गंडक में भरा मलबा, नेपाल से छूटा पानी तो उत्तर बिहार में इस बार मचेगी तबाही

मलबे से उथली हुई गंडक, तीन लाख क्यूसेक क्षमता घटी बेतिया/बगहा : नेपाल के काली गंडक नदी में गिरे पहाड़ का मलवा बहने से भले ही बाढ़ का खतरा टल गया हो, लेकिन मलबे के रेत से भरे नदी की पेटी में पानी स्टोर की क्षमता में तीन लाख क्यूसेक कम हो गयी है.इसका सबसे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 30, 2015 6:53 AM
मलबे से उथली हुई गंडक, तीन लाख क्यूसेक क्षमता घटी
बेतिया/बगहा : नेपाल के काली गंडक नदी में गिरे पहाड़ का मलवा बहने से भले ही बाढ़ का खतरा टल गया हो, लेकिन मलबे के रेत से भरे नदी की पेटी में पानी स्टोर की क्षमता में तीन लाख क्यूसेक कम हो गयी है.इसका सबसे ज्यादा प्रभाव बिहार पर आनेवाले दिनों में पड़ सकता है. ऐसे में अगर नेपाल से एक साथ छह लाख क्यूसेक पानी गंडक में छोड़ा गया, तो वह तबाही का कारण बन सकता है.
नेपाल के म्यागदी जिले में बीती 24 मई को हुए भू-स्खलन के मलबे से गंडक के बेड में पानी के बहाव के साथ रेत फैल गया है. पहाड़ का रेत भी इतना फैला है कि गंडक में पानी भंडारण की क्षमता 8.50 लाख क्यूसेक से घटकर 5.50 लाख क्यूसेक हो गयी है. ऐसे में पांच लाख क्यूसेक पानी आने पर ही गंडक का जलस्तर डेंजर लाइन पर आ जायेगा. अगर नदी में इससे अधिक पानी बढ़ा, तो रेत के साथ गंडक में उफान आ जायेगा.
यहां मच सकती है तबाही. वाल्मीकिनगर बैराज से गंडक नदी नेपाल की ओर जाती है. वहां से पथलहवा हेड होते ही भारतीय सीमा में प्रवेश करती है. 23 किमी उत्तर प्रदेश के महराजगंज व कुशीनगर होते हुए गंडक नदी फिर बिहार में प्रवेश करती है. बगहा, बेतिया, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर : होते हुए वैशाली तक यह नदी जाती है. ऐसी दशा में इस बार यदि पहाड़ पर अधिक बारिश हुई और सिल्ट सफाई का कार्य मानसून के पहले नहीं किया गया, तो इन क्षेत्रों में तबाही मचनी तय है.
मंडराता है बाढ़ का खतरा
पिछले पांच सालों में गंडक की जलधारा चार लाख क्यूसेक के अंदर ही रहा. पिछले साल 3.14 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज होने से गंडक की धारा अंतरराष्ट्रीय बी-गैप के तटबंध के सीसी ब्लाक को लांच कर गयी थी. इससे दियारावर्ती क्षेत्र में बाढ़ का पानी घुस आया था. वहीं, मलबे से जल संसाधन विभाग के अधिकारी इनकार कर रहे हैं. कार्यपालक अभियंता राम विनय शर्मा नदी को पूरी तरह से सुरक्षित बता रहे हैं.
यूपी सरकार ने जारी किये 60 करोड़
गंगा फ्लड कंट्रोल कमेटी पटना की तकनीकी टीम की संस्तुति के बाद उत्तर-प्रदेश सरकार ने 59 करोड़ 87 लाख 50 हजार रुपए जारी कर दिये हैं. इस राशि से गंडक नदी के अंतरराष्ट्रीय बांध ए-गैप, बी-गैप, लिंक बांध, नेपाल बांध व नारायणी-छितौनी बांध की मरम्मत किया जायेगा. इसके अलावा बाढ़ से बचाव में राशि का उपयोग किया जायेगा.
टाइगर रिजर्व को होगा नुकसान
गंडक में जमे मलबे (सिल्ट) से टाइगर रिजर्व को भी नुकसान पहुंचेगा. जानकार कहते हैं कि जब बारिश होगी, तो नदी में पानी बढ़ेगा. सिल्ट होने की वजह से नदी पूरे पानी के समेट नहीं पायेगी. इससे पानी टाइगर रिजर्व के क्षेत्र में पहुंचेगा, जिससे वन्य जीवों को नुकसान पहुंचेगा. इससे छह किलोमीटर तक टाइगर रिजर्व में पानी भर जायेगा. दियारा इलाके में भी छह हजार एकड़ भूमि पर इसका असर पड़ने की संभावना जतायी जा रही है.
बैराज का अनुरक्षण व सिल्ट सफाई बिहार सरकार के जिम्मे है. उत्तर-प्रदेश बाढ़ खंड केवल बांधों पर बाढ़ सुरक्षा कार्य कराता है. रेत से नदी उथली हुई है. तटबंधों की मरम्मत के लिए उत्तर-प्रदेश सरकार ने 60 करोड़ रुपये जारी किये हैं.
रमाकांत पांडेय, सहायक अभियंता बाढ़ खंड महराजगंज उत्तर प्रदेश
गंडक में जलस्तर कुछ बढ़ा है. पानी के बहाव के साथ पहाड़ का मलबा भी आया है. उच्चधिकारियों को इसकी जानकारी दे दी गयी है.
मो. जिलानी, सहायक अभियंता, वाल्मीकिनगर बैराज
हमारे यहां गंडक नदी में किसी प्रकार की गाद व मलबा नहीं है. नदी पूरी तरह से सुरक्षित है. जैसा पहले था, वैसा ही अब भी है.
राम विनय शर्मा, कार्यपालक अभियंता, जल संसाधन विभाग

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