”जुम्मे के दिन” होगी नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ की मुलाकात
उफा : भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से कल यानी शुक्रवार को मुलाकात कर सकते हैं. इस संबंध में जब पत्रकारों ने भारतीय विदेश सचिव एस जयशंकर से बुधवार को पूछा तो उन्होंने कहा कि दोनों प्रधानमंत्रियों की मुलाकात की संभावनाएं बन रही हैं. लेकिन जयशंकर ने दोनों […]
उफा : भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से कल यानी शुक्रवार को मुलाकात कर सकते हैं. इस संबंध में जब पत्रकारों ने भारतीय विदेश सचिव एस जयशंकर से बुधवार को पूछा तो उन्होंने कहा कि दोनों प्रधानमंत्रियों की मुलाकात की संभावनाएं बन रही हैं. लेकिन जयशंकर ने दोनों की मुलाकात पर फिलहाल मुहर नहीं लगायी है.
रुस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मोदी की द्विपक्षीय मुलाकातों पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में जब विदेश सचिव से मोदी-शरीफ मुलाकात के बारे में पूछा गया तो उन्होंने मुलाकात की पुष्टि करने से इनकार कर दिया. दोनों नेताओं के शुक्रवार को मिलने के संकेतों के बीच किए गए एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि संभावनाएं तो होती ही हैं. लेकिन है या नहीं, मैं यह कह नहीं सकता.
देश सचिव ने बार-बार कहा कि यदि मुलाकात होगी तो मीडिया को बता दिया जाएगा. पाकिस्तान की मीडिया में आ रही खबरों कि भारत ने दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच मुलाकात की पेशकश की थी, इस पर जयशंकर ने कहा कि मैं नहीं समझता कि यह अहम बिंदु है कि किसने किससे पहल की ब भी ब्रिक्स और एससीओ जैसे शिखर सम्मेलन होते हैं, तो अमूमन इनके इतर द्विपक्षीय मुलाकातें होती हैं. उन्होंने बार-बार कहा कि वह इस मुद्दे में नहीं पडना चाहते क्योंकि वह यह नहीं कह सकते कि मुलाकात होगी या नहीं.
मोदी और शरीफ पिछली बार नवंबर में काठमांडो में दक्षेस सम्मेलन में मिले थे, लेकिन उनके बीच कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं हुई थी. प्रधानमंत्री ने रमजान के पवित्र महीने की शुरुआत में शरीफ को फोन किया था और शांतिपूर्ण द्विपक्षीय संबंध की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्हें बधाई दी थी. इस बातचीत के दौरान मोदी ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष को जेलों में बंद पाकिस्तानी मछुआरों को रमजान के मौके पर रिहा करने के भारत के फैसले से भी अवगत कराया था.
इस फोन को पाकिस्तान से संपर्क कायम करने की एक पहुंच के रुप में देखा गया था क्योंकि उससे पहले दोनों देशों के नेता बांग्लादेश में मोदी की पाकिस्तान के संबंध में तीखी टिप्पणी और म्यामां में भारत की सैन्य कार्रवाई के बाद तीक्ष्ण वाक्युद्ध में उलझ गये थे.