लैला के बगल में दफन हुआ मजनूं

बगहा/हरनाटांड़ : पिछले चार माह से अपनी प्रेमिका (बंदरिया) के हत्यारे की तलाश में भटक रहे बंदर (लंगूर) की इलाज के दौरान मौत हो गयी. वह विगत 2 मई को अप सप्तक्रांति सुपर फास्ट के आगे छलांग लगा दिया था. प्रत्यक्षदर्शी एवं रेल कर्मी यह समझ बैठे की बंदर की मौत हो गयी. लेकिन वह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 5, 2015 7:30 AM
बगहा/हरनाटांड़ : पिछले चार माह से अपनी प्रेमिका (बंदरिया) के हत्यारे की तलाश में भटक रहे बंदर (लंगूर) की इलाज के दौरान मौत हो गयी. वह विगत 2 मई को अप सप्तक्रांति सुपर फास्ट के आगे छलांग लगा दिया था. प्रत्यक्षदर्शी एवं रेल कर्मी यह समझ बैठे की बंदर की मौत हो गयी. लेकिन वह जिंदा था. मदनपुर वन क्षेत्र कार्यालय में रविवार की देर शाम में उसकी मौत हो गयी. चिकित्सक डॉ. ज्ञानेंद्र ने बंदर का पास्टमार्टम किया.
उसके बाद उसे वन क्षेत्र कार्यालय के समीप जानवरों के लिए बने कब्रिस्तान में दफना दिया गया. वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के मदनपुर वन क्षेत्र के रेंजर सदन कुमार ने बताया कि बंदर गंभीर रूप में जख्मी था. उसका इलाज किया गया. लेकिन शरीर से खून अधिक मात्र में निकल गया था. इस वजह से उसे बचाया नहीं जा सका.
चिकित्सक डॉ. ज्ञानेंद्र ने बताया कि बंदर का दो पैर , पूंछ पूरी तरह से कट कर शरीर से अलग हो गया था. ऐसे में उसे बचाना मुश्किल था. मजनूं बंदर करीब 25 घंटे तक जिंदगी से लड़ता रहा. 2 मई शाम पांच बजे के आसपास दुर्घटना हुई और 3 मई की शाम 6 :20 बजे बंदर ने अंतिम सांसें ली.
दफनाया गया मजनूं
यह महज इत्तफाक ही था कि जब मजनूं बंदर को दफनाने के लिए कब्र खोदा गया तो वह कब्र लैला के समीप ही है. रविवार की देर शाम में रेंजर समेत अन्य वन कर्मी एवं चिकित्सक की मौजूदगी में मजनूं बंदर को दफनाया गया.
मजनूं बंदर के बगल वाले कब्र की ओर इशारा कर एक वन कर्मी ने बताया कि विगत 7 जनवरी को भपसा नदी के समीप मृत हालत में पायी गयी बंदरिया का कब्र वहीं है. मसलन, लैला और मजनूं दोनों का कब्र आसपास में हीं है. रेंजर ने बताया कि ऐसा जान बूझ कर नहीं किया गया. यह महज इत्तफाक है. मैंने एक वन कर्मी को कब्र खोदने के लिए कहा था उसने बंदरिया के कब्र के समीप ही उसका कब्र खोद दिया.

Next Article

Exit mobile version