भगत सिंह से सीखें जिंदगी के फंडे

।।दक्षा वैदकर।।पड़ोस के दादा जी ने पिछले दिनों भगत सिंह पर एक भाषण तैयार किया. भाषण की मुख्य बातें इस प्रकार थीं. युवाओं को चाहिए कि वे अपने जीवन का लक्ष्य स्पष्ट करें. भगत सिंह को 23 साल की उम्र में ही यह पता था कि उन्हें जिंदगी से क्या चाहिए? उन्होंने उस लक्ष्य को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 30, 2013 3:28 AM

।।दक्षा वैदकर।।
पड़ोस के दादा जी ने पिछले दिनों भगत सिंह पर एक भाषण तैयार किया. भाषण की मुख्य बातें इस प्रकार थीं. युवाओं को चाहिए कि वे अपने जीवन का लक्ष्य स्पष्ट करें. भगत सिंह को 23 साल की उम्र में ही यह पता था कि उन्हें जिंदगी से क्या चाहिए? उन्होंने उस लक्ष्य को जाना, समझा और उस पर विश्वास किया. आज युवाओं को जब पूछा जाता है कि आपकी जिंदगी का लक्ष्य क्या है? वे कन्फ्यूज हो जाते हैं और स्पष्ट जवाब नहीं दे पाते.

कई युवा बोल तो देते हैं कि उन्हें सफल डॉक्टर, इंजीनियर, बिजनेसमैन बनना है, लेकिन वे इस लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध नहीं रहते. उन्हें समझना होगा कि सिर्फ लक्ष्य बना लेने से वह साकार नहीं होगा. भगत सिंह को पता था कि उन्हें लक्ष्य को पाने के लिए कई दिनों तक भूखे रहना पड़ेगा, तो वे भूखे रहे. उन्हें पता था कि कई रातों की नींद त्यागनी पड़ेगी, तो उन्होंने नींद को त्याग दिया. कहने का तात्पर्य यह है कि लक्ष्य को पाने के लिए जुनून, जोश और पागलपन जरूरी है. फिर इसके लिए कितने ही कष्ट क्यों न सहने पड़े. भगत सिंह ने कहा है- ‘ये जितने जख्म हैं सीने पर, ये फूलों के गुच्छे हैं. हमें पागल ही रहने दो, हम पागल ही अच्छे हैं.’

दूसरी बात, हमें ज्ञान को बढ़ाते रहना चाहिए. भगत सिंह ने जेल में रह कर तकरीबन 300 किताबें पढ़ीं. वे जानते थे कि यदि खुद को अपडेटेड रखना है, जहां अभी हैं, हमेशा वहीं नहीं रहना है, तो किताबें पढ़ना जरूरी है. आज युवाओं के पास इंटरनेट में ज्ञान का खजाना है. वे ऑडियो, वीडियो, आर्टिकल्स के जरिये ढेर सारा ज्ञान हासिल कर सकते हैं. दूसरे देशों की संस्कृति, बिजनेस समझ सकते हैं. दूसरों से आइडिया लेकर अपने आइडिया को पंख दे सकते हैं.

युवाओं को दरअसल यह अंदाजा ही नहीं है कि पढ़ने की आदत उन्हें कितना फायदा पहुंचा सकती है. दोस्तों, एक बात जान लें. ‘जिंदगी’ नाम की अपनी इस फिल्म के आप हीरो-हीरोइन ही नहीं, बल्कि डायरेक्टर, राइटर व प्रोड्यूसर भी हैं. यह आप पर निर्भर करता है कि आप अपनी स्टोरी का दुखद अंत करते हो या सुखद. बस खुद पर भरोसा रखें.

बात पते की..

-यह जरूरी नहीं है कि हम वही रास्ता पकड़ें, जो दूसरों ने पकड़ा है. आप अपने विचारों पर बस भरोसा करें और अपना अलग रास्ता बनाएं.

-सिर्फ लक्ष्य तय कर लेने से कुछ नहीं होगा. उस लक्ष्य को पाने के लिए आपको मेहनत भी करना होगी और कई चीजों का त्याग भी करना होगा.

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