नेपाल भूकंप : मलबे के बीच जिंदगी की आस, 192 घंटे बाद जिंदा निकला 105 साल का बुजुर्ग
काठमांडू : नेपाल में आठ दिन पहले आये विनाशकारी भूकंप में मरनेवालों की संख्या रविवार को 7,200 पहुंच गयी है. मृतकों में 38 भारतीय शामिल हैं. हालांकि यह संख्या और ज्यादा हो सकती है. इस बीच चमत्कारिक तरीके से पर्वतीय गांव स्याउली के पास से दो पुरुषों व एक महिला को उनके घरों के मलबे […]
काठमांडू : नेपाल में आठ दिन पहले आये विनाशकारी भूकंप में मरनेवालों की संख्या रविवार को 7,200 पहुंच गयी है. मृतकों में 38 भारतीय शामिल हैं. हालांकि यह संख्या और ज्यादा हो सकती है. इस बीच चमत्कारिक तरीके से पर्वतीय गांव स्याउली के पास से दो पुरुषों व एक महिला को उनके घरों के मलबे से जिंदा निकाला गया.
नेपाल के वित्त मंत्री रामशरण महंत ने भी माना है कि जिस तरह से झटके रोजाना बढ़ रहे हैं , ऐसे में मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है. पुलिस ने मशहूर लांगतांग ट्रेकिंग क्षेत्र में छह विदेशियों समेत 51 लोगों के शव निकाले हैं. करीब 100 विदेशी अब भी इस क्षेत्र में फंसे हैं. इस बीच पूर्वी नेपाल में मकालू बेस कैंप से एक भारतीय समेत 12 पर्वतारोहियों को निकाला गया जो फंस गये थे.
व्यवस्था बहाल करे नेपाल
उधर, संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के प्रमुख वेलेरी आमोस ने कहा कि नेपाल की जिम्मेदारी है कि राहत सामग्री की आपूर्ति के लिए जल्दी से जल्दी सीमा शुल्क संबंधी मंजूरी दे. आमोस व यूरोपीय संघ के मानवीय सहायता व संकट प्रबंधन आयुक्त क्रिस्टस स्टाइलियानाइड्स ने प्रधानमंत्री सुशील कोइराला से मुलाकात की.
फिर आया झटका
रविवार को रिक्टर स्केल पर 4.3 तीव्रता के एक झटके सहित नये सिरे से भूकंप के झटके महसूस किये गये. इसके बाद लोग दहशत में खुले स्थानों की ओर दौड़े, पहाड़ से बर्फ की चट्टान दरकने से एक पूरा गांव बह गया. कई लोगों के मारे जाने की आशंका है.
सबसे ज्यादा नुकसान
देश में सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों को शक्तिशाली भूकंप से बहुत नुकसान हुआ है. अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियों ने राहत प्रयासों में व्यापक स्तर पर तेजी का आह्वान किया है. इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस का अनुमान है कि अकेले सिंधुपाल चौक में ही 40,000 मकान ध्वस्त हुए हैं.
यूनेस्को से गुहार
भूकंप से 200 से अधिक ऐतिहासिक स्मारक हिलने के बाद नुकसान का आकलन करने के लिए नेपाल ने यूनेस्को की मदद मांगी है. इन ऐतिहासिक स्मारकों में से अधिकतर के डिजाइन पुरातत्व विभाग के पास उपलब्ध हैं. विभाग के प्रमुख भेष नारायण दहल ने कहा है कि क्षतिग्रस्त ढांचों की मरम्मत और उनका पुराना स्वरूप लौटाने में 5 -7 साल का समय लगेगा.
192 घंटे बाद जिंदा निकला 105 साल का बुजुर्ग
भूकंप के आठ दिनों (192 घंटे) बाद देश के मध्य हिस्से में एक ध्वस्त इमारत के मलबे से 105 साल के एक व्यक्ति को जिंदा निकाला गया. नुवाकोट जिले में किमतांग ग्राम विकास समिति के फंचू घाले को नेपाल पुलिस की एक टीम ने उनके घर में मलबे के नीचे दबा पाया और उसे निकाल लिया गया. उन्हें त्रिशुल जिला अस्पताल में भरती कराया गया है.
श्रेय की होड़!
इस बीच खबर है कि विभिन्न देशों पर आपदा राहत काम पर फोकस को लेकर नेपाली आर्मी खफा है. कथित तौर पर सरकार से मांग कि है कि विदेशी बचाव दलों को वापस भेज दिया जाये, यहां की सेना बचा काम खुद देख लेगा. इस समय 15 से अधिक देशों के आपदा राहत नेपाल में बचाव कार्य में लगे हैं. इससे विकट स्थिति पैदा हो रही है.
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मेडिकल सहायता : अंतरराष्ट्रीय मदद का स्तर बढ़ने के साथ घरेलू व अंतरराष्ट्रीय आपात एजेंसियां तेजी से मेडिकल सहायता पहुंचाने का प्रयास कर रहीं हैं.
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