सोल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छठे एशियन लीडरशिप कॉंफ्रेंस को किया संबोधित
सोल : दक्षिण कोरिया के सोल में मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छठे एशियन लीडरशिप कॉंफ्रेंस को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मैं राष्ट्रपति पार्क और शेखा मोजह के साथ मंच साझा कर रहा हूं. कोरिया की अर्थव्यवस्था की जितनी प्रशंसा की जाये कम है. तकनीक […]
सोल : दक्षिण कोरिया के सोल में मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छठे एशियन लीडरशिप कॉंफ्रेंस को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मैं राष्ट्रपति पार्क और शेखा मोजह के साथ मंच साझा कर रहा हूं. कोरिया की अर्थव्यवस्था की जितनी प्रशंसा की जाये कम है. तकनीक के क्षेत्र में भी इसने अपना लोहा मनवाया है. नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैंने जो भारत के लिए सपना देखा है वह पड़ोसी मुल्क और दूसरे देशों की सहायता के बिना अधूरा सा है.एशियाई देशों को चाहिए कि वे मिलकर आतंकिवाद के खिलाफ जंग छेड़ें.
इससे पहले कल सोल में भारतीयों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विकास का रास्ता कठिन है, पर मैं मक्खन नहीं, पत्थर पर लकीर खींचना जानता हूं.विकास नाम की जड़ी -बूटी से भारत ने समस्या का हल खोज लिया है. सोल के क्यूंग ही यूनिवर्सिटी में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि 30-35 साल में चीन और द कोरिया विकास की राह पर चल कर पूरी तरह से बदल गये.
समस्याएं आयीं, लेकिन समाधान निकाला. हालांकि, सवा सौ करोड़ देशवासियों तक इस बात को पहुंचाना, हर एक को इससे जोड़ना एक कठिन कार्य है, लेकिन मैं विकास नाम की जड़ी बूटी लेकर चल पड़ा हूं. देश का मूड बदल रहा है. युवा परिवर्तन चाहता है. हम उस दिशा में ही लगे हुए हैं. काम के प्रति समर्पण के महत्व का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार कोई भी हो, कैसी भी हो. यदि हम अपना काम करने लगे तो हिंदुस्तान को आगे जाने से कोई नहीं रोक सकता.
बदलाव तो देखें : देश में आये बदलाव का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, एक समय था जब लोग कहते थे कि पता नहीं पिछले जन्म में क्या पाप किये कि हिंदुस्तान में पैदा हो गये, ये कोई देश है. ये कोई सरकार है. ये कोई लोग हैं. चलो छोड़ो, चले जाओ कहीं और. और लोग निकल पड़ते थे. कुछ वर्ष पहले उद्योग जगत के लोग कहते थे कि अब तो यहां व्यापार नहीं करना चाहिए, अब यहां नहीं रहना है. हालांकि, मैं इसके कारणों में नहीं जाता और न ही कोई राजनीतिक टीका-टिप्पणी करना चाहता हूं. लेकिन यह सच्चई है कि लोगों में निराशा थी, आक्रोश भी था. पर आज अलग-अलग जीवन क्षेत्रों के लोग आज भारत वापस आने के लिए उत्सुक हो रहे हैं.
लुक नहीं, एक्ट ईस्ट : मोदी ने पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर चुटकी लेते हुए कहा कि पूर्व में नीति थी ‘पूरब की ओर देखो.’ लेकिन, हमने पूरब की ओर बहुत देख लिया. अब हमें ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ यानी पूरब पर काम करना है. यह मेरी सरकार की विदेश नीति का प्रमुख तत्व है. उल्लेखनीय है कि 90 के दशक में तत्कालीन नरसिंह राव सरकार ने ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ की सबसे पहले अवधारणा पेश की थी.
विनिर्माण केंद्र बनेगा भारत : बदलते आर्थिक हालात का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि पांच सदस्यीय ब्रिक्स समूह में भारत पिछले वर्ष तक जद्दोजहद कर रहा था, लेकिन एक ही साल में स्थिति पलट गयी. दुनिया अब कह रही है कि ‘आई’ यानी इंडिया ब्रिक्स का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. ‘मेक इन इंडिया’ की वकालत करते हुए कहा कि हम सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए भारत को विनिर्माण केंद्र बनना चाहते हैं. आज लोग भारत आने को लेकर उत्साहित हैं.
सात समझौते
भारत-दक्षिण कोरिया दोहरा कराधान बचाव संधि
श्रव्य-दृश्य कार्यक्रमों के साझा निर्माण
दोनों देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषदों के बीच औपचारिक विचार-विमर्श
इलेक्ट्रिक बिजली विकास व नये ऊर्जा उद्योग में सहयोग
युवा मामलों में सहयोग को मजबूत बनाने और उसे प्रोत्सोहित करने के लिए एमओयू
सड़क परिवहन व राजमार्ग के क्षेत्र में सहयोग
प्रौद्योगिकी, सूचना व अनुभवों, नाविकों के प्रशिक्षण
बंदरगाह के परिचालन समेत समुद्री परिवहन के लिए करार