एप्प से हो सकेगी मोतियाबिंद की पहचान

हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका मोबाइल फोन अब वार्तालाप तथा एंटरटेनमेंट के अलावा और भी उपयोगी हो सकेगा. एक ऐसा मोबाइल एप्प बना लिया गया है, जिससे मोबाइल से ही मोतियाबिंद जैसी बीमारी का पता लगाया जा सकता है. मोतियाबिंद की पहचान करनेवाले पीक नाम के इस एप्प को लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 12, 2013 8:16 AM

हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका मोबाइल फोन अब वार्तालाप तथा एंटरटेनमेंट के अलावा और भी उपयोगी हो सकेगा. एक ऐसा मोबाइल एप्प बना लिया गया है, जिससे मोबाइल से ही मोतियाबिंद जैसी बीमारी का पता लगाया जा सकता है.

मोतियाबिंद की पहचान करनेवाले पीक नाम के इस एप्प को लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसन के डॉक्टर एंड्रयू बस्तावरस ने बनाया है. इसे मोबाइल फोन में इंस्टाल किया जाता है. इसमें अक्षर छोटे-बड़े होते हैं, जिससे मरीज की आंखों पर पड़े इफेक्ट को तथा मोबाइल की फ्लैश लाइट की मदद से आंखों के रेटिना के पीछे वाले हिस्से की जांच की जाती है.

इस प्रक्रि या के तहत मरीज की बीमारी से संबंधित सारी जानकारियां मोबाइल फोन में दर्ज हो जाती हैं. इकट्ठी हुई जानकारियां इमेल के जरिये डॉक्टरों तक भेजी जा सकती है. इस एप्प का फायदा यह है कि मोबाइल फोन के जरिये इस बीमारी को बहुत ही सरल प्रक्रि या के तहत पहचाना जा सकता है. पीक एप्प इंस्टाल्ड मोबाइल फोन की कीमत लगभग 28 हजार रुपये है, जो लाखों रुपयों में आनेवाली मशीनों से काफी कम है. मरीज को बड़े अस्पताल में जाने के झंझट से मुक्ति मिल जाती है. साथ ही इस जांच में लगनेवाली भारी भरकम रकम का बोझ भी नहीं उठाना पड़ता.

यह एप्प आपकी जिंदगी बदल देगा

जी हां, अब पेश है एक ऐसा एप्लीकेशन जो सूचना के अधिकार से लैस है. इसे आप आरटीआइ एप्प भी कह सकते हैं. यह एप्प भारत के आरटीआइ एक्ट के लिए खास तौर से तैयार किया गया है. इसे तैयार किया है आरटीआइ इंडिया ने. यह एक एंड्रॉयड एप्प है और इसे स्मार्टफोन में इस्तेमाल किया जा सकता है. इस एप्प को अपने फोन पर लाने के लिए आपको आरटीआइ इंडिया की वेबसाइट पर जाना होगा और वहां से इसे डाउनलोड करना होगा. यह एप्प आपको सरकार के काम करने के तरीके के बारे में विस्तार से बतायेगा. यह आपको सरकार के बारे में पूरी सूचना देगा. इसमें आप अपने और अपने दोस्तों के चित्र वगैरह भी डाल सकते हैं. इसके जरिये आप ब्लॉगिंग भी कर सकते हैं.

भारत में अबर का एप्प शुरू

स्मार्टफोन से टैक्सी बुलानेवाले एप्लीकेशन अबर, जो यात्रियों को भाड़ेवाली कारों से जोड़ता है, ने बेंगलुरु में काम करना शुरू कर दिया है.

सैन फ्रांसिस्को के अबर की स्थापना 2009 में हुई और यह 18 देशों के 35 शहरों में पहुंच चुका है. अब उसने बंगलुरु को अपनी सूची में शामिल कर लिया है. बीते जुलाई में, इसने दक्षिण कोरिया के सियोल में संचालन शुरू किया. कुछ भारतीय टैक्सी कंपनियां पहले से ही कार भाड़े पर लेने के लिए स्मार्टफोन एप्लीकेशन प्रस्तुत कर रही हैं, लेकिन अबर उपयोगकर्ता को स्मार्टफोन पर बटन दबाते ही कुछ मिनटों में कार उपलब्ध कराने का वादा करता है. हालांकि भारतीय सड़कों की खस्ता हालत और विशेष तौर पर मॉनसून के दिनों में बुरा ट्रैफिक, अबर परिवहन के तेज आगमन की योजना की हवा निकाल सकता है.

कंपनी ने ब्लॉग में लिखा है, ‘आने वाले कई हफ्तों तक, अबर का बेंगलुरु में गुप्त परीक्षण किया जायेगा. उपलब्धता सीमित होगी, क्योंकि हम ज्यादा कारों को उपलब्ध कराने और अपने दामों के परीक्षण पर काम कर रहे हैं.’

बेंगलुरु सिटी के लिए, अबर की योजना निम्नतम 250 रुपये (3.80 डॉलर) भाड़ा लेने की है, एक किलोमीटर का मीटर चार्ज 20 रुपये होगा. बुकिंग रद्द करने पर 100 रुपये भुगतान करना होगा, वेबसाइट में कहा गया है कि इंडिया रियल टाइम की खबर के अनुसार अबर नयी दिल्ली में अपना स्थानीय प्रचालन भी शुरू कर रहा है.

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