यमन से दूरी बनाए रखने के पाकिस्तान के निर्णय से सऊदी अरब निराश

इस्लामाबाद : सऊदी अरब यमन में सैन्य बल नहीं भेजने और वहां बढते संकट से खुद को अलग रखने के पाकिस्तान के निर्णय के नाखुश है.सऊदी अरब के राजदूत जसीम बिन मोहम्मद अल खालिदी ने यह बात कही. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अल खालिदी के हवाले से कहा, यदि हम पाकिस्तान के साथ भी संकट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 30, 2015 2:46 PM
इस्लामाबाद : सऊदी अरब यमन में सैन्य बल नहीं भेजने और वहां बढते संकट से खुद को अलग रखने के पाकिस्तान के निर्णय के नाखुश है.सऊदी अरब के राजदूत जसीम बिन मोहम्मद अल खालिदी ने यह बात कही.
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अल खालिदी के हवाले से कहा, यदि हम पाकिस्तान के साथ भी संकट के समय ऐसा ही करें तो पाकिस्तानियों को कैसा महसूस होगा. सऊदी अरब ने मार्च में हूथी विद्रोहियों के खिलाफ हमला शुरु किया था ताकि राष्ट्रपति मंसूर हादी की सरकार का शासन फिर से स्थापित किया जा सके.
यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तानी संसद के प्रस्ताव से सऊदी अरब निराश हुआ है, अल खालिदी ने कहा कि उनके देश को अब भी उम्मीद है कि पाकिस्तान गठबंधन में शामिल हो जाएगा, फिर भले ही वह पुनर्निर्माण और मानवीय कार्यों के लिए ही क्यों न ऐसा करे.
यमन अभियान के लिए सैन्य बल और सैन्य उपकरण भेजने के संबंध में पाकिस्तान की बेरुखी पर पहली बार सऊदी अरब के किसी अधिकारी ने सार्वजनिक रुप से नाखुशी जाहिर की है.
अल खालिदी ने कहा कि पाकिस्तान का समर्थन यमन के लोगों को यह संदेश भेजने के लिए महत्वपूर्ण है कि केवल अरब देश ही नहीं बल्कि शेष मुस्लिम दुनिया भी हादी की वैध सरकार के साथ एकजुटता दिखा रही है. हालांकि अल खालिदी ने यमन में जमीनी हमले शुरु किए जाने की संभावना से इनकार कर दिया.
उन्होंने कहा, यमन में अब हालात काबू में है और अधिकतर उद्देश्य हासिल कर लिए गए हैं. सऊदी अरब के साथ पाकिस्तान के संबंधों में उस समय तनाव पैदा हो गया था जब पाकिस्तान ने यमन में युद्ध में शामिल होने के प्रति अनिच्छा दिखाई थी.
इसके बाद स्थिति संभालने के लिए प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को सऊदी अरब जाना पडा था. उन्होंने वहां एक शक्तिशाली प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था जिसमें सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ भी शामिल थे.

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