थी, लेकिन हिम्मत नहीं हारी थी. जब भी आस पास कोई आवाज होती, तो मैं मदद की गुहार लगाती. जब भूकंप आया, तो काठमांडू के वसुंधरा इलाके में स्थित बिल्डिंग में वह किचन में काम कर रही थी.
बेटा और पति भूकंप आते ही घर से बाहर निकलने में कामयाब रहे थे, लेकिन सुनीता मलबे में दब गयीं. सुनीता लगातार आवाज लगाती रहीं, लेकिन उनकी आवाज बाहर नहीं आ रही थी.’ काठमांडू में शनिवार दोपहर को पांच मंजिला बिल्डिंग के गिर जाने से सुनीता मलबे में दब गयी थीं. उन्हें मंगलवार की सुबह जिंदा निकाला गया. करीब 40 घंटे बिना खाना-पानी के रह कर भी सुनीता सकुशल बाहर निकली हैं. भूख-प्यास से आकुल सुनीता की आंखों में खुशी के आंसू छलक आये.
वह मेरे लिए सब कुछ थी
अपने घर के मलबे से 14 साल की बेटी का शव निकाले जाने पर दयाराम मोहत बेसुध फर्श पर गिर पड़ा. नेपाली पुलिस बचावकर्मियों ने इस लड़की का शव निकाला. दयाराम ने कुछ देर बाद सुबकते हुए कहा, ‘वह मेरे लिये सब कुछ थी, उसने कुछ भी गलत नहीं किया.’ उसका परिवार काठमांडू के घनी आबादी वाले बालाजू इलाके में रहता था, जो शनिवार को घर में थे, जब भूकंप आया था. उस समय वह किसी काम से घर से दूर था, घर के ज्यादातर लोग भी भूकंप आने पर जल्द भागने में सफल रहे थे. बाद में परिवार के लोगों ने महसूस किया कि प्रसमास अपनी चाची के साथ लापता है. दरअसल, ये दोनों घर से बाहर नहीं निकल सके. लड़की के पिता ने बताया कि यह सब बहुत जल्दी हुआ. हम दो दिन तक उनके नाम चिल्लाते रहे, लेकिन मलबे में नहीं घुस पा रहे थे.