तेजी ने ऐसे हासिल किये अपने अधिकार

रजनीश आनंद, प्रभातखबर.कॉमप्रजातंत्र की सफलता इसी में निहित है कि वहां की जनता सरकार बनाने और उसके संचालन में रुचि ले, इसके लिए सशक्त पंचायत काफी जरूरी है. इसी अवधारणा को मजबूती देने के लिए जब 32 वर्षों के बाद झारखंड में पंचायत चुनाव हुए, तो लोगों के मन में परिवर्तन की आस जागी. जनता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 14, 2013 12:31 PM

रजनीश आनंद, प्रभातखबर.कॉम
प्रजातंत्र की सफलता इसी में निहित है कि वहां की जनता सरकार बनाने और उसके संचालन में रुचि ले, इसके लिए सशक्त पंचायत काफी जरूरी है. इसी अवधारणा को मजबूती देने के लिए जब 32 वर्षों के बाद झारखंड में पंचायत चुनाव हुए, तो लोगों के मन में परिवर्तन की आस जागी. जनता द्वारा चुने गये प्रतिनिधियों ने उत्साह के साथ पंचायतों की कमान भी संभाली, लेकिन उन्हें ठगे जाने का अहसास तब हुआ, जब उन्हें पंचायत प्रतिनिधियों के संपूर्ण अधिकार नहीं मिले. अभी भी सरकार ने पंचायत प्रतिनिधियों को इन नौ विभागों की ही बागडोर सौंपी है जिनमें कृषि, स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा, पेयजल एवं स्वच्छता, समाज कल्याण महिला एवं बाल विकास, पशुपालन, उद्योग, जल संसाधन एव जनवितरण प्रणाली शामिल है. ऐसे में कई मुखिया और जनप्रतिनिधि अधिकारियों का रोना रोते हुए अपने पंचायत के लिए कुछ खास नहीं कर पा रहे हैं, कुछ अपवाद भी हैं जो अपने कार्यों से लोगों के सामने मिसाल प्रस्तुत कर रहे हैं. ऐसी ही एक मुखिया हैं खेलारी की तेजी किस्पोट्टा, जिन्होंने अपने कार्यों से यह साबित किया है कि जो आपका हक है, उसे हासिल करना आपके अपने हाथ में है.

तेजी कहती हैं कि आपका अधिकार आपको तभी मिलेगा जब आप उसे लेने के लिए मुस्तैद रहेंगे. अगर आपको कुछ नहीं मिल रहा है, तो उसके लिए सिर्फ लड़ाई-झगड़ा करने से कुछ नहीं होगा, बल्कि आवश्यक कागजी कार्रवाई करने की जरूरत है. इसमें कोई दो राय नहीं कि पंचायतों में मुखिया की अनुशंसा के बिना कोई कार्य संभव नहीं है. इस बात को गांठ बांधकर हमें अपना महत्व समझना होगा, तभी हम अपने अधिकारों का सही प्रयोग कर पायेंगे.

तेजी सरकार द्वारा प्रदत्त अधिकारों के इस्तेमाल में काफी सजगता बरती हैं और यह प्रयास करती हैं कि हर जनकल्याणकारी योजना का लाभ उनके पंचायत के लोगों को मिले. इसके लिए हर महीने कार्यकारिणी की बैठक में वह ग्रामसभा द्वारा मंजूर की गयी योजनाओं को अनुशंसित करवाने का प्रयास करती हैं. अगर कभी-कभार बीडीओ फंड की कमी या फिर कोई और कारण बताकर उस योजना को मंजूरी नहीं देते हैं तो वे यह प्रयास करती हैं कि सीमित फंड में ही उस योजना को लागू करवाया जाये. कभी-कभार उन्हें इसके लिए बीडीओ से अनुरोध भी करना पड़ता है, साथ ही जब उनके साथ ग्राम सभा की ताकत होती है, तो बीडीओ को उनकी मांग पूरी करनी ही पड़ती है.

तेजी किस्पोट्टा ने बताया कि समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत कई योजनाएं संचालित की जाती हैं इसका लाभ ग्रामीणों को मिले इसके लिए उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्र की सहायिका और सहिया को यह जिम्मेदारी सौंप दी है कि जिस दिन गांव में टीकाकरण और पोषाहार का वितरण होगा उसकी जानकारी वे पहले से ग्रामीणों को दे दें. जानकारी होने के कारण ग्रामीण इसका पूरा लाभ उठाते हैं. सहायिका रजिस्टर में लाभुकों को अंकित करती है. आंगनबाड़ी केंद्र के निगरानी की जिम्मेदारी मुखिया ने वार्ड मेंबर को सौंप दी है. वे रजिस्टर का निरीक्षण करते हैं. साथ ही मुखिया खुद भी बीच-बीच में इन केंद्रों का निरीक्षण करती हैं. हालांकि तेजी यह भी कहती हैं कि गांव में चमत्कारिक बदलाव तो नहीं आया है, लेकिन आंगनबाड़ी केंद्र की सहायिका और सेविकाएं अब केंद्र में उपस्थित रहती हैं. उन्होंने उनके लिए यह नियम बना दिया है कि अगर वे केंद्र छोड़कर कहीं बाहर जा रही हैं, तो एक आवेदन छोड़कर जायें, ताकि अगर कोई बाहर से निरीक्षण के लिए आये, तो उसे वस्तुस्थिति की जानकारी रहे. साथ ही इन्होंने माता समिति के गठन को भी प्रभावी बनवाया है. जहां से धातृ और गर्भवती स्त्रियों को पोषाहार मिलता है. साथ ही उनका टीकाकरण भी समय से हो जाता है.

महिलाओं को सशक्त करने के लिए गांव में 15-20 ग्रुप बनाये गये हैं, जो आर्थिक स्वावलंबन की ओर अग्रसर हैं. ग्रुप की महिलाएं चार जनवितरण प्रणाली की दुकान और 10 मुख्यमंत्री दाल-भात योजना का केंद्र चलाती हैं. तेजी का कहना है कि सामूहिकता से महिलाओं की शक्ति बढ़ती है और वे अपने अधिकारों को लेकर ज्यादा जागरूक होती हैं. इसके साथ ही उन्होंने इस साल 130 वृद्धा और विधवा पेंशन के लाभुकों का नाम जोड़वाया है. इंदिरा आवास के कुल लाभुकों को योजना का लाभ मिल चुका है, जिनमें से 17 लोग इस साल के लाभुक हैं जनवितरण प्रणाली को दुरुस्त करने के लिए इन्होंने एक निगरानी कमेटी गठित की है, जिसमें आंगनबाड़ी सेविका, वार्ड मेंबर, तीन कार्डधारी और ग्राम प्रधान रहते हैं. यह कमेटी इस बात का ध्यान रखती है कि लाभुकों को समय पर अनाज उपलब्ध हो. हर महीने की 26 तारीख को यह समिति अपनी रिपोर्ट ग्रामसभा के सामने प्रस्तुत करती है.

स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी काफी काम किये गये हैं. इस अधिकार को संपूर्ण बनाने के लिए तेजी ने सहिया और एएनएम दोनों को जिम्मेदारी सौंपी है. सहिया जहां नाली की सफाई, डीडीटी छिड़काव और महिलाओं को माहवारी के दौरान साफ-सफाई का महत्व बताती हैं, वहीं एएनएम संस्थागत प्रसव और टीकाकरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करती हैं. जननी सुरक्षा योजना का लाभ ग्रामीण महिलाओं को दिलाने के लिए भी तेजी ने काफी प्रयास किये हैं. वे बताती हैं कि सहिया के पास एक फंड होता है, जिसके जरिये कुपोषित बच्चों को अस्पताल तक ले जाने की व्यवस्था की जाती है. हम अपने इलाके में ऐसे बच्चों को ढूंढ़कर उसे अस्पताल पहुंचाने का दायित्व निभाते हैं और यह कोशिश करते हैं कि उसका पूरा इलाज हो, ताकि फिर कोई बच्च कुपोषण का शिकार न मिले.

पेयजल एवं स्वच्छता के लिए भी तेजी सक्रिय हैं. इन्होंने अपने प्रयासों से सीसीएल को उसके सामाजिक दायित्व की याद दिलाकर एक जलमीनार पास करा लिया है. इस जलमीनार का निर्माण आठ लाख रुपये की लागत से होगा और इससे 300 ग्रामीण लाभान्वित होंगे. इसके साथ ही पंचायत के प्रयासों से गांव में कुएं बनवाये जा रहे हैं और चापाकल गड़वाए जा रहे हैं. साथ ही चापाकल के पास सोखता का निर्माण भी करवाया गया है.

प्राथमिक शिक्षा को स्तरीय बनाने के लिए तेजी ने ग्राम शिक्षा समिति का गठन करवाया है. इस समिति में स्कूल के शिक्षक सचिव और ग्रामीण अध्यक्ष होते हैं. जो शिक्षा के साथ-साथ इस बात की भी निगरानी रखते हैं कि बच्चों को पोशाक और मध्याह्न् भोजन भी सही मिले. चूंकि पोशाक का वितरण हर साल किया जाना है, इसलिए जितने बच्चे स्कूल में होते हैं, उतने के लिए ही पोशाक की अनुशंसा की जाती है. कृषि अधिकारों का उपयोग भी तेजी ने बुद्धिमानी से किया है. इन्होंने किसानों के लिए क्रेडिट कार्ड बनवाया है. फसल बीमा और जो लोग ट्रेक्टर खरीदना चाहते हैं उनके लिए ऋण की व्यवस्था करवायी है. ट्रेक्टर खरीदने में किसानों को 33 प्रतिशत अनुदान भी मिलता है.

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