बिलबिलाए मुशर्रफ ने कहा, पाकिस्तान का परमाणु हथियार शब-ए-बारात के लिए नहीं
इस्लामाबाद/नयी दिल्ली :म्यांमार सीमा में घुसकर भारतीय सेना द्वारा सौ से अधिक आतंकियों को मार गिराये जाने के बाद भारत में तो खुशी की लहर है, लेकिन पड़ोसी देशों से भारत की यह सफलता देखी नहीं जा रही है. इस ऑपरेशन के तुरंत बाद ही पाकिस्तानी गृहमंत्री निसार अली खान ने कहा कि हम म्यांमार […]
इस्लामाबाद/नयी दिल्ली :म्यांमार सीमा में घुसकर भारतीय सेना द्वारा सौ से अधिक आतंकियों को मार गिराये जाने के बाद भारत में तो खुशी की लहर है, लेकिन पड़ोसी देशों से भारत की यह सफलता देखी नहीं जा रही है. इस ऑपरेशन के तुरंत बाद ही पाकिस्तानी गृहमंत्री निसार अली खान ने कहा कि हम म्यांमार नहीं है जो कोई हमारी सीमा में घुसकर ऐसे ऑपरेशन को अंजाम दे.वहीं, पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति व पूर्व सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ ने भी धमकी भरे बयान दिये हैं.
गुरुवार को निसर अली खान का बयान केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर की उस टिप्पणी के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि म्यामांर में उग्रवादियों के खिलाफ की गई सैन्य कार्रवाई दूसरे देशों के लिए संदेश है. राठौर की टिप्पणी को पाकिस्तान को चेतावनी देने के रूप में लिया गया. खान ने कहा कि भारत को यह स्पष्ट होना चाहिए कि पाकिस्तान म्यामांर की तरह का देश नहीं है.
निसार ने कहा था कि जो पाकिस्तान के खिलाफ नापाक इरादे रखते हैं उनको कान खोलकर सुन लेना चाहिए कि हमारे सुरक्षा बल किसी भी दुस्साहस का जवाब देने में सक्षम हैं. खान ने कहा कि पाकिस्तान कभी भी भारत की दादागिरी स्वीकार नहीं करेगा और भारतीय नेताओं को दिन में सपने देखना छोड देना चाहिए.
निसार खान के बयान के बाद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी पाकिस्तान पर चुटली लेते हुए कहा कि जो लोभ भारत की बदली सोच से भयभीत हैं, उन्होंने प्रतिक्रिया व्यक्त करनी शुरू कर दी है. आज एक सेमिनार को संबोधित करते हुए पर्रिकर ने कहा, ‘अगर सोच के तरीके में बदलाव आता है, तब कई चीजें बदल जाती हैं. आपने पिछले 2-3 तीन दिनों में ऐसा देखा. उग्रवादियों के खिलाफ एक सामान्य कार्रवाई ने देश में सम्पूर्ण सुरक्षा परिदृश्य के बारे में सोच को बदल दिया.’
उल्लेखनीय है कि भारतीय सेना नेम्यांमारके अधिकारियों की जानकारी में सफल सीमापार कार्रवाई में कम से कम 38 उग्रवादियों को मार गिराया जिनके बारे में समझा जाता है कि वे चार जून को घात लगाकर किये गये हमले में शामिल थे. चार जून को किए गए इस हमले में 18 सैनिक शहीद हो गए थे.