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नेपाल के सामने उठेगा सप्तकोसी नदी का मुद्दा, बिहार की मांग पर बोलीं उमा भारती

पटना : केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने गुरुवार को यहां गंगा बाढ़ नियंत्रण परिषद की 17वीं बैठक में कहा कि हम सप्तकोसी नदी का मुद्दा नेपाल के सामने उठाने जा रहे हैं, जिसके कारण हर साल बिहार में बाढ़ आती है.इससे पहले बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भारत व नेपाल के बीच […]

पटना : केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने गुरुवार को यहां गंगा बाढ़ नियंत्रण परिषद की 17वीं बैठक में कहा कि हम सप्तकोसी नदी का मुद्दा नेपाल के सामने उठाने जा रहे हैं, जिसके कारण हर साल बिहार में बाढ़ आती है.इससे पहले बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भारत व नेपाल के बीच वर्षो से लंबित सप्तकोसी परियोजना का मुद्दा उठाया और कहा कि नेपाल की नदियों के कारण बिहार को हर साल बाढ़ की त्रसदी ङोलनी पड़ती है. इस बैठक में 11 राज्यों के मंत्रियों व प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
बैठक के बाद उमा भारती ने राजकीय अतिथिशाला में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार की बूढ़ी गंडक-नून लिंक, कोसी-मेसी लिंक और सकरी-नाटा लिंक परियोजनाओं (नदी जोड़ परियोजना) को राष्ट्रीय प्रोजेक्ट घोषित करने की जो राज्य सरकार ने मांग की है, उस पर केंद्र सरकार विचार करेगी.
राज्य सरकार ने इन परियोजनाओं की डीपीआर तैयार होने की जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि नदी जोड़ परियोजना से मनरेगा को जोड़ने की भी बात आयी है. इस पर भी विचार किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि मैंने फ्लड मैनेजमेंट प्रोग्राम को लेकर हर राज्य को अपनी-अपनी सशक्त कमेटी बनाने का निर्देश दिया है. साथ ही उस सशक्त कमेटी का प्रस्ताव केंद्र सरकार को देने को कहा है. इस प्रस्ताव के जरिये ही केंद्र आकलन करेगा कि बाढ़ की वजह से किस राज्य में क्या स्थिति रहती है.
बैठक में 2013 के बाद से अब तक के सारे डेवलपमेंट का प्रेजेंटेशन हुआ. सभी राज्यों से इसमें आवश्यक संशोधन के लिए परामर्श मांगा गया है. नेपाल के विराटनगर में भी सप्तकोसी के लिए ज्वाइंट प्रोजेक्ट बनी थी. इसकी गति धीमी हो गयी थी. बैठक में उसके लिए प्रस्ताव तैयार हुआ है, केंद्र उस पर जल्द निर्णय लेगा.
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री ने सभी राज्यों के जल संसाधन विभाग को ऑनलाइन करने को कहा है. उन्होंने कहा कि गंगा में फरक्का की वजह से सिल्टिंग की समस्या होती है. इससे बिहार-झारखंड प्रभावित होता है. यह समस्या पटना तक आयी है. इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ध्यान दिलाया है. इसमें दो-तीन विभाग जुड़ा हुआ है, सभी से बात की जायेगी.
उमा भारती ने टोटल वाटर मैनेजमेंट पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि वाटर मैनेजमेंट की प्रणाली निकालनी पड़ेगी. पानी के उपयोग को नियंत्रित करना है. किस चीज के लिए किस तरह के पानी का उपयोग हो, इसकी व्यवस्था करनी होगी. इसके लिए जल्द ही नयी कार्ययोजना बनायी जायेगी.
इससे पहले बैठक में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री ने कहा कि परिषद् की स्थापना 1972 में की गयी थी. अब गंगा या गंगा बेसिन में उन जगहों पर भी बाढ़ आने लगी है, जिसकी कल्पना नहीं की जाती थी. गंगा बाढ़ नियंत्रण परिषद का मुख्यालय पटना में है और यह पटना में ही रहेगा. इसको और प्रभावी बनाने का प्रस्ताव राज्य सरकारें दें. मंत्रलय का पूरा सहयोग मिलेगा.
उन्होंने कहा कि बिहार में एक तरफ बाढ़ व एक तरफ सुखाड़ की स्थिति बनी रहती है. सरकार बाढ़ की स्थिति को नियंत्रित करने में लगी हुई है. गंगा बाढ़ नियंत्रण परिषद् को निर्देश दिया गया है कि बैठक कर समस्याओं का निदान खोजा जाये. उत्तर प्रदेश में जल प्रबंधन अच्छा है. इंटर लिंकिंग ऑफ रिवर की योजना को कार्यान्वित कराने के लिए विचार कर रहे हैं. पानी के विनाशकारी रूप को बदल कर उसे लाभकारी बनायेंगे और पानी का बेहतर प्रबंध देश में करेंगे.
उमा भारती ने कहा कि उत्तर-पूर्व के राज्यों में जहां पानी सुलभ है, मगर वहां गरीबी बहती है. दक्षिण व पश्चिम में पानी की कमी है, लेकिन वहां समृद्धि है. नदियों का मीठा पानी समुद्र में जाता है, तो वह भी पर्यावरण को संतुलित करता है. बाढ़ का पानी सिंचाई, पेयजल, बिजली के उत्पादन में मददगार हो सकता है. पानी का सही इस्तेमाल के कारण ही गुजरात का विकास हुआ.
हर तरफ भूगर्भ जल का वाटर लेबल गिर रहा है. किस चीज के लिए किस तरह के पानी का उपयोग हो, इसकी व्यवस्था करनी होगी. केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी और छत्तीसगढ़ के जल संसाधन मंत्री ब्रजमोहन अग्रवाल मौजूद थे.
केंद्र नेपाल में डैम बनाने की पहल करे : नीतीश
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र से बिहार में बाढ़ का प्रकोप कम करने के लिए नेपाल में डैम बनाने की पहल करने की अपील की है. पटना में आयोजित गंगा बाढ़ नियंत्रण परिषद् की 17वीं बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि नेपाल में मल्टीपरपस डैम बनेगा, तो इससे बिहार समेत भारत में बाढ़ का खतरा कम हो जायेगा.
डैम का फायदा नेपाल को भी होगा और उसे जितनी बिजली की आवश्यकता होगी, वह जल बिजली परियोजना से मिल जायेगी. केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती की अध्यक्षता में हुई गंगा फ्लड कंट्रोल बोर्ड की बैठक में बिहार का पक्ष रखते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य में नदियों को जोड़नेवाली तीन योजनाओं को केंद्र सरकार से स्वीकृति देने की मांग भी की. मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा नदी में हो रहे परिवर्तन देख कर उन्हें रोना आता है. गंगा अपनी जगह से हटती जा रही है और बिहार में गंगा नदी का पानी पूरा नहीं पहुंच पाता है. गंदा नदी की अविरलता को नष्ट नहीं होने देना चाहिए. फरक्का बराज की वजह से गंगा नदी में सिल्ट जमा हो रहा है. इसके लिए केंद्र सरकार को सिल्ट मैनेजमेंट की पॉलिसी तैयार करनी चाहिए.
नदी विकास व गंगा संरक्षण मंत्रलय और गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग की ओर से आयोजित बैठक में सीएम ने कहा कि नेपाल में मल्टीपरपस डैम के निर्माण से नेपाल की विद्युत की आवश्यकता पूरी होगी ही, साथ ही दूसरे देश को भी नेपाल बिजली देने में सक्षम होगा. इससे नेपाल की आर्थिक स्थिति में भी उछाल आयेगी. उन्होंने कहा कि नेपाल की नदियों की वजह से बिहार को बाढ़ की विभीषिका ङोलनी पड़ती है.
जब मैं केंद्र में मंत्री था, तो बिहार का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय जल संसाधन मंत्री से मिला था और बिहार में नेपाल की नदियों के कारण हर साल होने वाली बाढ़ की विभीषिका से अवगत कराया गया था. साथ ही मांग की गयी थी कि नेपाल में संयुक्त प्रोजेक्टर ऑफिस स्थापित किये जाएं. इसके बाद 2004 में नेपाल के विराटनगर में एक ऑफिस खोला गया. 2015 में इस ऑफिस के अवधि विस्तार की फिर से आवश्यकता बतायी गयी. इसके अवधि में विस्तार किया जाना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में रही नदियों को जोड़ने की परियोजना बाढ़ नियंत्रण में सहायक होगी.इस पर ध्यान देने से बाढ़ नियंत्रण की समस्याओं को सुलझाने में सहूलियत मिलेगी. बिहार में नदियों को जोड़ने की तीन परियोजनाओं का प्रारूप तैयार है. केंद्र सरकार इस पर ध्यान दे और इसे स्वीकृति दिलाये. गंगा नदी पर भी मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा नदी की निर्मलता के साथ-साथ उसकी अविरलता पर ध्यान देना चाहिए. अविरलता के बिना निर्मलता संभव नहीं है. गंगा जल की खासियत भी बाधित हो रही है. यह शोध का विषय है कि गंगोत्री से निकलनेवाली गंगा का कितना पानी वाराणसी तक पहुंच रहा है.
फरक्का में बराज के कारण सिल्ट जमा होता चला जा रहा है. गंगा का प्रवाह घटता जा रहा है. गंगा नदी छिछली होती जा रही है. इससे थोड़े से जल ग्रहण से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है. गंगा नदी अपनी जगह हटती जा रही है. इन सबके जड़ में फरक्का का बराज है. नीतीश कुमार ने कहा कि तत्कालीन केंद्रीय जल संसाधन मंत्री पवन बंसल जब बिहार आये थे, तो उन्हें चौसा से लेकर फरक्का तक की यात्र करा कर गंगा की दुर्दशा की जानकारी दी गयी थी.
बिहार में गंगा जहां प्रवेश करती है, तो उस समय वो जितना पानी लेकर आती है, उसका चार गुना पानी राज्य से बाहर लेकर निकलती है. सीएम ने कहा कि बिहार गंगा नदी का लाभ उठाना चाहता है, लेकिन हमें वह फायदा नहीं मिल पा रहा है. हमारे यहां गंगा नदी में पानी पूरा नहीं पहुंच पाता है. गंगा पर हमारी चिंता है. गंगा नदीं प्रदूषित या विलुप्त होती है तो पूरी इकोलॉजी प्रभावित होगी. केंद्र सिल्ट मैनेजमेंट की कोई पॉलिसी तैयार करे. साथ ही केंद्रीय जल संसाधन मंत्रलय का बजट बढ़े.
इस मौके पर केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संयुक्त रूप से केंद्रीय जल संसाधन मंत्रलय की दो पुस्तिका ‘एनुअल रिपोर्ट 2014-15’ व ‘समरी रिकोमेंडेशन्स ऑप्फ कंप्रीहेंसिव मास्टर प्लान मई 2015’ का भी लोकार्पण किया.
यह हुए उपस्थित
बैठक को राज्य के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी, उत्तर प्रदेश के जल संसाधन मंत्री शिवपाल सिंह यादव, छत्तीसगढ़ के जल संसाधन मंत्री ब्रजमोहन अग्रवाल, नीति आयोग के सदस्य डॉ बीके सरस्वत के अलावा झारखंड, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली के प्रतिनिधि अधिकारी ने संबोधित किया और अपने-अपने सुझाव दिये. इस मौके पर बैठक में यूपी के जल संसाधन राज्यमंत्री सुरेंद्र सिंह पटेल, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, गंगा बाढ़ नियंत्रण परिषद के अध्यक्ष एबी पांडय़ा, जल संसाधन विभाग के सचिव दीपक कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डीएस गंगवार समेत अन्य अधिकारियों ने भाग लिया.

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