वाशिंगटन : वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि नेपाल में आगामी सप्ताह के दौरान भू-स्खलन और कीचड़ युक्त जमीन धसकने का भीषण खतरा है. इस बार गर्मी के दिनों में मॉनसून आने पर इसका खतरा और बढ़ जायेगा. मिशीगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के मुताबिक, भू-स्खलन या कीचड़ युक्त जमीन धसकने का खतरा जिन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा है, उसमें नेपाल-तिब्बत सीमा, उत्तरी काठमांडू और माउंट एवरेस्ट के पश्चिम में इसका सबसे ज्यादा खतरा रहेगा.
विश्वविद्यालय में पृथ्वी की परतों और इसकी संरचनाओं पर काम कर रहे जियो-मॉरफोलॉजिस्ट मरीन क्लर्क, उनके दो सहयोगियों ने नेपाल में 7.9 तीव्रता के भूकंप के बाद भू-स्खलन के खतरे का आकलन किया.
नेपाल के पीएम को मोदी के ट्वीट से भूकंप का पता चला
काठमांडू. आपको सुन कर भले अचरज लगे, लेकिन सच यही है कि नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला को अपने देश में भूकंप की सूचना भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्वीट से मिली थी. कोइराला को ही नहीं, उनके विदेश मंत्री महेंद्र बहादुर पांडेय को भी ऐसे ही जानकारी मिली. महेंद्र बहादुर ने मंगलवार को यह रहस्योद्घाटन किया. पांडेय ने भूकंप से उबरने में मदद के लिए भारत को धन्यवाद दिया है.
अब तक भूकंप की भविष्यवाणी की तकनीक का विकास नहीं : सरकार
नयी दिल्ली : नेपाल और भारत के कुछ हिस्सों में भूकंप की त्रसदी के बीच सरकार ने बुधवार को बताया कि भारत ही नहीं, दुनिया में कहीं भी भूकंप की भविष्यवाणी के लिए कोई तकनीक या प्रौद्योगिकी का विकास नहीं हुआ है. भूकंप के बारे में विभिन्न वर्गो द्वारा यह चिंता व्यक्त की गयी थी कि क्या भूकंप की भविष्यवाणी की जा सकती है. लोकसभा में राहुल शेवाले और श्रीकांत एकनाथ शिंदे के पूरक प्रश्न के उत्तर में अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा एवं प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत दुनिया में अग्रणी देशों में शामिल है, लेकिन भूकंप की भविष्यवाणी के लिए भारत ही नहीं, दुनिया में कहीं भी कोई प्रौद्योगिकी विकसित नहीं हुई है. इस दिशा में दुनिया भर में कार्य चल रहा है. सिंह ने कहा कि भूकंप के संदर्भ में हम इतना कर सकते हैं कि जैसे ही हमें भूकंप की सूचना मिलती है. पिछले चित्रों को लेकर तुलना करते हैं और इसके प्रभाववाले क्षेत्र के बारे में बताते हैं.
मूत्र से बुझायी प्यास
ऋषि खनल को भूकंप के 84 घंटे बाद मलबे से जीवित निकाला गया. इस 84 घंटे की उसकी दास्तां सुन कर लोगों के रोंगटे खड़े हो गये. ऋषि ने बताया कि उसके बचने की कोई उम्मीद नहीं थी. खाने-पीने को उसके पास कुछ नहीं था. प्यास बुझाने के लिए मजबूरन उसे अपना मूत्र पीना पड़ा. काठमांडू के गोंगबू इलाके में स्थित सात मंजिला होटल के मलबे से 10 घंटे के बाद नेपाल के सशस्त्र प्रहरी बल, फ्रेंच बचाव दल ने उसे निकाला. वह बेहतर महसूस कर रहा है और राहत एवं बचाव दल का आभार व्यक्त कर रहा है.