सीखना शुरू तो जीतना शुरू
आजकल टीवी पर प्रसारित हो रहे ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के विज्ञापन में अमिताभ बान एक पंक्ति कहते हैं- सीखना बंद, तो जीतना बंद. सचमुच जिंदगी में सीखना बहुत जरूरी है. सीखने के लिए पढ़ना-लिखना जरूरी है. इसके लिए सबसे पहले जरूरी है- साक्षर होना. साक्षरता अधिकार और आधार है जिंदगी भर कुछ नया सीखने की. […]
आजकल टीवी पर प्रसारित हो रहे ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के विज्ञापन में अमिताभ बान एक पंक्ति कहते हैं- सीखना बंद, तो जीतना बंद. सचमुच जिंदगी में सीखना बहुत जरूरी है. सीखने के लिए पढ़ना-लिखना जरूरी है. इसके लिए सबसे पहले जरूरी है- साक्षर होना. साक्षरता अधिकार और आधार है जिंदगी भर कुछ नया सीखने की. साक्षरता के इसी महत्व को देखते हुए हर साल आठ सितंबर को ‘विश्व साक्षरता दिवस’ मनाया जाता है.
विश्व साक्षरता दिवस की शुरुआत
यूनेस्को (यूनाइटेड नेशन्स एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल ऑर्गेनाइजेशन) ने सबसे पहले 17 नवंबर 1965 को हर साल आठ सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने की घोषणा की थी. सबसे पहली बार 1966 में साक्षरता दिवस मनाया गया. इसका उद्देश्य विश्व भर में साक्षरता दर को सुधारना है. साक्षर होने का अर्थ सिर्फ अक्षर ज्ञान से ही नहीं है. इसका अर्थ लोगों को उनके अधिकारों व जरूरतों की जानकारी देकर सामाजिक विकास का आधार बनाना है. हर साल ‘विश्व साक्षरता दिवस’ एक थीम पर आधारित होता है. इस साल की थीम ‘21वीं सदी के लिए साक्षरता’ है. हर साल साक्षरता दिवस पर विश्व के सभी देशों की साक्षरता दर की सूची जारी की जाती है. साक्षरता मिशन से जुडे. संगठनों व लोगों को भी सम्मानित किया जाता है.