काठमांडू : भूकंप से तबाह नेपाल में उस वक्त खुशी का एक विरल मौका आया, जब शक्तिशाली झटकों के आने के पांच दिन (करीब 120 घंटे) बाद 15 वर्षीय किशोर पेंबा को जिंदा निकाला गया. वह नुवाकोटा का रहनेवाला है. वह धूल से सना हुआ था. उसे अस्पताल ले जाया गया.
भूकंप के बाद राजधानी में सात मंजिली इमारत के मलबे से बचावकर्मियों ने जब पेंबा को बाहर निकाला, तो बड़ी संख्या में भीड़ ने उसका स्वागत किया. साथ ही पिछले 80 वर्षो के इस सबसे विध्वंसक भूकंप के बाद मलबे के ढेर से जीवित लोगों के निकालने की उम्मीद एक बार फिर जग गयी. इससे पहले चार महीने के एक बच्चे को भक्तपुर शहर में मलबे के ढेर से जीवित बाहर निकाला गया था.
भूकंप के झटकों ने एक बार फिर डराया
रिक्टर स्केल पर 3.9 व 4.7 की तीव्रतावाले तीन झटकों से लोगों में गुरुवार को भी घबराहट दिखी और अपने गांवों को जाने के लिए वे बेसब्री से बसों का इंतजार करते देखे गये. बचावकर्मी अब भी सुदूर पहाड़ी इलाकों में पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जहां भारी बारिश और भूस्खलन के कारण बचाव कार्य बाधित हो रहा है.
बचाव कार्य की जद्दोजहद
अधिकारियों ने कहा है कि देश में सहायता हासिल करने और उसे सुदूरवर्ती क्षेत्रों में जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने में उन्हें कठिनाई आ रही हैं. देश के लोगों में क्रोध और निराशा बढ़ती जा रही है और लोगों को पुलिस से भिड़ते एवं भोजन-पानी की आपूर्ति के लिए लड़ते देखा जा रहा है. चूंकि, राहत व बचाव अभियान अब तक काठमांडू घाटी तक सीमित है, इसलिए दूसरे जिलों में बचाव अभियान के लिए प्रशिक्षित लोगों की सख्त जरूरत है.