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झारखंड के इन अभ्यिर्थियों ने यूपीएससी परीक्षा में दिखाया दम

देवघर अनुनय को 57वां रैंक इंजीनियरिंग के बाद बने आइएएस – पिछले वर्ष सिविल सर्विस में लाया था 145वां स्थान देवघर : यूपीएससी की परीक्षा में देवघर के अनुनय झा ने 57वां स्थान हासिल किया है. अनुनय की सफलता से परिवार व समाज के लोगों में काफी खुशी है. अनुनय के पिता नित्यानंद झा इनकम […]

देवघर
अनुनय को 57वां रैंक
इंजीनियरिंग के बाद बने आइएएस
– पिछले वर्ष सिविल सर्विस में लाया था 145वां स्थान
देवघर : यूपीएससी की परीक्षा में देवघर के अनुनय झा ने 57वां स्थान हासिल किया है. अनुनय की सफलता से परिवार व समाज के लोगों में काफी खुशी है. अनुनय के पिता नित्यानंद झा इनकम टैक्स डिपार्टमेंट मुंबई में प्रिंसिपल कमिश्नर तथा मां अलका झा इंडियन पोस्टल सर्विस दिल्ली में कमिश्नर के पद पर कार्यरत हैं. अनुनय के प्रेरणास्नेत माता-पिता है.
उन्होंने आइआइटी रूड़की से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की है तथा लक्ष्य सिविल सर्विस में जाने का था. पहले प्रयास में पिछले वर्ष सिविल सर्विस की परीक्षा में 145वां स्थान हासिल किया था. अनुनय की शिक्षा दिल्ली में हुई. संस्कृति स्कूल दिल्ली से 10वीं की परीक्षा वर्ष 2006 में 97 फीसदी अंक से तथा 12वीं की परीक्षा वर्ष 2008 में 95.8 फीसदी अंक से उत्तीर्ण किया.
चाचा गणोश चंद्र मिश्र बैंक ऑफ इंडिया से सेवानिवृत्त हुए हैं. भतीजे की सफलता पर उन्होंने खुशी जाहिर की है. अनुनय के दादा स्व विद्यानंद मिश्र समाज के लब्ध प्रतिष्ठित व्यक्ति थे. चाचा कहते हैं कि मां-पिता के आशीर्वाद से परिवार में काफी खुशहाली है.
ज्यादा पढ़ने से नहीं, नॉलेज से मिलती है सफलता : नेहा
जमशेदपुर
नेहा को 22वां रैंक
जमशेदपुर : मानगो के डिमना रोड स्थित मून सिटी निवासी छात्र नेहा को यूपीएससी सिविल सर्विसेज प्रतियोगिता परीक्षा में 22वां रैंक मिला है. नेहा के पिता दिलीप सिंह घाटशिला स्थित ग्रामीण कार्य विभाग, कार्य अवर प्रमंडल में सहायक अभियंता और मां गीता सिंह गृहिणी हैं. नेहा बीटेक के बाद करीब चार साल तक तैयारी में जुटी रही. इससे पहले दो बार साक्षात्कार तक पहुंचने के बाद भी सफलता नहीं मिली, लेकिन उसका हौसला कम नहीं हुआ.
अंतत: तीसरे अटेंप्ट में सफलता पायी. नेहा ने पटना के सेंट माइकल स्कूल से वर्ष 2004 में 91 प्रतिशत अंकों के साथ 10वीं और वर्ष 2006 में 80 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं की परीक्षा पास की. उसके बाद वर्ष 2011 में बिट्स पिलानी से केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की. नेहा ने सोशियोलॉजी विषय का चयन किया. इससे पहले वर्ष 2012 में फस्र्ट अटेंप्ट था.
तब जियोलॉजी और सोशियोलॉजी विषय था. उसके बाद 2012 में परीक्षा का पैटर्न बदला. फिर सेकेंड अटेंप्ट 2013 में सिर्फ सोशियोलॉजी विषय रखा था. इस बार 2014 की परीक्षा में भी यही विषय रहा. उन्होंने बताया कि ज्यादा पढ़ने की जरूरत नहीं, बल्कि अपना नॉलेज बढ़ाने की जरूरत है. पढ़ाई कम और जानकारी अधिक हो, तो सफलता आसान हो जाती है. तैयारी में कोचिंग क्लास में मार्गदर्शन मिलता है, जो तैयारी में सहायक होता है.
यदि कोचिंग नहीं भी करते हैं, तो टेस्ट सीरीज लेनी चाहिए. इससे परीक्षा में प्रश्नपत्र को हल करने में लगनेवाले समय आदि का अंदाज मिल जाता है. वह मूलत: उत्तर प्रदेश के देवरिया जिला की रहनेवाली हैं. उन्होंने कहा कि यदि झारखंड कैडर मिलता है, तो काफी खुशी होगी.
टाटा स्टील की नौकरी छोड़ कर बनी आइएएस
जमशेदपुर
नेहा दुबे को 26वां रैंक
जमशेदपुर : जमशेदपुर की नेहा दुबे को सिविल सर्विसेस में 26 वां रैंक मिला है. नेहा की मम्मी उषा देवी ने कहा कि नेहा ने 15 फरवरी 2014 को टाटा स्टील की नौकरी छोड़ी और तैयारी के लिए बेंगलुरु चली गयी.
जाते वक्त उसने कहा था कि अब जब भी शहर लौटूंगी तो आइएएस बन कर ही लौटूंगी. उसने अपना वायदा पूरा किया. जब मां ने पूछा कि वह नौकरी क्यों छोड़ रही है, तो उसने कहा था कि पीएम बनने के लिए मोदी जब सीएम का पद त्याग दिये तो क्या सिविल सर्विसेज के लिए वह टाटा स्टील को नहीं छोड़ सकती. नेहा ने दसवीं की परीक्षा विद्या भारती चिन्मया विद्यालय- 2005 में 93.6 फीसदी और बारहवीं- विद्या भारती चिन्मया विद्यालय से की.
उन्होंने बीटेक- बीआइटी मेसरा से की. नेहा ने बताया कि 100 के अंदर रैंक आयेगा, ऐसी उम्मीद नहीं थी. उन्होंने कहा कि उन्हें लगता था कि 300 तक का रैंक आ सकता है. नेहा ने कहा कि टाटा स्टील में काम करने के दौरान कई अच्छी चीजें सीखी, जिसका लाभ चयन में हुआ. उन्होंने कहा कि जमशेदपुर की डीसी रही निधि खरे और हिमानी पांडेय उनकी रोल मॉडल हैं. उन्होंने बताया कि वह सिविल सर्विसेज में जाकर इस तरह का काम करना चाहती है कि यंग जेनरेशन उन्हें अपना आदर्श माने.
नेहा ने बताया कि यूपीएससी की परीक्षा में कोचिंग से ज्यादा जरूरी है मेटेरियल लेकर घर में पढ़ाई करना. इंटरनेट आने के बाद छोटे शहर के विद्यार्थी भी बेहतर तैयारी कर रहे हैं और सफलता हासिल कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इनसाइट्स इंडिया डॉट कॉम और मृणाल डॉट ओआरजी से उन्हें काफी मदद मिली.
चौथे प्रयास में नमन को मिली सफलता
रांची
नमन : 528वां रैंक
रांची : मन में दृढ़ संकल्प हो तो सफलता अवश्य मिलती है. लालपुर विराजनगर निवासी इंजीनियर नमन प्रियेश लकड़ा ने यह बात साबित की है. नमन पहले प्रयास में साक्षात्कार तक पहुंचे, दूसरे प्रयास में सफलता हाथ नहीं लगी, तीसरे प्रयास में आइआरएस में सफलता हासिल हुई और चौथे प्रयास में उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा में सफलता हासिल की. बीआइटी से वर्ष 2010 में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग में बी टेक करने के बाद उन्होंने आइएएस की तैयारी शुरू कर दी.
उन्होंने बताया कि घर वालों के सहयोग की बदौलत आज वे इस मुकाम में पहुंचे है. उनके पिता एस लकड़ा बैंक ऑफ इंडिया में वरीय शाखा प्रबंधक,मां पुष्पा वी लकड़ा केवी में शिक्षिका व बहन नेहा सोनम लकड़ा इंजीनियर हैं.
लोक प्रशासन को चुना अपना मुख्य विषय : नमन ने कहा कि मुङो प्रशासनिक सेवा में जाना था. इसी लक्ष्य को देखते हुए हमने लोक प्रशासन विषय को चुना. यह मुङो काफी रोचक लगा और मन लगाकर इसकी पढ़ाई की. जिसके बाद मुङो सफलता मिल गयी. नमन ने कहा कि उन्होंने झारखंड कैडर को चुना है. उम्मीद है कि उन्हें आइएएस व राज्य कैडर मिल जायेगा. उन्होंने कहा कि वह यहां की मिट्टी से जुड़े हैं. यहां काम करने में काफी सुविधा मिलेगी.
26 जून को दिल्ली में हुआ था साक्षात्कार : उन्होंने कहा कि 26 जून को दिल्ली में मेरा साक्षात्कार हुआ था. हेम चंद्र गुप्ता के बोर्ड में मेरा साक्षात्कार हुआ. मैं पहले भी साक्षात्कार में पहुंच चुका था.
इसलिए मेर मन में घबराहट नहीं थी. मुझसे भूमि अधिग्रहण बिल, झारखंड में सारंडा जंगल, झरिया, एचइसी, कांके नगड़ी से संबंधित व लीडरशिप के बारे में पूछा गया. उन्होंने तैयारी के लिए अंगरेजी में द हिंदू व हिंदी में प्रभात खबर पढ़कर तैयारी की. उन्होंने कहा कि उनके दोस्त मनीष रजक ने सफलता की जानकारी दी.
संत जेवियर्स स्कूल से की दसवीं की पढ़ाई : उन्होंने दसवीं तक की शिक्षा संत जेवियर्स स्कूल से पूरी की. 2004 में यहां से प्रथम श्रेणी में 84.6 प्रतिशत अंक लेकर पास किया. इसके बाद सुरेंद्र नाथ स्कूल से बारहवीं की परीक्षा 2006 में पास की और 2010 में बीआइटी से इंजीनियरिंग की परीक्षा पास की .
रांची
जेवीएम से की थी 12वीं की पढ़ाई
सृजन: 106वां रैंक
रांची : देश की सर्वश्रेष्ठ सेवाओं में एक सिविल सेवा परीक्षा में न्यू मोरहाबादी के सृजन सांडिल्य को 106 वां स्थान मिला है. आरंभ से ही पढ़ने में तेज सृजन ने अपनी 10वीं तक की पढ़ाई संत जेवियर स्कूल से पूरी की. 12वीं की पढ़ाई जेवीएम श्यामली से पूरी करने के बाद बिट्स पिलानी से बीटेक की डिग्री ली. यहीं से उन्होंने इकोनॉमिक्स में मास्टर की डिग्री भी हासिल की.
सृजन के पिता सतीश चौधरी पीडब्ल्यूडी विभाग में एक्जीक्यूटिव इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं. माता रंजना बाल संरक्षण आयोग से जुड़ी हुई हैं. सृजन की माता रंजना बताती हैं कि वह पढ़ने में आरंभ से ही काफी तेज रहा है. एक भाई और एक बहन में बड़े सृजन ने अपनी पूरी पढ़ाई साइंस बैकग्राउंड से की. इसके बावजूद इन्होंने राजनीति विज्ञान और इंटरनेशनल अफेयर विषय से सिविल सेवा परीक्षा पास की. सृजन की छोटी बहन सृजा सांभवी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही हैं.
अमड़ापाड़ा
लिपिक के बेटे को 890वां रैंक
मनीष : 890वां रैंक
अमड़ापाड़ा : पाकुड़ जिले के अमड़ापाड़ा अंचल कार्यालय में प्रधान लिपिक के पद पर कार्यरत विष्णुदेव रजक के पुत्र मनीष कुमार ने यूपीएससी की परीक्षा में 890वां रैंक हासिल किया है.
उसे आइआरएस (इंडियन रेवेन्यू सर्विस) में सेवा करनी होगी. मनीष कुमार ने दूरभाष पर बताया कि इसका श्रेय माता-पिता,भाई-बहन व गुरुजनों को जाता है. उन्होंने जवाहर नवोदय विद्यालय साहिबगंज से मैट्रिक की परीक्षा 90 प्रतिशत अंक, संत जेवियर्स रांची से आइएससी की परीक्षा 73 प्रतिशत अंक,आइआइटी खड़गपुर से बीटेक 7.33 सीजीपीए से पास किया है.
इससे पूर्व टीसीएस कंपनी, इंटेलिजेंस ब्यूरो पद के लिए भी मनीष का चयन हुआ था. जून 2013 से फरवरी 2014 तक मनीष ने ओएनजीसी में मेटेरियल मैनेजमेंट मैनेजर के पद पर भी कार्य किया. बाद में इसे छोड़ कर सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी में लगा और सफलता पायी.
साहिबगंज
स्वच्छता अभियान सफल करेंगे
रितुराज : 69वां रैंक
साहिबगंज़ : साहिबगंज शहर के सुभाष कॉलोनी निवासी मुख्य टिकट निरीक्षक पूर्व रेलवे मालदा गोकुल प्रसाद सिंह का पुत्र रितुराज ने भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में 69 वां रैंक लाया है. पिता गोकुल प्रसाद सिंह व माता निर्मला देवी ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि भगवती मां की पूजा अर्चना का फल है कि मेरा इकलौता बेटा आज आइएएस की परीक्षा पास की.
उनकी तीन पुत्री स्वाती एमबीए, दूसरे बेटी शालिनी आइआइएम व तीसरी पुत्री स्नेहा बीपीएससी की तैयारी कर रही है. पिता ने कहा कि रितुराज जिले का नाम रौशन करे, गरीबों और जरूरतमंद लोगों का मदद करे. यही कामना हैं.
रितुराज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाना पहली प्राथमिकता होगी. गंगा की गंदगी दूर करना और मिड डे मील योजना को सही तरीके से लागू करना भी प्राथमिकता हैं. गरीबों, बेसहारों को मदद करने का प्रयास करेंगे.
हजारीबाग
दूसरे प्रयास में पायी सफलता
प्रशांत: 955वां रैंक
हजारीबाग. ईमानदारी से किया गया प्रयास कभी व्यर्थ नहीं जाता. लक्ष्य निर्धारित कर मेहनत करने वाले हमेशा सफल होते है.
इस बात को चरितार्थ कर दिखाया है हजारीबाग के प्रशांत कुमार ने. उसने यूपीएससी परीक्षा में 955 वां रैंक प्राप्त कर संस्थान व हजारीबाग का नाम रोशन किया है. हजारीबाग सुभाष नगर निवासी जयमंगल सिंह व नीलम सिंह के पुत्र प्रशांत ने यह सफलता अपने दूसरे प्रयास में हासिल की है. प्रशांत कुमार ने बताया कि पापा ने मुङो बचपन से ही एक सफल व्यक्ति बनाने का सपना देखा था.
मां भी हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देती रही. सक्सेस गुरु एके मिश्र, विनय मिश्र, रीमा मिश्र व संस्थान के शिक्षकों के मार्गदर्शन और कठोर मेहनत से ही मैं यहां तक पहुंचा हूं. उन्होंने कहा कि किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए अच्छे संस्थान का चयन, ईमानदारी से कोशिश व मेहनत की जरूरत होती है. सफलता के लिए कोई शॉर्ट कट नहीं होता.
मेदिनीनगर
समर्पण का जज्बा ही मायने रखता है
शांतनु : 89वां रैंक
मेदिनीनगर : यूपीएससी की परीक्षा में पलामू के शांतनु ने सफलता हासिल की है. शांतनु को परीक्षा में 89 वां रैंक मिला है. शांतनु का कहना है कि प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कहां रह कर की जा रही है, यह बात मायने नहीं रखती. महत्वपूर्ण यह होता है कि लक्ष्य के प्रति समर्पण का भाव कितना है.
यदि लक्ष्य निर्धारित कर ईमानदारी के साथ मेहनत की जाये, तो सफलता मिलती है. शांतनु मेदिनीनगर के आबादगंज में रहते हैं. इनके पिता रामानुज शर्मा नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं. मां अनिता सिन्हा भी प्रोफेसर हैं. अब प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में इंटरनेट काफी हेल्पफुल साबित हो रहा है. इंटरनेट की सुविधा सभी जगहों पर उपलब्ध है.शांतनु को यूपीएससी की परीक्षा में दूसरे अटेंप्ट में सफलता मिली है. 2013 में वह पहली बार इस परीक्षा में शामिल हुए थे, लेकिन सफलता नहीं मिली थी.
इसीएल में सीनियर मेडिकल ऑफिसर हैं
धनबाद
डॉ सुमित : 279वां रैंक
रांची : सिविल सेवा परीक्षा में धनबाद के डॉ सुमित कुमार झा को 279वां स्थान मिला है. मूल रूप से मधुबनी के रहने वाले डॉ सुमित ने 12वीं तक की पढ़ाई धनबाद के इंडिया स्कूल ऑफ लर्निग से पूरी की. इसके बाद बेंगलुरु मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया. सामान्य श्रेणी में इन्हें पाचवीं बार में सफलता मिली है.
डॉ सुमित के पिता शैलेंद्र कुमार झा एलआइसी से डेवलपमेंट ऑफिसर के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं. वहीं माता संध्या झा गृहिणी हैं. पढ़ाई में तेजतर्रार डॉ सुमित झा ने सिविल सेवा की तैयारी साल 2010 से शुरू की. एमबीबीएस करने के बाद दिल्ली के कई अस्पतालों में नौकरी की. फिलवक्त वे गोड्डा में इस्टर्न कोल्डफील्ड लिमिटेड में बतौर सीनियर मेडिकल ऑफिसर के रूप में कार्यरत हैं.
रांची
सफलता का श्रेय अपने परिवार को
डॉ कुणाल: 458वां रैंक
रांची : रांची के रहनेवाले कुणाल कुमार ने भी यूपीएससी परीक्षा में 458वां रैंक हासिल किया है. रांची विवि के पीजी गणित विभागाध्यक्ष डॉ अनिल कुमार महतो व मारवाड़ी कॉलेज अंग्रेजी विभाग की प्राध्यापिका डॉ स्नेहप्रभा महतो के पुत्र कुणाल की आरंभिक शिक्षा जेवीएम श्यामली से हुई है.
इसके बाद इन्होंने एमआइटी मणिपाल विवि से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. कुणाल बताते हैं कि वे फिलहाल टीसीएस बेंगलुरु में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. इन्होंने अपना वैकल्पिक विषय समाजशास्त्र रखा था. अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को दिया है. कुणाल की बहन फिलहाल अमेरिका में इंडियाना यूनिवर्सिटी से एमबीए कर रही है. कुणाल की इस सफलता पर पूरा परिवार खुश है. डॉ अनिल कहते हैं कि कुणाल आरंभ से ही होनहार रहा है.
हजारीबाग
एमबीबीएस के बाद आइएएस
ऋषभ: 600वां रैंक
हजारीबाग : हजारीबाग के हरनगंज निवासी ऋषभ सिन्हा ने यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल की है. उसे 600वां रैंक मिला है. ऋषभ ने दसवीं की पढ़ाई संत जेवियर्स स्कूल हजारीबाग, व 12वीं की पढ़ाई डीएवी श्यामली रांची व एमबीबीएस की पढ़ाई केएमसी मणिपुर से पूरा की.
2012 में पीजी की पढ़ाई के लिए रिम्स में दाखिला लिया. 2014 में ट्रॉपिकल मेडिसिन में पीजी की पढ़ाई पूरी की. ¬षभ ने बताया कि यूपीएससी में जो भी सर्विस मिलेगा, उसे स्वीकार है. सभी सर्विस बेहतर होते हैं. वैसे उम्मीद है कि मैं आइआरएस में जाऊंगा.
ऋषभ ने कहा कि यूपीएसी की परीक्षा में तीसरी बार शामिल होकर सफलता हासिल की है. पिछली बार मुख्य परीक्षा दी थी. मेरा विषय ट्रॉपिकल मेडिसिन था. रिम्स में पीजी की पढ़ाई के साथ-साथ यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की. किसी विशेष शिक्षक या कोचिंग संस्थानों से मदद नहीं ली. यूटीयू मुरुनल डॉट ओआरजी से तैयारी की.
रांची
बीआइटी के छात्र हैं नितिन
नितिन : 400वां रैंक
रांची : रांची हिनू के रहनेवाले नितिन रंजन ने यूपीएससी की परीक्षा में 400वां रैंक पाया है. नितिन रंजन रांची विवि एकेडमिक स्टाफ कॉलेज के निदेशक डॉ अशोक कुमार चौधरी व रांची कॉलेज अर्थशास्त्र विभाग की प्राध्यापक डॉ रेखा झा के पुत्र हैं. नितिन राज्य के उत्पाद सचिव सह आयुक्त डॉ सुनील कुमार सिंह के दामाद हैं.
नितिन अपनी स्कूली शिक्षा जेवीएम श्यामली से पूरी करने के बाद बीआइटी मेसरा से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन से डिग्री हासिल करने के बाद रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड में एक्सीक्यूटिव बने. नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने आइएएस की तैयारी की. इस बीच इनका चयन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में पीओ के पद पर हो गया, वे इसी वर्ष सितंबर माह में योगदान करनेवाले थे. नितिन बताते हैं कि उन्होंने वैकल्पिक विषय के रूप में पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन विषय रखा. नितिन ने अपने पहले प्रयास में ही सफलता हासिल की है.
धनबाद
कंप्यूटर साइंस में ऑनर्स है ज्योति
ज्योति: 1032वां रैंक
धनबाद : तोपचांची(धनबाद) में पुलिस इंस्पेक्टर राजकपूर की बेटी ज्योति कपूर ने यूपीएससी की परीक्षा में 1032 वां स्थान हासिल किया है. जेएनयू दिल्ली में सोशियोलॉजी से एमए करने के बाद मध्यम वर्गीय परिवार की लड़की ज्योति ने रांची में रह कर यूपीएससी की तैयारी की और सफलता पायी. उन्होंने यूपीएससी 2015 की परीक्षा में जेनरल कोटा से 1032 वां रैंक प्राप्त किया है.
ज्योति ने मैट्रिक डीएवी, हेहल रांची़ से किया और इंटर डीएवी श्यामली, रांची से की़ उसके बाद हंसराज दिल्ली से कंप्यूटर साइंस ऑनर्स, जेएनयू दिल्ली से सोशियोलॉजी से एमए की. उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों से कहा कि स्टडी पर पूरा फोकस करें. मेहनत लगातार होनी चाहिए. क्या पढ़ रहे हैं, उसकी उपयोगिता क्या है, यह जानना जरूरी है़ ज्योति ने पीटी और मेंस की तैयारी घर में रह कर की.
इंजीनियर बनने के बाद की तैयारी
धनबाद : अमृता: 1032वां रैंक
रांची : धनबाद मुरली नगर निवासी अमृता सिन्हा ने चौथे प्रयास में संघ लोक सेवा की परीक्षा में सफलता हासिल की है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 में हमने संघ लोक सेवा की परीक्षा दी थी. उसमें साक्षात्कार तक गयी थी, लेकिन चयन नहीं हो पाया था.
मेरी बहन विनिता सिन्हा जो आइआरएस है. ने प्रेरित किया. पुन: दो बार परीक्षा नहीं पास कर सकी. इस बार चयन हो गया है. वर्ष 2013 में उतर प्रदेश के सहकारिता विभाग में सहायक आयुक्त के पद पर चयन हो गया था. अमृता की स्कूली शिक्षा धनबाद से हुई है.
उन्होंने डीपीएस धनबाद से दसवीं व बारहवीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की. उनके पिता ओपी सिन्हा व मां एम सिन्हा बीसीसीएल की अधिकारी रही हैं. एक बहन डॉ सुनीता सिन्हा डेंटल सजर्न है वहीं दूसरी बहन विनीता आइआरएस हैं. बड़ा भाई डॉ अविनाश सिन्हा व दूसरा भाई प्रवीण कुमार भी चिकित्सक है.वह भी पीजी अंतिम वर्ष का छात्र है.

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