जरूरी है खुद पर विश्वास रखना
अनहोनी कभी दस्तक देकर नहीं आती, लेकिन अनहोनी के घटित होने पर यदि वक्त रहते मदद मिल जाये, तो उसके परिणाम को दुख में तब्दील होने से रोका जा सकता है. इसी विचार के साथ श्वेता मंगल ने अपने दोस्तों के सहयोग से डायल 1298 की शुरुआत की. 1298 वह सुविधा है, जिससे लोगों को […]
अनहोनी कभी दस्तक देकर नहीं आती, लेकिन अनहोनी के घटित होने पर यदि वक्त रहते मदद मिल जाये, तो उसके परिणाम को दुख में तब्दील होने से रोका जा सकता है. इसी विचार के साथ श्वेता मंगल ने अपने दोस्तों के सहयोग से डायल 1298 की शुरुआत की. 1298 वह सुविधा है, जिससे लोगों को मुफ्त एंबुलेंस की सेवा मिलती है. देखते-ही-देखते मुफ्त एंबुलेंस की सेवा देनेवाले इस विचार ने श्वेता को एक सफल व्यवसायी की पहचान दिला दी. इसका विचार श्वेता के मन में कैसे आया, जानते हैं खुद उन्हीं से..
वर्ष 2003 की बात है, मेरे दोस्त शाफी की मां की तबियत अचानक खराब हो गयी. आधी रात का समय था और उसकी मां की सांस रुक रही थी. शाफी को ऐसी किसी चिकित्सकीय सुविधा की जानकारी नहीं थी, जिससे वह मदद मांग सके. उसने कुछ लोगों को फोन किया, लेकिन किसी की मदद नहीं मिल सकी. आखिर में शाफी ने हिम्मत करके मां को कार की पिछली सीट पर रखा और खुद कार चला कर नजदीकी अस्पताल ले गया. शाफी के साथ घटी इस घटना ने मुङो और मेरे बाकी दोस्तों को झकझोर दिया था. अभी मैं इस घटना को भूल भी नहीं पायी थी कि मेरे एक और मित्र रवि के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. रवि की मां की तबियत खराब होने पर उसने एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन वक्त पर एंबुलेंस न पहुंच पाने से उसकी मां ने दम तोड़ दिया. इस घटना के कुछ दिनों बाद ही गुजरात हाइवे पर रवि के एक दोस्त का एक्सिडेंट हो गया और घटना स्थल पर ही उसका देहांत हो गया.
सिलसिलेवार घटनेवाली इन घटनाओं ने मुङो और मेरे दोस्तों को सोचने पर मजबूर कर दिया. यदि रवि के दोस्त को वक्त पर एंबुलेंस की मदद मिल जाती, तो शायद आज वह जिंदा होता. अपनों के साथ घटी इन दुर्घटनाओं के चलते ही मेरे जेहन में एक ऐसी एंबुलेंस सुविधा की शुरुआत करने का ख्याल आया, जो अचानक स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार हुए लोगों को वक्त रहते अस्पताल पहुंचा सके, ताकि अस्पताल पहुंचने में हुई देरी के चलते फिर किसी को अपनी जान न गवानी पड़े. जब मैंने इस विचार के बारे में अपने दोस्त नरेश जैन, रवि कृष्ण और मनीष सचेती को बताया, तो उन्होंने एंबुलेंस सुविधा डायल 1298 की शुरुआत करने में मेरा साथ देने का फैसला कर लिया.
दो वर्षो तक खर्च किया अपना पैसा
डायल 1298 वह सुविधा है, जो जरूरतमंदों को अस्पताल पहुंचाने के लिए मुफ्त एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराती है. जाहिर है कि डायल 1298 की शुरुआत करने के लिए पैसों का इंतजाम करना हमारे लिए एक बड़ी चुनौती थी. फिर भी दो एंबुलेंस खरीद कर हमने डायल 1298 की शुरुआत करने के बारे में सोचा, लेकिन यह भी आसान नहीं था. एक एंबुलेंस की कीमत 18 से 20 लाख के आस-पास थी. तब हमने अपना फंड लगा कर दो एंबुलेंस खरीदी और दो वर्षो तक अपने ही फंड से डायल 1298 को चलाया.
इसके बाद हमें महसूस होने लगा कि हमें इस सुविधा को जारी रखने के लिए और पैसों के इंतजाम के बारे में सोचना होगा. इसके बाद हमने निवेशकों को ढूंढ़ना शुरू कर दिया. अंतत: वर्ष 2007 में हम फंड का इंतजाम करने में सफल हो गये. इस फंड से हमने मुंबई में व्यवसाय के रूप में डायल 1298 की नींव रखी. हमने कभी भी डायल 1298 की सुविधा को व्यवसाय में बदलने के बारे में नहीं सोचा था. न ही हमने इसकी शुरुआत पैसे कमाने के इरादे से की थी. लेकिन, कुछ समय बाद हमने महसूस किया कि परोपकार की भावना के साथ यदि कोई भी काम किया जाता है, तो उसके लिए किसी बड़े कॉरपोरेट हाउस का समर्थन जरूर मिल जाता है. बिना समर्थन के ऐसे काम ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाते.
सब्सिडी पर काम करता है डायल 1298
इसके बाद हमने व्यवस्थित रूप से इस काम को आगे बढ़ाना शुरू किया. डायल 1298 की सुविधा सोसाइटी के हर वर्ग के लिए थी, लेकिन हमने कुछ नियमों के अनुसार इसे आगे बढ़ाने का फैसला किया. हमने तय किया कि डायल 1298 के माध्यम से प्राइवेट अस्पताल जाने की सुविधा मांगनेवालों से हम शुल्क के रूप में 1,500 रुपये लेंगे. वहीं सरकारी अस्पताल पहुंचाने के लिए डायल 1298 एंबुलेंस की सुविधा मांगनेवालों से हम आधे पैसे यानी 750 रुपये ही लेंगे. हां, मगर इमरजेंसी या रोड एक्सिडेंट के केस में हमने किसी भी तरह का शुल्क न लेने का फैसला किया. एक्सिडेंट के केस में हम घटना का शिकार हुए व्यक्ति को सरकारी अस्पताल पहुंचाने के साथ उसे एडमिट भी कराते हैं.
आगे बढ़ने की है तैयारी
डायल 1298 की शुरुआत हमने दो एंबुलेंस के साथ मुंबई से की थी, लेकिन आज हम केरल और बिहार के लोगों को भी यह सुविधा देते हैं. हमारे पास मुंबई में 50 एंबुलेंस, केरल में 30 एंबुलेंस और पटना में 11 एंबुलेंस उपलब्ध हैं. डायल 1298 की सुविधा को व्यवस्थित करने में हमने सफलता हालिस कर ली है और आनेवाले तीन वर्षो में हम इस सुविधा को अन्य शहरों तक पहुंचाने की तैयारी भी कर रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में इस सुविधा को पहुंचाने के लिए हम टेंडर के माध्यम से सरकार के साथ काम करने के बारे में सोच रहे हैं.