झाझा प्लेटफॉर्म पर खुले में रखा जाता है शव

यात्रियों को होती है परेशानी प्रतिनिधि, झाझा रेल थाना झाझा का क्षेत्र पूरब में लाहाबन तक तथा पश्चिम में वंशीपुर तक का है. इतनी लंबी रेलवे लाइन में रेल की चपेट में आने की वजहों से मौतें भी होती रहती है. लेकिन शवों को रखने का कोई उपयुक्त जगह झाझा प्लेटफॉर्म पर नहीं है. जिसके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 19, 2015 7:03 PM

यात्रियों को होती है परेशानी प्रतिनिधि, झाझा रेल थाना झाझा का क्षेत्र पूरब में लाहाबन तक तथा पश्चिम में वंशीपुर तक का है. इतनी लंबी रेलवे लाइन में रेल की चपेट में आने की वजहों से मौतें भी होती रहती है. लेकिन शवों को रखने का कोई उपयुक्त जगह झाझा प्लेटफॉर्म पर नहीं है. जिसके चलते रेल यात्रियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. सूत्र बताते हैं कि जिन शवों की शिनाख्त हो जाती है उसे तो परिजनों को सौंप दिया जाता है. लेकिन जिस की शिनाख्त नहीं हो पाती है उसे नियमत: 48 घंटे तक मृतक के परिजनों के आने की संभावना तक रखा जाता है. खुले में शव को रखने की वजह से दूर-दूर तक प्लेटफॉर्म पर बदबू आती है. जिस वजह से यात्रा कर रहे रेल यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. रेल यात्री रुपा कुमारी,धनंजय यादव,प्रेमरंजन कुमार,शिवदयाल ठाकुर,हरिकेश कुमार,मो. असलम समेत कई लोगों ने बताया कि प्लेटफॉर्म पर रखे गये शव को देख कर मन विचलित हो जाता है. यदि ट्रेन एक-दो घंटा विलंब हो गयी तो परेशानी और भी बढ़ जाती है. इन लोगों ने बताया कि रेलवे बोर्ड यात्रियों से सुगम एवं सुरक्षित यात्रा के लिए राजस्व लेती है. बावजूद इसके यात्रियों को कोई विशेष सुविधा नहीं मिल पाती है. जबकि यदि सरकार चाह ले तो शव गृह स्टेशन से दूर बनाया जा सकता है. जिससे रेल यात्रियों के अलावा रेल कर्मियों को भी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा.कहते हैं स्टेशन प्रबंधकस्टेशन प्रबंधक एस सोरेन ने बताया कि चूंकि जीआरपी कार्यालय रेलवे परिसर में ही होता है. शव गृह के लिए अलग से कोई प्रावधान नहीं है. प्रयास किया जायेगा कि शव को स्टेशन के दूर रखने की व्यवस्था की जाय.

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