आतंकवाद के पनाहगाह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा हम उच्च नैतिक आधार बनाये रखेंगे

इस्लामाबाद : पाकिस्तान ने भारत के नेताओं के बयानों को ‘गैरजिम्मेदाराना’ बताकर अपना हमला तेज कर दिया. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा कि हर कीमत पर देश के ‘महत्वपूर्ण हितों का संरक्षण’ किया जाएगा. वहीं पाकिस्तानीसंसद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ढाका के बयान की निंदा की. संसद द्वारा पारित एक प्रस्ताव में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 11, 2015 10:42 PM

इस्लामाबाद : पाकिस्तान ने भारत के नेताओं के बयानों को ‘गैरजिम्मेदाराना’ बताकर अपना हमला तेज कर दिया. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा कि हर कीमत पर देश के ‘महत्वपूर्ण हितों का संरक्षण’ किया जाएगा. वहीं पाकिस्तानीसंसद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ढाका के बयान की निंदा की. संसद द्वारा पारित एक प्रस्ताव में कहा गया है कि पाकिस्तान के सशस्त्र बल किसी भी घुसपैठ का मुंहतोड जवाब देने में पूरी तरह सक्षम हैं. यह कदम म्‍यांमार में सैन्य कार्रवाई पर भारतीय मंत्रियों के उन बयानों के बाद उठाया गया है, जिनके बारे में पाकिस्तान का दावा है कि वे उसके लिए धमकी हैं.

इस बीच यहां पाकिस्तान के राजदूतों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए शरीफ ने कहा कि इस तरह के बयान माहौल बिगाडते हैं और दोनों देशों को क्षेत्रीय शांति तथा स्थिरता के लक्ष्यों से दूर करते हैं. उन्होंने कहा, ‘पूरा देश हाल ही में दिये गये गैरजिम्मेदाराना बयानों से और मैं कहूंगा कि भारतीय राजनीतिक नेतृत्व के अविवेकपूर्ण बयानों से निराश है. ये माहौल को बिगाडते हैं और हमें क्षेत्रीय शांति तथा स्थिरता के हमारे लक्ष्य से और दूर करते हैं. हम हर कीमत पर अपने महत्वपूर्ण हितों की रक्षा करेंगे.’

शरीफ ने कहा कि यह संदेश साफ-साफ सुना जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘इसके साथ ही हम उकसाने की वजह से अपने उच्च नैतिक आधार को नहीं छोडेंगे. हम शांतिपूर्ण पडोस के अपने प्रयास जारी रखेंगे.’ मोदी ने अपनी हालिया ढाका यात्रा के दौरान बांग्लादेश की आजादी में अपने देश की भूमिका की चर्चा की थी. सूचना और प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड ने म्‍यांमार में सैन्य कार्रवाई के मद्देनजर कहा था कि यह अन्य देशों के लिए संदेश है जिसे पाकिस्तान के लिए चेतावनी समझा गया था. इस बीच पाकिस्तानी संसद के दोनों सदनों सीनेट और नेशनल एसेंबली ने आज सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करते हुए भारतीय नेताओं के बयानों की निंदा की.

वित्त मंत्री इशाक डार ने नेशनल असेंबली में अपने भाषण में दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को तोडने में भारत की भूमिका को खुले तौर पर स्वीकार किया. उन्होंने संयुक्त राज्य से भारतीय नेताओं के ‘घृणित बयान’ पर गौर करने का अनुरोध किया. डार ने कहा कि पाकिस्तान क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए लगातार काम कर रहा है लेकिन ‘विदेशी हाथ’ पाकिस्तान में आतंकवाद और आत्मघाती हमलों में शामिल हैं ताकि देश में अस्थिरता का बीज बोया जा सके.

उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी के बयान से यह स्पष्ट हो गया है. पाकिस्तानी सीनेट ने भी सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर बयानों को ‘भडकाउ और द्वेषपूर्ण’ करार देते हुए इनकी निंदा की और कहा कि इन बयानों से भारत की ‘आधिपत्य जमाने वाली सोच’ झलकती है. प्रस्ताव में कहा गया है कि भारत की इस तरह की कोशिशें अस्वीकार्य हैं और पाकिस्तान ‘आधिपत्य जमाने वाली सोच’ को खारिज करता है.

प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तानी सशस्त्र बल किसी भी घुसपैठ का मुंहतोड जवाब देने में पूरी तरह सक्षम हैं और पाकिस्तानी लोग अपने सशस्त्र बलों के साथ कंधे से कंधे मिलाकर रहते हैं. भारतीय नेताओं के बयानों की निंदा करते हुए इसमें कहा गया है कि इस प्रकार के बयान पाकिस्तान की आशंका की पुष्टि करते हैं कि भारत का इरादा पाकिस्तान को अस्थिर करने का है. सदन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कहा कि इस तरह के ‘भडकाउ बयानों’ का संज्ञान लें जो क्षेत्रीय शांति, संप्रभुता और स्थिरता की संभावनाओं को नकारात्मक तरीके से प्रभावित करते हैं.

प्रस्ताव के अनुसार जब पूरा पाकिस्तान, खासकर सशस्त्र बल आतंकवाद के खिलाफ लडाई में लगे हैं, ऐसे में भारतीय उकसावे न केवल पाकिस्तान के आतंकवाद निरोधक अभियान की अनदेखी कर रहे हैं बल्कि पाकिस्तान के खिलाफ लड रहे आतंकवादियों को मदद कर रहे हैं. शरीफ ने पाकिस्तानी राजदूतों को संबोधित करते हुए कहा कि बाहर से प्रायोजित आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद एक सुरक्षित और समृद्ध पाकिस्तान के लिए गंभीर खतरा है. उन्होंने कहा कि भारतीय मंत्रियों के बयानों ने ‘भारत के साथ हमारे संबंधों को बाधित किया है.’

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के मुद्दे को इतिहास के हाशिये पर नहीं डाला जा सकता. पाक प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले मंगलवार को ही संयुक्त राष्ट्र महासचिव से मुलाकात के दौरान उन्होंने उनसे अनुरोध किया था कि क्षेत्र में शांति को बढावा देने में अग्रसक्रिय भूमिका अदा की जाए. शरीफ ने कहा कि उन्होंने यह भी याद दिलाया कि जम्मू कश्मीर पर प्रस्तावों को जल्दी लागू करना सुनिश्चित करने की भी जिम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की है.

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