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हर बात को निजी तौर पर न लें
दक्षा वैदकर कई बार हम कुछ चीजों को व्यक्तिगत रूप में ले लेते हैं और परेशान हो जाते हैं, जबकि वह चीजें व्यक्तिगत लेने जैसी बिल्कुल नहीं होती. अगर हम उसे व्यक्तिगत ले लेते हैं, तो यह केवल वक्त की बर्बादी है. इसलिए अगली बार जब भी आप महसूस करें कि किसी ने आपके कुछ […]
दक्षा वैदकर
कई बार हम कुछ चीजों को व्यक्तिगत रूप में ले लेते हैं और परेशान हो जाते हैं, जबकि वह चीजें व्यक्तिगत लेने जैसी बिल्कुल नहीं होती. अगर हम उसे व्यक्तिगत ले लेते हैं, तो यह केवल वक्त की बर्बादी है.
इसलिए अगली बार जब भी आप महसूस करें कि किसी ने आपके कुछ कहा है, तो थोड़ा रुके और उस पर विचार करें कि आपका इससे लेना-देना है या नहीं.
उदाहरण के तौर पर हम फेसबुक पर कुछ लिखते हैं, उस बात से कुछ लोग सहमत होते हैं, तो कुछ असहमत. जो लोग असहमत होते हैं, उनके कमेंट्स पढ़ कर हम उदास हो जाते हैं. हमें यह समझना होगा कि जिस इनसान से हम असल जिंदगी में मिले ही नहीं है, ऐसा इनसान क्या सोचता है और क्या नहीं, इससे हमें क्या फर्क पड़ता है. वचरुअल दुनिया में सभी अपनी-अपनी राय देने के लिए स्वतंत्र हैं.
कई बार ऐसा भी होता है कि आप अपने परिवार के लिए घंटों मेहनत कर कोई डिश बनाती हैं और वह उसे खाते ही रिजेक्ट कर देते हैं. आप इस बात को व्यक्तिगत न लें.
आप यह न सोचें कि आपके हाथ की कोई भी डिश परिवारवालों को पसंद नहीं आती. वे आपसे प्यार नहीं करते.. वगैरह-वगैरह.. आप यह सोचें कि केवल यह डिश उन्हें पसंद नहीं है और वह भी इसलिए क्योंकि हर व्यक्ति का अपना अलग टेस्ट होता है. किसी को करेले से नफरत होती है, तो किसी की फेवरेट सब्जी करेला होती है. ऐसी बातों को व्यक्तिगत लेना बड़ी बेवकूफी है.
आज ऐसे कई युवा हैं, जो नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जाते हैं और सलेक्ट न होने पर डिप्रेशन में चले जाते हैं. उन्हें लगता है कि जरूर उनमें कोई कमी है. उन्हें लगता है कि आजकल दुनिया सिफारिशों पर चलती है. युवाओं को चाहिए कि वे इस बात को भी व्यक्तिगत न लें, क्योंकि केवल उन्हें ही रिजेक्ट नहीं किया गया है.
ऐसे कई कैंडिडेट्स हैं, जिन्हें नहीं चुना गया. ये भी हो सकता है कि कंपनी के पास पोस्ट कम हो और उसके पास ढेर सारे काबिल उम्मीदवार आ गये हों. आप भी उन काबिल उम्मीदवारों में हो. कंपनी को पसंद भी हों, लेकिन उनके पास पोस्ट न हो.
बात पते की..
दुनिया में हर चीज हमारे मुताबिक नहीं होती, न लोग हमारे मुताबिक व्यवहार कर सकते हैं. बेहतर है कि हर चीज को व्यक्तिगत तौर पर न लें.
हर व्यक्ति की अपनी सोच, अपनी पसंद होती है. अगर कोई आपको रिजेक्ट करता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप में कमी है.
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