मानव तस्करी से जंग लड़नेवाली योद्धा

भारत में तस्करी का जाल तेजी से फलता-फूलता दिख रहा है. खास कर ग्रामीण और गरीब तबके की महिलाओं का इसका शिकार बनाया जाता है. ऐसी ही एक महिला है मोनिका सरकार. तस्करी के डर से मोनिका की शादी मात्र 12 साल की उम्र में ही कर दी गयी थी. लेकिन दहेज न ले जाने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 20, 2013 10:06 AM

भारत में तस्करी का जाल तेजी से फलता-फूलता दिख रहा है. खास कर ग्रामीण और गरीब तबके की महिलाओं का इसका शिकार बनाया जाता है. ऐसी ही एक महिला है मोनिका सरकार. तस्करी के डर से मोनिका की शादी मात्र 12 साल की उम्र में ही कर दी गयी थी. लेकिन दहेज न ले जाने के कारण उनके ससुरालवालों ने उन्हें बेचे जाने की साजिश रची, जिससे वह किसी तरह बच निकलने में कामयाब रहीं. अब मोनिका ने मानव तस्करी के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है और उनके अदम्य साहस को रोकने की क्षमता किसी में भी नहीं है.

अभियान की शुरुआत

32 वर्षीय मोनिका खुद भी ऐसे माहौल में पली-बढ़ी हैं, जहां महिलाओं की तस्करी का मुद्दा हर परिवार की त्रसदी है. उन्होंने अपनी लड़ाई की शुरुआत अपने गांव सायेस्तानगर (पश्चिम बंगाल) की लापता किशोरियों के नाम और आंकड़े इकट्ठे करने के साथ की. अपने संघर्ष को आगे बढ़ाने के साथ उन्होंने तस्करों द्वारा देह व्यापार में धकेली गयी और फिर उनके चंगुल से छुड़ाई गयी लड़कियों के परिवारों को समझा-बुझा कर अपनी बेटियों को वापस अपनाने को राजी किया. आज बचाई गयी ज्यादातर लड़कियां उनके अभियान का हिस्सा हैं मोनिका उत्तर 24 परगना जिले में कई गैर सरकारी संस्थाओं के साथ काम कर रही हैं.

लोगों को देख खुश होती हूं

मैं खुश हूं कि मेरी मेहनत और लड़ाई को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है. मैं उन अभिभावकों के चेहरे पर मुस्कुराहट देख कर ज्यादा खुश होती हूं, जिन्हें उनकी बेटियां वापस मिल गयी हैं.

मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान

मोनिका कहती हैं, मेरा सपना है कि हर एक लड़की शिक्षित हो और उन्हें मैं आजादी से एक बेहतर जीवन जीते देखूं. हाल ही में मोनिका को मानव तस्करी के खिलाफ लड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है. पश्चिम बंगाल महिला आयोग ने मोनिका का मानव-तस्करी की खिलाफत करने वाली योद्धा के रूप में स्वागत किया है. दो बच्चों की मां मोनिका अब इंटरनेशनल विजिटर लीडरशिप प्रोग्राम (आइवीएलपी) के तहत अगले साल अमेरिका जायेंगी.

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