बुनकरों के उत्थान के लिए की पहल

बुनकरों के उत्थान के लिये सार्थक पहल करने पर अमेरिका के प्रतिष्ठित ग्लोबल सिटिजन फेस्टिवल में सम्मानित उत्तर प्रदेश की बानो फातिमा का मानना है कि सिर्फ सियासी वादों से नहीं बल्कि उन पर अमल से ही बुनकरों की समस्याएं खत्म हो सकेंगी. देश में बुनकरों के सामने सामाजिक, आर्थिक तथा लैंगिक स्तर के साथ-साथ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 5, 2013 6:32 AM

बुनकरों के उत्थान के लिये सार्थक पहल करने पर अमेरिका के प्रतिष्ठित ग्लोबल सिटिजन फेस्टिवल में सम्मानित उत्तर प्रदेश की बानो फातिमा का मानना है कि सिर्फ सियासी वादों से नहीं बल्कि उन पर अमल से ही बुनकरों की समस्याएं खत्म हो सकेंगी. देश में बुनकरों के सामने सामाजिक, आर्थिक तथा लैंगिक स्तर के साथ-साथ स्वास्थ्य के मोरचे पर भी अनेक चुनौतियां हैं.

संघर्ष भरी है उनकी जिंदगी
बानो का पैतृक ग्राम बाराबंकी का बड़ागांव है और उन्होंने इसी गांव से बुनकरों के उत्थान के लिए काम शुरू किया था. उन्हें हाल में न्यूयॉर्क के प्रतिष्ठित ग्लोबल सिटिजन फेस्टिवल में एचपी लाइफ एंटरप्रिन्योरशिप अवार्ड से सम्मानित किया गया है. बानो का कहना है कि बुनकर आर्थिक मोरचे पर कड़े संघर्ष के दौर से गुजर रहे हैं. ज्यादातर बुनकर असंगठित क्षेत्र के हैं और उत्पादन तथा विपणन की नयी तकनीक से नावाकिफ हैं. इसके लिये सरकार से भी कोई सार्थक मदद नहीं मिल पाने के कारण उन्हें पावरलूम सेक्टर से तगड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही है. गरीबी की वजह से बुनकरों का एक बड़ा तबका अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज पाता, जिसकी वजह से उनकी दुश्वारियां पीढ़ी-दर-पीढ़ी बरकरार रहती हैं.

आर्थिक मदद की हो पेशकश
बुनकर बिरादरी दलालों के हाथों जबर्दस्त शोषण का शिकार है. उन्हें एक चादर बुनने के लिये बमुश्किल 25 रुपये का मेहनताना दिया जाता है. साथ ही घंटों तक झुक कर काम करने के कारण उन्हें रीढ़ की हड्डी में दर्द की समस्या भी होती है. इन सब कारणों से बुनाई के काम में लगे लोगों की नयी पीढ़ी इस कारोबार से कतराने लगी है. बुनकरों के उत्थान के लिये इन्हें बाजार और तकनीकी जानकारी से लैस करने की सख्त जरूरत है. स्वयं सहायता समूहों के जरिये उनकी मदद की जा सकती है. बानो ‘वीवर्स हट’ पहल के तहत बाराबंकी के कुछ और गांवों को भी जोड़ना चाहती हैं और वह बुनकर समुदाय की लड़कियों के लिये छात्रवृत्ति शुरू करने की योजना बना रही हैं.

वीवर्स हट अभियान से की शुरुआत
सक्सेस यूनिवर्सिटी में ‘इंटरनेशनल डेवलपमेंट’ की पढ़ाई कर रही 24 वर्षीय बानो ने बड़ागांव में करीब तीन साल पहले बुनकरों की हालत सुधारने के लिये अपनी बहन नबीला की मदद से ‘वीवर्स हट’ नामक पहल शुरू की थी. इसके तहत उन्होंने बुनकरों को अपने उत्पाद को खुद बाजार में बेचने के लिये दिल्ली समेत विभिन्न शहरी केंद्रों में प्रदर्शनियां लगवायीं. उन्हें नयी तकनीक तथा बाजार की जानकारी उपलब्ध करायी. इसके अलावा उत्पाद आपूर्ति के बड़े ऑर्डर हासिल करने की जानकारी भी दी. उन्होंने बताया कि बुनकरों के सामाजिक उत्थान के लिये समुदाय की महिलाओं से बातचीत करके उनकी समस्याओं के समाधान की कोशिश की गयी.

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