आनंद का नाम है भक्ति : मुकेश शास्त्री
फोटो, नं.- 4 (प्रवचन करते संत ) झाझा . भक्ति आनंद का नाम है जिसे जानने के लिए सत्संग आवश्यक है. मान, दानव व देवता दिखने में एक जैसा लगते हैं पर उनके कर्मों से ही उसे पहचाना जा सकता है. कर्म से स्वरुप बदल जाता है. उक्त बातें स्थानीय श्याम मंदिर में आयोजित हो […]
फोटो, नं.- 4 (प्रवचन करते संत ) झाझा . भक्ति आनंद का नाम है जिसे जानने के लिए सत्संग आवश्यक है. मान, दानव व देवता दिखने में एक जैसा लगते हैं पर उनके कर्मों से ही उसे पहचाना जा सकता है. कर्म से स्वरुप बदल जाता है. उक्त बातें स्थानीय श्याम मंदिर में आयोजित हो रहे भागवत कथा के दौरान पंडित मुकेश मोहन शास्त्री ने कही. कृष्ण बाल लीला का वर्णण करते हुए उन्होंने कहा कि यमुना का जल शुद्ध करने के लिए प्रभु ने काली का नाश नाश कर प्रदूषणमुक्त किया और अपने लीलाओं से पंच तत्वों की शुद्धि की. इस दौरान श्री शास्त्री ने मानव, दानव एवं देवताओं किये गये कर्मों की भी विस्तारपूर्वक व्याख्या करते हुए बताया कि किस प्रकार अपने कर्मों के द्वारा मानव, दानव एवं देवता जाने जाते हैं. इस दौरान बीच-बीच में रासलीला एवं भजन-कीर्तन का भी आयोजन किया गया. मौके पर मुख्य यजमान के रुप में विनोद यादव एवं उनकी धर्मपत्नी संगीता देवी मौजूद थी. कार्यक्रम को सफल बनाने में संजय जालान, अजय छापडि़या, उमंग डालमिया, सीताराम पोद्दार, मनोज बंका, सुरेश अग्रवाल, पप्पू यादव, राजकुमार यादव समेत कई लोगों ने अपना सराहनीय योगदान दिया.