16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

देश के 38 शहरों में भूकंप से भारी तबाही का खतरा

नयी दिल्ली : नेपाल में भूकंप के बीच विशेषज्ञों ने मंगलवार को आगाह किया कि भूकंप के मामूली झटके भी दिल्ली जैसे भारतीय शहरों में भारी तबाही आ सकती है. दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता सहित 38 शहर सामान्य से लेकर उच्च श्रेणी के भूकंप संभावित क्षेत्र में आते हैं. दिल्ली मेट्रो जैसे कुछ प्रोजेक्ट […]

नयी दिल्ली : नेपाल में भूकंप के बीच विशेषज्ञों ने मंगलवार को आगाह किया कि भूकंप के मामूली झटके भी दिल्ली जैसे भारतीय शहरों में भारी तबाही आ सकती है. दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता सहित 38 शहर सामान्य से लेकर उच्च श्रेणी के भूकंप संभावित क्षेत्र में आते हैं. दिल्ली मेट्रो जैसे कुछ प्रोजेक्ट को छोड़ कर शहरों की अधिकांश संरचना तेज भूकंप को ङोलने में सक्षम नहीं है. ऐसे में इन शहरों में भूकंप आने पर बड़ी तबाही हो सकती है. एनडीएमए के उपाध्यक्ष शशिधर रेड्डी ने बताया कि भारतीय भूमि का 58.6 प्रतिशत भाग भूकंप से अतिसंवेदनशील है. देश के 38 शहर सामान्य से लेकर उच्च श्रेणी के भूकंप संभावित क्षेत्र में आते हैं.

भवनों की गुणवत्ता खराब

दूसरी तरफ ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट’ (सीएसइ ) ने भारतीय भवनों की हालत और गुणवत्ता के खराब होने का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में भूकंप के बिना ही कई इमारतों के गिरने की घटनाएं होती हैं और दिल्ली में 70-80 फीसदी भवनों में नियमन का उल्लंघन हुआ है. सीएसइ के वरिष्ठ शोधकर्ता अविकल सोमवंशी ने कहा, ‘विशेषज्ञों का अनुमान है कि मामूली तीव्रता के भूकंप से भी भारत खासकर दिल्ली जैसे बड़े शहरों में जानमाल का भारी नुकसान हो सकता है. दिल्ली में 90 फीसदी भवनों का निर्माण राजगीरों अथवा कांट्रेक्टर द्वारा किया गया है. नये बने मकानों में भी कभी कभार ही राष्ट्रीय भवन संहिता-2015, दिल्ली के मास्टर प्लान-2021, भवनों से संबंधित कानूनों का पालन किया जाता है.

भूकंप रोधी मकानों की बाध्यता नहीं

भारतीय मानक ब्यूरो ने 1962 में पहली बार भूकंप रोधी डिजाइन के लिए भारतीय मानक शर्त का प्रकाशन किया था, जिसमें ताजा संशोधन-2005 में किया गया है. सिफारिश के मुताबिक, देश के कम ही मकान बने हुए हैं. ये मानक बाध्यकारी नहीं है. इसलिए किसी को पता नहीं है कि भूकंप-रोधी आवासीय मकान बनाने के लिए कोई दिशा-निर्देश है. दिल्ली मेट्रो का स्ट्रक्चर भूकंप ङोलने में सक्षम है. भुज में 2001 का भूकंप आने के बाद बने मकान इस मानक पर आधारित हैं.

अतिसंवेदनशील शहर

दिल्ली, चेन्नई, पुणो, ग्रेटर मुंबई, कोच्चि, गुवाहाटी, सिल्चर, कोलकाता, तिरु वनंतपुरम, पटना, सीमावर्ती बिहार व उत्तर प्रदेश, अहमदाबाद और देहरादून जैसे कुछ ऐसे शहर हैं, जो भूकंप से अतिसंवेदनशील हैं.

60 फीसदी हिस्से में आ सकता है भूकंप

भारत अब भी एशिया की मुख्य भूमि पर सालाना 5 सेंटीमीटर की दर से दबाव डाल रहा है. हाल में सबसे बड़ा भूकंप 2005 में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आया था, जो भारत और यूरेशियाई पट्टी के टकराव के शीर्ष पर स्थित है. इस भूकंप में करीब 80 हजार लोग मारे गये थे. भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर की ओर पड़ने वाले दबाव के कारण देश का 60 फीसदी हिस्सा भूकंप की चपेट में आ सकता है. गुजरात में 2001 में आये भूकंप में करीब 20 हजार लोग मारे गये थे. इसके बाद 2004 में सुनामी इसलिए पैदा हुई थी, क्योंकि भारतीय पट्टी और बर्मा पट्टी का जोरदार घर्षण हुआ था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें