पितृसत्तात्मक सत्ता की बलि चढ़ती लड़कियां
मुद्दा अमेरिकी सांसद भारत में कन्या भ्रूण हत्या को लेकर चिंतित वाशिंगटन:भारत में बढ़ती कन्या भ्रूण हत्याओं पर चिंता जाहिर करते हुए अमेरिकी सांसदों और विशेषज्ञों ने अमेरिकी सरकार से ऐसे घिनौने और नृशंस कृत्य पर रोक लगाने में अहम भूमिका निभाने को कहा है. ‘भारत की लापता लड़कियां’ विषय पर कांग्रेस में एक चर्चा […]
मुद्दा अमेरिकी सांसद भारत में कन्या भ्रूण हत्या को लेकर चिंतित
वाशिंगटन:भारत में बढ़ती कन्या भ्रूण हत्याओं पर चिंता जाहिर करते हुए अमेरिकी सांसदों और विशेषज्ञों ने अमेरिकी सरकार से ऐसे घिनौने और नृशंस कृत्य पर रोक लगाने में अहम भूमिका निभाने को कहा है. ‘भारत की लापता लड़कियां’ विषय पर कांग्रेस में एक चर्चा के दौरान सांसदों और विशेषज्ञों ने भारत से अपने नियमों को कड़ाई से लागू करने को कहा है. इसके साथ ही उन्होंने इस संबंध में जागरूकता फैलाये जाने का भी आह्वान किया.
बदलाव की जरूरत
भारतीय अमेरिकी सांसद ऐमी बेरा ने चर्चा के दौरान कहा, ‘यहां एक पेचीदा सामाजिक आर्थिक मकड़जाल और सांस्कृतिक कारक जिम्मेदार हैं, जिसकी परिणति बालिकाओं के खिलाफ भेदभाव के रूप में होती है. जैसा कि आप जानते हैं , अध्यक्ष ने ऐसे कुछ कारकों की पहचान की है. इनके कारण लैंगिक चयन की प्रक्रिया शुरू होती है. इसलिए हमें मूल कारकों का समाधान किये जाने की जरूरत है.’ इस समस्या के दीर्घकालिक समाधान और वास्तविक बदलाव का एकमात्र तरीका यही है कि समुदाय के स्तर पर एक अभियान चलाया जाये, जो लोगों के रवैये और सांस्कृतिक रीति-रिवाजों में बदलाव लाये, जो महिलाओं और बालिकाओं के खिलाफ इस पूर्वाग्रह को बढ़ावा देते हैं.’
मिले आजादी
हाल ही में भारत यात्र से लौटे बेरा ने कहा,‘अमेरिका के लिए बेहतर भूमिका यही है कि वह महिलाओं के अधिकारों को प्रोत्साहित करने और अपने स्वास्थ्य, अपने शरीर के संबंध में निजी फैसले लेने की हर महिला की आजादी को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक समुदाय के भीतर एक मजबूत समर्थक बना रहे.’कांग्रेस की विदेश संबंध समिति की अफ्रीका, वैश्विक स्वास्थ्य , वैश्विक मानवाधिकार और अंतरराष्ट्रीय संगठन उप समिति की अध्यक्षता करते हुए कांग्रेस सदस्य क्रिस्टोफर स्मिथ ने कहा कि मौजूदा समस्या की जड़ें केवल सांस्कृतिक कारकों में नहीं हैं बल्कि गलत नीति-निर्णयों में निहित हैं, जिनमें अमेरिका में बनायी गयी जनसंख्या नियंत्रण नीतियां भी हैं, जिनका एक गलत अनुपात में भारत की महिलाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है.सही रूप में हो तकनीक का इस्तेमाल
कांग्रेस सदस्य स्मिथ ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि इस चर्चा से हमें ऐसी नृशंस परंपराओं और महिलाओं तथा बालिकाओं के उत्पीड़न को रोकने में यह समझ पैदा करने में मदद मिलेगी कि हम इसमें अपनी क्या भूमिका अदा कर सकते हैं. उदाहरण के लिए , क्या हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि अमेरिका में स्थित जनरल इलेक्ट्रॉनिक जैसी कंपनियां , जिनके अल्ट्रासाउंड उपकरणों का इस्तेमाल गर्भ में बच्चे का लिंग पता करने के लिए किया जाता है , वे ऐसे कदम उठाएं कि इन उपकरणों का इस्तेमाल मां और बच्चे के जन्म को सुरक्षित बनाने के लिए हो, न कि हत्या के औजार के रूप में. समिति के समक्ष शोधकर्ता साबू जॉर्ज ने कॉरपोरेट सेक्टर का उल्लेख किया, जो लैंगिक चयन के लिए नयी तकनीक को प्रोत्साहित करता है. मैं गूगल की भूमिका की ओर ध्यान दिलाना चाहूंगा, जो आज लैंगिक चयन के लिए नयी तकनीकों को प्रोत्साहित कर रहा है. आज वे किसी उत्पाद की प्रभावशीलता साबित होने से पहले ही उसका विज्ञापन दे रहे हैं. मैं आप सभी से यह सुनिश्चित करने की अपील करुंगा कि अमेरिकी कॉरपोरेशन भारतीय कानून का सम्मान करें.
महिला सशक्तीकरण को मिले बढ़ावा
इनवीजिबल गर्ल्स परियोजना के उपाध्यक्ष जिल मैकल्या ने कहा कि चुनिंदा लैंगिक चयन गर्भपात व्यापक पैमाने पर है और यह फैल रहा है. न्यूयॉर्क स्थित ब्रेकथ्रू संगठन की मल्लिका दत्त का कहना था कि लैंगिक भेदभाव और बेटे को प्राथमिकता दिये जाने के मुख्य मुद्दे से पैदा होता है, जिससे भारत तथा दुनिया के कई अन्य हिस्से पीड़ित हैं. अमेरिका को लैंगिक भेदभाव के मूल कारणों का मुकाबला करने के लिए नेतृत्व की भूमिका संभालनी चाहिये. इसके लिए पहले वह वैश्विक स्वास्थ्य और विकास क्षेत्र में निवेश करे और दूसरा वैश्विक विकास एजेंडे के केंद्र में महिला तथा बालिका सशक्तीकरण को प्रमुखता दे. दत्त का कहना था कि प्रजनन स्वास्थ्य तक पहुंच पर रोक कोई उचित समाधान नहीं है.
महिलाओं के लिए कौशल उन्नयन प्रशिक्षण
भोपाल : मध्य प्रदेश सरकार ने विषम परिस्थितियों में जीवन यापन कर रही महिलाओं को समाज में पुनस्र्थापित करने तथा आत्म-निर्भर बनाने के उद्देश्य से ‘मुख्यमंत्री महिला सशक्ती करण योजना’ के तहत उन्हें कौशल उन्नयन प्रशिक्षण कार्यक्रम से जोड़ने का निर्णय लिया है. आधिकारिक तौर पर बताया गया है कि विषम परिस्थितियों में जीवन यापन करनेवाली महिलाएं कौशल उन्नयन के बाद, खुद के अलावा अपने परिवार का भी भरण-पोषण कर सकेंगी. महिलाओं के आर्थिक-सामाजिक उन्नयन के उद्देश्य से शुरू की गयी इस योजना में स्थायी प्रशिक्षण से उन्हें रोजगार भी प्राप्त होगा.
विपत्तिग्रस्त महिलाओं को प्रशिक्षण ऐसी संस्थाओं के माध्यम से मिलेगा, जिनकी डिग्री अथवा प्रमाण-पत्र शासकीय अथवा अशासकीय सेवाओं में मान्य हो. प्रशिक्षण पर होने वाला पूरा खर्च महिला सशक्तीकरण संचालनालय द्वारा वहन किया जायेगा.
मध्यप्रदेश शासन ने योजना के लिए ‘लक्ष्य समूह’ निर्धारित किये हैं. इनमें बेसहारा महिलाएं, बलात्कार पीड़ित, देह व्यापार से बचायी गयी महिलाएं, तेजाब पीड़ित आदि शामिल होंगी.