डिबाई तहसील के गांव पला कसेर निवासी अस्सी वर्षीय फैजुल हसन कादरी अपनी बेगम की याद में एक मकबरा बनवा रहा है, जिसका ढांचा दिखने में मिनी ताजमहल जैसा है. इस ढांचे पर अब सिर्फ संगमरमर लगाने का काम बाकी रह गया है. यहां लगने वाला पत्थर राजस्थान से मंगाया जाएगा.
फैजुल अपनी बेगम से कितनी मोहब्बत करता है, यह इसी बात से साबित होता है कि बेऔलाद रहने के चलते उसे कई लोगों ने दूसरे निकाह का प्रस्ताव दिया, लेकिन उसने हर पयाम ठुकरा दिया.
बेगम तज्जम्मुली की ख्वाइश थी कि मरने के बाद फातिहा पढ़ने वाला कोई नहीं होगा, इसलिए कुछ यादगार कर लेना. तभी फैजुल ने ताजमहल जैसा मकबरा बनाने का संकल्प लिया और बेगम को कहा कि ऐसा कुछ करूंगा कि लोग साल-दर-साल याद करेंगे.इस मकबरे के निर्माण पर चालीस लाख रुपये खर्च करने का बजट है. तीन सितंबर 2012 से अब तक मकबरे पर नौ लाख रूपये खर्च हो चुके हैं.
अपनी बेगम की मोहब्बत की इस निशानी के लिए भारतीय डाक विभाग में सब पोस्ट मास्टर पद से 1992 में रिटायर इस मुलाजिम ने सबसे पहले छ: लाख रु. में अपनी जमीन बेची, पत्नी के डेढ़ लाख रुपये के जेवर बेचे, बैंक में जुड़ी जमा राशि और खेती की आमदनी भी शामिल की है.
फैजुल हर माह आठ हजार, तीन सौ रुपये आ रही पेंशन भी इस ताज में लगा रहा है. निर्माणाधीन मकबरे में तजम्मुली बेगम की कब्र उनके इंतकाल के बाद 24 दिसंबर 2011 को बनी थी. फिलहाल फैजुल फूलों की खेती करके अपनी अलग आजीविका से अपना खर्च भी चला रहा है.
फैजुल चाहता तो पेंशन से अपनी बाकी जिंदगी बेहतर ढंग से गुजार सकता था, लेकिन बेगम की मोहब्बत में कादरी का जुनून ताजमहल जैसे मकबरे को अंजाम दिलाने के लिए परवान चढ़ गया. इसी मकबरे के पास फैजुल हसन कादरी ने अपनी कब्र के लिए भी दो गज जमीन छुड़वा रखी है.
फैजुल की इच्छा है कि उसके इंतकाल से पहले यह मोहब्बत का मुसावा बनकर तैयार हो जाए. कादरी ने कहा कि उनकी इच्छा है कि वह अन्य किसी से मकबरे के कार्य में आर्थिक सहयोग नहीं लेगा और जल्दी इसे वक्फ करेगा ताकि उनके इंतकाल के बाद सरकार इस मकबरे की हिफाजत करे.
निर्माणाधीन मुसावा
50 गुणा 50 फीट में बन रहे इस मिनी ताजमहल में चारों कोनों पर 20 फीट ऊंची मीनार बन कर तैयार हो चुकी हैं. इसके लिए 12 फीट नींव के लिए गड्डे खोदे गए थे. 24 गुणा 24 फीट में बने मकबरे की ऊंचाई 13 फीट है. उसके ऊपर साढे़ ग्यारह फीट ऊंची गुंबद का निर्माण हुआ है, जिसका लोहे की सरियों का मजबूत बेस बनाया गया.
मिनी ताजमहल में अब तक लग चुका सामान
600 बोरी सीमेंट, 45 ट्रक बजरी व बदरपुर, एक ट्रक बालू, 26 हजार ईंट, 45 कुंतल सरिया.
6 कारीगर लगे हैं काम पर
छह माह से डिबाई के मौहल्ला सराय बैरूनी निवासी चालीस वर्षीय असगर अली मिस्त्री अपने एक साथी व चार मजदूरों के साथ काम कर रहे हैं.