त्रसदी का जीवंत दृश्य ‘तमस’

साहित्यिक कृतियों पर बनी हिंदी की अविस्मरणीय फिल्मों की बात करें, तो ‘तमस’ का जिक्र जरूरी हो जाता है. हाल ही में एक बार फिर हिस्ट्री टीवी-18 ने इस फिल्म की याद को ताजा किया. तकरीबन पांच घंटे की यह फिल्म वाया दूरदर्शन धारावाहिक के रूप में हम तक पहली बार पहुंची थी. ऐसे लोग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 8, 2013 9:12 AM

साहित्यिक कृतियों पर बनी हिंदी की अविस्मरणीय फिल्मों की बात करें, तो ‘तमस’ का जिक्र जरूरी हो जाता है. हाल ही में एक बार फिर हिस्ट्री टीवी-18 ने इस फिल्म की याद को ताजा किया. तकरीबन पांच घंटे की यह फिल्म वाया दूरदर्शन धारावाहिक के रूप में हम तक पहली बार पहुंची थी. ऐसे लोग जिन्होंने विभाजन से पहले फैले सांप्रदायिक उन्माद के सिर्फ किस्से सुने था, उन्होंने इस फिल्म के जरिये उस पीड़ा को गहराई से महसूस किया. भीष्म साहनी के उपन्यास ‘तमस’ को परदे पर उतार कर इस त्रसदी को गहरे असर के साथ लोगों के सामने रखनेवाले फिल्मकार हैं गोविंद निहलानी. विभाजन पर बनी अब तक की फिल्मों में एमएस सथ्यू की ‘गरम हवा’ के बाद ‘तमस’ को सबसे प्रभावशाली माना जाता है.

फिल्म में यह प्रभाव शायद इसलिए भी है क्योंकि 19 दिसंबर 1940 में अविभाजित भारत के कराची शहर में जन्मे निहलानी ने महज 7 साल की उम्र में विभाजन की विभिषिका को जिया था. इसलिए जब उन्हें एक किताब की दुकान में ‘तमस’ मिली, तो उन्होंने पढ़ कर खत्म करने से पहले ही तय कर लिया था कि एक दिन वे इस पर फिल्म बनायेंगे. निहलानी ने 1997 में महाश्वेता देवी के उपन्यास ‘हजार चौरासी की मां’ को भी प्रभावी ढंग से परदे पर साकार किया.

निहलानी के साथ बतौर फिल्म निर्देशक, निर्माता, स्क्रीनराइटर और सिनेमेटोग्राफर उल्लेखनीय फिल्में जुड़ी हैं. बेंगलुरु के पॉलिटेक्निक कॉलेज से सिनेमोटाग्राफी की पढ़ाई करने के बाद निहलानी ने प्रसिद्ध सिनेमेटोग्राफर वीके मूर्ति के असिस्टेंट के रूप में कैरियर शुरू किया. श्याम बेनेगल की ‘अंकुर’,‘निशांत’,‘मंथन’, ‘भूमिका’ और रिचर्ड एटनबरो की ‘गांधी’ में बतौर सहयोगी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. निहलानी की पहली निर्देशित फिल्म ‘आक्रोश’ बेस्ट फीचर फिल्म के राष्ट्रीय पुरस्कार और फिल्म फेयर अवार्ड से नवाजी गयी. इस फिल्म को गोल्डन पीकॉक अवार्ड भी मिला.

इसके बाद उन्होंने ‘विजेता’,‘अर्धसत्य’,‘द्रोहकाल’,‘दृष्टि’ सहित ‘तक्षक’ और ‘देव’ जैसी सराहणीय फिल्में दीं. 2004 के बाद से जिन प्रशंसकों को उनकी नयी फिल्म का इंतजार है, वो इस खबर से खुश हो सकते हैं कि निहलानी ‘अर्धसत्य’ के सीक्वल पर काम कर रहे हैं.

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