काठमांडू : भूकंप की मार झेल रहे नेपाल से संयुक्त राष्ट्र ने कस्टम के नियमों में ढिलाई देने की अपील की है. प्राप्त जानकारी के अनुसार इस वजह से राहत सामग्री को देश के भीतरी इलाकों में भेज पाने में दिक्कत के साथ-साथ देरी भी हो रही है. इस संबंध में नेपाल सरकार के एक अधिकारी का कहना है कि अन्य देशों से भेजे जा रहे राहत सामग्रियों में बहुत सारे ऐसे सामान भी हैं जिसकी उपयोगिता नहीं है. वहीं दूसरी ओर नेपाल के कई हिस्सों में शनिवार को भूकंप के झटके फिर से आये जिससे भूस्खलन हुए जबकि पिछले शनिवार को आए विनाशकारी भूकंप में मरने वालों की संख्या 7,000 से अधिक हो गई. इन मृतकों में 19 भारतीय हैं.
लोगों में दहशत
इस बीच कई भूकंप प्रभावित इलाकों तक राहत न पहुंच पाने पर लोगों का गुस्सा तेज हो गया. शनिवार को 5.1 तीव्रता का भूकंप आया जिसका केंद्र गोरखा जिले का बरपाक गांव था. यह गांव पिछले शनिवार के विनाशकारी भूकंप के केंद्र के समीप ही है. पिछले शनिवार को 7.9 तीव्रता का भूकंप आया था और भयंकर तबाही हुई थी. इस शनिवार के भूकंप से एक महिला घायल हो गयी. उस भूकंप के बाद 4.5 की तीव्रता के झटके आए. इससे लोगों में दहशत फैल गयी. भूकंप के बाद के दूसरे झटकों से जगह जगह भूस्खलन हुआ जिससे भूकंप प्रभावित लोगों की मुश्किलें और बढ गयीं. कई लोग खुले में रहने को बाध्य हैं. यहां सिंधुपालचौक और कावरे जिले के बीच डोलाघाट में बडा भूस्खलन हुआ. एक पुलिस अधिकारी ने कहा, अबतक किसी के भी घायल होने की खबर नहीं है. नेपाल के गृह मंत्रालय ने बताया कि देश में अस्सी साल से भी अधिक समय बाद आए सबसे भयंकर भूकंप के कारण मृतकों की संख्या बढकर 7,040 से अधिक हो गई है जबकि 14,100 अन्य लोग घायल हुए हैं. सरकार इस महाविपदा से निबटने में जुटी है.
मलबे में दबे शव अब तक निकाले जा रहे हैं
नेपाल मेंहताहतों की संख्या बढने की आशंका है क्योंकि कई इलाकों में मलबे में दबे शव अब तक निकाले जा रहे हैं. यहां स्थित भारतीय दूतावास के प्रवक्ता अभय कुमार ने बताया नेपाल में आए भूकंप में 19 भारतीय भी मारे गए हैं. बहरहाल नेपाल पुलिस ने कहा कि त्रसदी में मारे गए 54 विदेशियों में 38 भारतीय भी हैं. वरिष्ठ एसएसपी धीरु बासन्यात ने कहा कि दो महिलाओं सहित 19 भारतीय लापता हैं. नेपाली मीडिया ने खबर दी है कि अरानिको राजमार्ग पर तातोपानी खंड में 16 शव बरामद किए गए हैं. समझा जाता है कि कुछ विदेशी भी मलबे में दफन हो गए. यहां गृहमंत्रलय महसूस करता है कि 25 अप्रैल के भूकंप में :मलबे में: और लोगों के जिंदा होने की संभावना नहीं है.
नाराज लोग सड़क पर
नेपाल के कई इलाकों में नाराज लोगों ने सडकों उतरकर प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि राहत सामग्री कालाबाजार में पहुंच रही है और आवश्यक वस्तुओं की कीमत बहुत बढ गयी है.काठमांडो घाटी के कई क्षेत्र जरुरी खाद्य सामग्री से अब भी वंचित हैं. इससे लोग प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन पर उतर आए. प्रदर्शनकारी निर्मल बिशी ने कहा कि खानेपीने की जो चीज 20 रुपये की है, वह अब 50 रुपए में उपलब्ध है. खाद्य एवं राहत सामग्री के वितरण में कोई पारदर्शिता नहीं है. फुलमाया लागून ने कहा कि उन्होंने हमें बस एक बोतल पानी दिया. लागून के परिवार में दस लोग हैं. कई हिस्सों में अबतक तिरपाल नहीं पहुंचा है. भूकंप के बाद बेरोजगार हो गए दिहाडी मजदूर दावा शेरपा ने दावा किया, केवल प्रशावशाली लोगों को ही राहत सामग्री मिलती है, बाकी का क्या?