बनो आरटीआइ एक्टिविस्ट, खोलो पोल
मित्रो,जरा सोचिए, आप पंचायत से जिला और फिर राज्य से देश स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार के बारे में दिन भर में कितनी बार सोचते हैं? सरकारी तंत्र के भ्रष्टाचार के आप कितनी बार शिकार हुए? भ्रष्ट सरकारी व्यवस्था के बीच आप कभी घुटन महसूस करते हैं? अगर हां, तो आप इसके खिलाफ जंग छेड़ सकते […]
मित्रो,
जरा सोचिए, आप पंचायत से जिला और फिर राज्य से देश स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार के बारे में दिन भर में कितनी बार सोचते हैं? सरकारी तंत्र के भ्रष्टाचार के आप कितनी बार शिकार हुए? भ्रष्ट सरकारी व्यवस्था के बीच आप कभी घुटन महसूस करते हैं? अगर हां, तो आप इसके खिलाफ जंग छेड़ सकते हैं. सोचिए, सरकार आम आदमी के लिए. उसकी योजनाएं और उसके कार्यक्रम आम आदमी के लिए. अफसर से कर्मचारी और विधायक-सांसद से मंत्री तक, सब उसके लिए. फिर भी आम आदमी हाशिये पर! इसके लिए कौन जिम्मेवार है? आप ऐसे जिम्मेवार लोगों को पकड़ने के बारे में कभी सोचते हैं? कभी आप ने सोचा कि इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आपको भी लड़ना चाहिए? अगर नहीं सोचा है, तो सोचिए और अगर सोचा है, तो लड़ाई शुरू करिए. आपके लिए सूचना का अधिकार बड़ा हथियार है. इस हथियार से आप भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ सकते हैं.
आप भी आरटीआइ एक्टिविस्ट बन सकते हैं. आप अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल को जानते हैं. ये लोग भी आरटीआइ एक्टिविस्ट हैं. 2002 में महाराष्ट्र सरकार ने सूचना का अधिकार कानून बनाया. वह अन्ना हजारे के आंदोलन का ही नतीजा था. अभी देश में जो सूचना का अधिकार अधिनियम लागू है, उसका बड़ा आधार महाराष्ट्र का आरटीआइ कानून ही है. अरविंद केजरीवाल भारत सरकार की नौकरी में ऊंचे पद पर थे. उन्होंने नौकरी छोड़ दी और आरटीआइ एक्टिविस्ट बन गये. उन्हें इसी क्षेत्र में काम करने के लिए मैग्सेसे पुरस्कार मिला. आज वे क्या कर रहे हैं और कहां हैं. यह बात अलग है. देश भर में उनकी पहचान आरटीआइ से बनी, यह बड़ा सच है. आप भी आरटीआइ एक्टिविस्ट बन कर सरकार तंत्र में फैले उस भ्रष्टाचार को मिटाने में योगदान कर सकते हैं, जिसे दूर करने में देश के प्रधानमंत्री भी खुद को कमजोर महसूस करते हैं. आप कैसे बन सकते हैं आरटीआइ एक्टिविस्ट? इसके लिए क्या करना होगा? ऐसे सवाल अक्सर पंचायतनामा के पाठक पूछते हैं. इस बार हम इसी पर चर्चा कर रहे हैं.
आरटीआइ एक्टिविस्ट बनने के लिए किसी डिग्री की जरूरत नहीं है. इसके लिए पढ़ा-लिखा होना भी जरूरी नहीं है. आप अनपढ़ हैं, तो भी आरटीआइ एक्टिविस्ट बन सकते हैं और भ्रष्टाचारियों की नकेल कस सकते हैं. इसके लिए कोई लाइसेंस भी नहीं चाहिए. कोई संगठन बनाना भी जरूरी नहीं है. आपका काम ही आरटीआइ एक्टिविस्ट के रूप में आपको पहचान दिला देता है. यह भी जरूरी नहीं है कि आप सीधा केंद्र या राज्य सरकार से टकराने जायें. आप छोटे-छोटे मुद्दों को भी आरटीआइ का विषय बना सकते हैं. आपके मुहल्ले में कई दिनों से बिजली नहीं रहती है. बिजली का पोल जजर्र है. कब बिजली आपूर्ति काटी जायेगी, यह आपको नहीं मालूम. आपके मुहल्ले में जहां-तहां कचरों का ढेर है. नगर पर्षद या नगर निगम उसका उठाव नहीं करता है. पीडीएस डीलर समय पर दुकान नहीं खोलता. राशन कब आता है, कब बंट जाता है, आपको मालूम नहीं होता है, जबकि आप भी उसके लाभुक हैं. खाली थैली लेकर डीलर की दुकान से बार-बार लौटते हैं.
प्राइवेट बसों में पक्का टिकट देने की बजाय पुरजा थमा दिया जाता है. भाड़ा वही वसूलता जाता है, जो कंडक्टर बोलता है. किसी बस में भाड़ा तालिका नहीं है. फस्ट एड बॉक्स नहीं है. गांव का चापानल ठीक नहीं हुआ और मुखिया को इस मद में मिला फंड खत्म हो गया. इंदिरा आवास के दावेदार आप भी हैं, लेकिन आपसे ज्यादा अंक वाले को इसका लाभ दे दिया गया. आप दफ्तर का चक्कर काट रहे हैं. स्वास्थ्य केंद्र खुलता नहीं है. खुलता है, तो वहां डॉक्टर नहीं आते. दवा मिलती है. आंगनबाड़ी केंद्र में पोषाहार का वितरण सभी बच्चों के बीच नहीं होता. ऐसे हजारों मामले हैं, जिनसे आप हर रोज जूझते हैं. आप इन सभी मामलों में आरटीआइ का आवेदन डालें और व्यवस्था की पोल खोलें. सूचनाधिकार के रूप में आपको बड़ा हथियार मिला हुआ है. उसका खुल कर इस्तेमाल करें. जब आप उनकी पोल खोलेंगे, तभी वे सुधरेंगे.
एक्टिविस्ट बनने के लिए क्या करना होगा?
आरटीआइ एक्टिविस्ट बनने के कुछ खास नहीं करना है. कोई भी व्यक्ति, जो सरकारी तंत्र और सार्वजनिक क्षेत्र में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का जज्बा रखता है, आरटीआइ एक्टिविस्ट बन सकता है. जो मौजूदा व्यवस्था में बदलाव लाना चाहता है और जनहित में बड़ा काम करना करने की इच्छा रखता है, इस क्षेत्र में आ सकता है. गांव या शहर, कहीं भी रह कर यह काम किया जा सकता है. देश के कई हिस्सों में बच्चों ने भी यह काम किया है. उन्होंने भी सरकारी विभागों की गड़बड़ियों को उजागर करने तथा योजनाओं का लाभ आम लोगों तक पहुंचाने का रास्ता सुगम बनाने के लिए सूचना का अधिकार का इस्तेमाल किया है. अब, जब बच्चे आरटीआइ एक्टिविस्ट हो सकते हैं, तो आप क्यों नहीं? आप आज ही संकल्प लीजिए और बन जाइये आरटीआइ एक्टिविस्ट. खोलिए भ्रष्ट लोगों की पोल.
आरटीआइ एक्टिविस्ट के कुछ टिप्स
वैसे आरटीआइ एक्टिविस्ट बनने के लिए किसी औपचारिकता की जरूरत नहीं पड़ती है. अगर आप बीपीएल परिवार के हैं, तो सूचना शुल्क भी नहीं देना है. अगर बीपीएल परिवार के नहीं हैं, तो अपने आवदेन के साथ दस रुपया सूचना शुल्क के रूप में खर्च कीजिए. हां, बड़े स्तर पर काम करना हो, तो कुछ बातें जरूर तय कर सकते हैं :
संकल्प : आरटीआइ एक्टिविस्ट बनने के लिए आप खुद में संकल्प लें कि आप सरकार, सरकार के दफ्तरों और सरकारी धन से या सरकारी कानून के तहत चलने वाले संस्थानों के कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए संघर्ष करेंगे. आप किसी प्रकार के प्रलोभन या दबाव में आ कर अपने पांव पीछे नहीं खीचेंगे. जब आप बड़े मामलों को उजागर करने के लिए आरटीआइ का इस्तेमाल करेंगे, तब आपको धन का लालच देकर चुप कराने की कोशिश होगी. आप पर दबाव भी पड़ेगा कि आप अपना आरटीआइ आवेदन वापस ले लें या यह लिख दे दें कि आपको सूचना मिल गयी है. जैसा कि रीगा (सीतामढ़ी) प्रखंड के बसंतपुर गांव के उन्होंने मनरेगा के तहत अपनी पंचायत में किये गये पौधरोपण से जुड़ी सूचना मांगी. उन्हें 35 हजार रुपये जमा करने करने कहा गया. उन्होंने इसके खिलाफ राज्य सूचना आयोग में अपील की. इसकी सूचना मिलते ही बीडीओ उनके घर पहुंच गया. पंचायत सेवक से दबाव बनवाया और अंत में अपील वापस करा दिया. इस स्थिति के लिए आपको तैयार रहना होगा और खुद में निश्चय करना होगा कि आप ऐसी परिस्थितियों में अपने संकल्प को नहीं तोड़ेंगे.
लक्ष्य : आप अपना लक्ष्य तय कर सकते हैं कि आरटीआइ एक्टिविस्ट बन कर क्या करना है? व्यवस्था में किस तरह का बदलाव लाना है? किसे लाभ पहुंचाना चाहते हैं? आपका फोकस किस विषय पर होगा? आप एक -दो विषय पर भी स्वयं को केंद्रित कर सकते हैं. जैसे मजदूरों को उनका हक दिलाने के लिए आप मनरेगा पर खुद को केंद्रित कर सकते हैं. इसी तरह किसानों को लाभ दिलाने के लिए कृषि ऋण, कृषि उपकरण वितरण, खाद-बीज की खरीद और उनका वितरण, गव्य विकास, मत्स्यजीवी समाज के लिए सरकार की विकास योजना वगैरह को आप चुन सकते हैं. गव्य विकास की योजना के तहत कितने लोगों को गाय मिली? कहां हैं गायें? कितने फर्जी पशुपालकों को कागज पर ही गाय बांट दी गयी? ऐसे विषय को भी आप चुन सकते हैं. आप पीडीएस (जन वितरण प्रणाली), मध्याह्न् भोजन, शिक्षा आदि में भी सुधार के लिए आरटीआइ एक्टिविस्ट के रूप में काम कर सकते हैं.
समय : आपको इस कार्य के लिए थोड़ा समय देना होगा. जाहिर है कि जब बड़ी गड़बड़ियों को उजागर करेंगे और बड़े स्तर पर पारदर्शिता लाने की बात करेंगे, तो आरटीआइ का एक आवेदन डाल देने से कुछ नहीं होगा. आपको उसके पीछे लगना पड़ेगा. समय पर सूचना नहीं मिलने या आधी-अधूरी या गलत सूचना मिलने पर आपको उसके खिलाफ प्रथम अपील दायर करनी होगी. वहां से भी सूचना नहीं मिलने पर आपको राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील दायर करनी होगी. एक-एक विषय और एक-एक तथ्य पर पैनी नजर रखनी होगी. इसके लिए आपको समाज और राष्ट्र के हित में अपना थोड़ा समय देना होगा. इसके लिए यह जरूरी नहीं है कि आप हर दिन अपना काम छोड़ कर इसके पीछे पड़े रहें. वैसे भी एक्टिविस्ट होने के लिए आपको समाज के लिए थोड़ा समय तो निकालना ही होगा, चाहे आप किसी भी क्षेत्र में काम करें.
सिस्टम की जानकारी रखें : अगर आप बड़े पैमाने पर काम करना चाहते हैं, तो जिस विभाग या विषय पर काम करना हो, उसके सिस्टम के बारे में जानकारी जुटायें. जैसे, अगर आप किसानों के लिए काम करना चाहते हैं, तो आप किसानों के लिए या कृषि के क्षेत्र में सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी हासिल करें. विभाग में किस-किस स्तर के अधिकारी होते हैं? उनके पास क्या-क्या काम है? कैसे वे गड़बड़ी करते हैं या कर सकते हैं? जब आप उस सिस्टम को जानेंगे, तो उसमें व्याप्त भ्रष्टाचार को ज्यादा असरदार तरीके से उजागर कर पायेंगे. सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा-4 के तहत सभी सरकारी संस्थानों, स्वयं सेवी संस्थाओं और सार्वजनिक संगठनों को इस आशय का 17 बिंदुओं पर सूचना स्वयं जारी करनी है. आपको वहां से आसानी से जानकारी मिल जायेगी. आप इंटरनेट यूजर हैं, तो वहां भी बहुत सारी सूचनाएं उपलब्ध हैं. विभाग से जुड़े लोग भी आपको इसमें मदद कर सकते हैं. आप इसके लिए भी आरटीआइ का इस्तेमाल कर सकते हैं. जब आपको सिस्टम की जानकारी होगी, तब आप उसके भ्रष्टाचार को भी भेद सकेंगे. जैसा कि बोकारो (झारखंड) के विनय भारती ने फर्जी फॉरमासिस्ट के जरिये दवा दुकानों के संचालन के बड़े मामले को उजागर किया. इस मामले में झारखंड का स्वास्थ्य विभाग फंसा हुआ है. विनय भारती खुद फॉरमासिस्ट हैं. इसलिए इस गड़बड़ी की उन्हें गहरी जानकारी है.