आधुनिक भारत के निर्माता हैं विश्वेश्वरैया
सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया देश के बेहतरीन इंजीनियर थे. उन्होंने कावेरी नदी पर भारत के सबसे बड़े बांध कृष्णराज सागर का निर्माण किया. इससे करीब 60,000 किलोवाट बिजली का उत्पादन होता है. वे एक बेहतरीन प्रशासक भी थे. उनकी उपलब्धियों के कारण ही एम विश्वेश्वरैया को वर्ष 1955 में देश का सबसे बड़ा सम्मान भारत रत्न […]
सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया देश के बेहतरीन इंजीनियर थे. उन्होंने कावेरी नदी पर भारत के सबसे बड़े बांध कृष्णराज सागर का निर्माण किया. इससे करीब 60,000 किलोवाट बिजली का उत्पादन होता है. वे एक बेहतरीन प्रशासक भी थे. उनकी उपलब्धियों के कारण ही एम विश्वेश्वरैया को वर्ष 1955 में देश का सबसे बड़ा सम्मान भारत रत्न दिया गया. हर साल 15 सितंबर को उनके जन्मदिवस को इंजीनियर दिवस के रूप में मनाया जाता है.
एम विश्वेश्वरैया का जन्म वर्ष 1861 में मैसूर के मुड्डेनहली में एक साधारण परिवार में हुआ. जब 15 वर्ष के थे तभी पिता का निधन हो गया. बेंगलुरु में चाचा के पास रहकर उन्होंने उच्च शिक्षा हासिल की. अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए वह ट्यूशन पढ़ाते थे. उन्हें कॉलेज जाने के लिए रोज 15 किमी पैदल चलना पड़ता था. उन्होंने कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुणो से मेरिट के साथ परीक्षा पास की. उन्हें मैसूर सरकार की ओर से स्कॉलरशिप भी दी गयी. वर्ष 1884 में उन्होंने बॉम्बे पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट में असिस्टेंट इंजीनियर की नौकरी पायी. बेहतरीन काम के लिए उन्हें ब्रिटिश सरकार ने कैसर-ए-हिन्द की उपाधि से नवाजा.
वर्ष 1908 में उन्होंने सिविल इंजीनियर के पद से इस्तीफा दे दिया और मैसूर स्टेट के चीफ इंजीनियर बने. वर्ष 1912 में उन्होंने मैसूर के दीवान के रूप में कार्यभार संभाला. उन्होंने आम लोगों को कई तोहफे दिये, जिसमें वृंदावन गार्डेन, बैंक ऑफ मैसूर, मैसूर यूनिवर्सिटी, भद्रावती आयरन वर्क्स एंड पावर स्टेशन शामिल हैं. इसी कारण उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है. वह पहले शख्स थे जिन्होंने देश की आर्थिक नीति के बारे में लिखा था. 1934 में उनकी ‘प्लांड इकॉनमी फॉर इंडिया’ नाम से पुस्तक प्रकाशित हुई थी.