सिंगापुर : भारत सरकार ने भारतीय इतिहास के प्रति समर्पित सिंगापुर के पहले संग्रहालय भारतीय विरासत केंद्र (आइएचसी) को चार राष्ट्रवादी नेताओं की आवक्ष प्रतिमाएं भेंट की हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री एस ईश्वरन ने कल आइएचसी के उद्घाटन के अवसर पर कहा, ‘यह भारत और सिंगापुर के बीच राजनयिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ मनाने का उचित तरीका है.’ सिंगापुर इस वर्ष अपनी आजादी की 50वीं वर्षगांठ मनाने के साथ-साथ भारत के साथ अपने राजनयिक संबंधों की भी 50वीं सालगिरह मना रहा है.
महात्मा गांधी, रवींद्रनाथ टैगोर, पंडित जवाहरलाल नेहरु और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे राष्ट्रवादी नेताओं की प्रतिमाएं ‘सिंगापुर में सामाजिक एवं राजनीतिक जागरुकता’ की थीम पर बने आइएचसी के गलियारे में प्रदर्शित की गई हैं. सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग ने समारोह में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय समुदाय सिंगापुर के बहु-नस्ली और बहु-धार्मिक समाज को और समृद्ध बनाता है.
भारतीय समुदाय 1819 से यहां है और उसने सिंगापुर के निर्माण में अहम भूमिका निभाई है. सिंगापुर के प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत के साथ सिंगापुर के संबंध ऐतिहासिक रूप से उतने पुराने हैं जब भारतीय व्यापारियों ने दक्षिण पूर्व एशिया और सिंगापुर में व्यापार संबंध स्थापित किए थे.’ ली ने कहा, ‘उन्होंने भारतीय धर्मों और शासन संबंधी विचारों से अवगत कराया जिससे क्षेत्र में हिंदू और अंगकोर, श्रीविजय और मजापहित जैसे बौद्ध साम्राज्यों की स्थापना हुई.’
उन्होंने कहा, ‘पुराना सिंगापुर मजापहित साम्राज्य का हिस्सा था. यहां तक कि ‘सिंगापुर’ नाम का उद्गम भी संस्कृत भाषा से हुआ है.’ ली ने कहा, ‘भारतीयों ने सिंगापुर पर गहरा प्रभाव छोडा है. इस्ताना (राष्ट्रपति भवन) समेत शुरुआत में बनी सिंगापुर की औपनिवेशिक वास्तुकला भारतीय श्रमिकों ने बनाई है.’
उन्होंने कहा कि दक्षिण एशियाई संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन और विविध संस्कृतियों में से एक है. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘सिंगापुर में भारतीय समुदाय अपनी समृद्ध विविधता के बावजूद समुदाय के हितों के लिए साथ है.’ एक करोड 60 लाख सिंगापुर डॉलर की लागत से बने आइएचसी को आम लोगों के लिए खोल दिया गया है. इसका प्रबंधन देश का नेशनल हेरीटेज बोर्ड कर रहा है.