बरकरार है डाक की प्रासंगिकता

डाक कई दशकों तक देश के अंदर ही नहीं, बल्कि एक देश से दूसरे देश तक सूचना पहुंचाने का सर्वाधिक विश्वसनीय, सुगम और सस्ता साधन रहा है, लेकिन इस क्षेत्र में निजी कंपनियों के बढ़ते दबदबे और फिर सूचना तकनीक के नये माध्यमों के प्रसार के कारण डाक विभाग की प्रासंगिकता लगातार कम होती गयी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 9, 2013 2:40 AM

डाक कई दशकों तक देश के अंदर ही नहीं, बल्कि एक देश से दूसरे देश तक सूचना पहुंचाने का सर्वाधिक विश्वसनीय, सुगम और सस्ता साधन रहा है, लेकिन इस क्षेत्र में निजी कंपनियों के बढ़ते दबदबे और फिर सूचना तकनीक के नये माध्यमों के प्रसार के कारण डाक विभाग की प्रासंगिकता लगातार कम होती गयी है.

वैसे इसकी प्रासंगिकता पूरी दुनिया में अब भी बरकरार है, लेकिन डाक विभाग का एकाधिकार लगभग खत्म हो गया है. यही कारण है कि डाक विभाग दुनियाभर में अब कई नयी तकनीकी सेवाओं से जुड़ रहा है. विश्व डाक दिवस (9 अक्तूबर) के मौके पर हम नजर डालते हैं दुनियाभर में डाक विभाग और डाक व्यवस्था की मौजूदा स्थितियों पर..

चिट्ठी आयी है, आयी है, चिट्ठी आयी है.. 1980 के दशक के आखिरी वर्षो में नाम फिल्म का यह गीत काफी लोकप्रिय हुआ था. फिल्म का नायक विदेश में रहता है और स्वदेश से आयी चिट्ठी की क्या अहमियत है, इसे ही इस गीत के माध्यम से दर्शाया गया है.

हालांकि, हाइटेक होती जा रही दुनिया में अब भले ही चिट्ठियों के आने का सिलसिला कम हो गया हो, लेकिन डाक विभाग की प्रासंगिकता अब भी बरकरार है.

पिछले कई दशकों तक एक देश से दूसरे देश तक सूचना पहुंचाये जाने का यह सर्वाधिक विश्वसनीय, सुगम और सस्ता साधन माना जाता रहा है. बदलते समय के साथ सूचना भेजने के माध्यमों पर निजी कंपनियों का दबदबा कायम होता गया और डाक विभाग की प्रासंगिकता कम होती गयी.

एक समय था, जब सूचना के आदानप्रदान का एकमात्र और सबसे बड़ा साधन डाक ही हुआ करता था. हालांकि, इसकी प्रासंगिकता अब भी बरकरार है, लेकिन तकनीक के बदलते हुए इस दौर ने सूचना के आवागमन के इसके एकाधिकार को खत्म कर दिया है. यह बात सही है कि सूचना के संप्रेषण पर डाक विभाग का एकाधिकार खत्म हो गया है, लेकिन इसके कुछ अलग तरह के फायदे और नुकसान भी हैं.

जहां तक किसी तरह के विश्सनीय सबूत को पेश करने का मसला है, तो इस मामले में डाक द्वारा भेजी गयी सामग्री और उसके नेटवर्क से ढूंढ़े गये पते को सबूत के तौर पर मान्यता दी जाती है.

विश्व डाक दिवस

दुनियाभर में आज यानी नौ अक्तूबर को विश्व डाक दिवस के तौर पर मनाया जाता है. वर्ष 1874 में आज ही के दिन यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) का गठन करने के लिए स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में 22 देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था. वर्ष 1969 में टोकियो, जापान में आयोजित सम्मेलन में विश्व डाक दिवस के रूप में इसी दिन को चयन किये जाने की घोषणा की गयी.

दरअसल, यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बनने वाला भारत पहला एशियाइ देश था. एक जुलाई, 1876 को भारत इसका सदस्य बना था. जनसंख्या और अंतरराष्ट्रीय मेल ट्रैफिक के आधार पर उस समय सदस्यों की छह श्रेणियां थीं और भारत शुरू से ही प्रथम श्रेणी का सदस्य रहा. संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन के दो वर्ष बाद यानी 1947 में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन संयुक्त राष्ट्र की एक विशिष्ट एजेंसी बन गयी.

आयोजन का मकसद

विश्व डाक दिवस का मकसद आम आदमी और कारोबारियों के रोजमर्रा के जीवन समेत देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में डाक क्षेत्र के योगदान के बारे में जागरुकता पैदा करना है. आम आदमी के जीवन में डाक संबंधी गतिविधियों और इसके कार्यक्रमों की भूमिका को रेखांकित करते हुए सदस्य देशों में इस दिवस का आयोजन किया जाता है.

दुनियाभर में प्रत्येक वर्ष 150 से ज्यादा देशों में विविध तरीकों से विश्व डाक दिवस आयोजित किया जाता है. कुछ देशों में, इसे कार्यदिवस के तौर पर भी आयोजित किया जाता है. जहां ज्यादातर देशों में इस अवसर पर नयी डाक सेवाएं जारी की जाती हैं, वहीं कुछ देशों में कुछ अच्छी सेवाओं के लिए चुनिंदा कर्मचारियों को पुरस्कृत भी किया जाता है.

डाक टिकटों का संग्रह करनेवालों के लिए कई देशों में फिलेटेलिक प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है. इस अवसर पर नये डाक टिकट जारी किये जाते हैं. सम्मेलन और सेमिनार के आयोजन समेत सार्वजनिक स्थानों, डाक घरों में विश्व डाक दिवस पोस्टर प्रदर्शित किये जाते हैं.

चुनौतियां और रणनीति

डाक सेवाओं के बदलते माहौल और उभर रही नयी कारोबारी चुनौतियों ने इस ओर ध्यान आकृष्ट किया है. विशेष रणनीति और कार्यक्रमों के माध्यम से ही इसका समाधान किया जा सकता है.

योजनाबद्ध रणनीति तैयार करने से यूपीयू के सदस्यों को नयी चुनौतियों से निबटने और संचालन की नयी प्रणालियों को अपनाने में बेहतर मदद मिलती है. सितंबर, 2012 में दोहा पोस्टल स्ट्रेटजी के तहत 2013-2016 के लिए यूपीयू सम्मेलन में रणनीति बनायी गयी थी. इससे सदस्य देशों को मूल्य आधारित सेवाएं और रणनीतिक रोड मैप तैयार करने में मदद मिली.

संविधान और नियम

यूपीयू का संविधान तमाम तरह के नियमों समेत मौलिक अधिनियमों की एक संहिता है. यह एक रणनीतिक अधिनियम है, जिसे प्रत्येक सदस्य देश के सक्षम प्राधिकरणों द्वारा विनियमित किया जाता है. जरूरत के मुताबिक इसके सम्मेलन के दौरान इसमें संशोधन किया जा सकता है.

इसमें अंतरराष्ट्रीय पोस्टल सेवा और लेटरपोस्ट पार्सलपोस्ट सेवाओं के प्रावधानों के संदर्भ में लागू किये जानेवाले सामान्य नियमों और अधिनियमों की व्याख्या की गयी है. सदस्य देश इसकी प्रचलित मान्यताओं और अधिनियमों का पालन किये जाने के प्रति बाध्य होते हैं.

इंटरनेशनल ब्यूरो

इंटरनेशनल ब्यूरो, यूपीयू का मुख्यालय स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में स्थित है. यहां तकरीबन 50 विभिन्न देशों के ढाई सौ से ज्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं. यह ब्यूरो यूपीयू निकायों के सचिवालय संबंधी कार्यो का संपादन करता है. सदस्य देशों के बीच यह सूचना और सलाह देने समेत तकनीकी सहयोग को भी बढ़ावा देता है.

हाल के वर्षो में, इंटरनेशनल ब्यूरो ने कुछ गतिविधियों में मजबूत नेतृत्व की भूमिका निभायी है. इसमें पोस्टल तकनीक केंद्र के माध्यम से संबंधित तकनीकी अनुप्रयोग भी शामिल हैं. इससे डायरेक्ट मेल समेत कई अन्य सेवाओं के लिए जरूरी क्षमता हासिल होती है और वैश्विक स्तर पर सेवाओं की गुणवत्ता की निगरानी की जाती है.

इसके क्षेत्रीय संयोजक सर्वाधिक प्रभावी तरीकों से विकासशील देशों को पोस्टल सुविधाएं मुहैया कराने में मजबूती प्रदान करते हैं. अपने क्षेत्रों में जारी परियोजनाओं की प्लानिंग, तैयारी, कार्यान्वयन समेत जरूरी विकास पर नजर रखते हैं.

इलेक्ट्रॉनिक सेवाएं

बदलते हुए तकनीकी दौर में दुनियाभर की डाक व्यवस्थाओं ने मौजूदा सेवाओं में सुधार करते हुए खुद को नयी तकनीकी सेवाओं के साथ जोड़ा है और डाक, पार्सल, पत्रों को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए एक्सप्रेस सेवाएं शुरू की हैं. डाक घरों द्वारा मुहैया करायी जानेवाली वित्तीय सेवाओं को भी आधुनिक तकनीक से जोड़ा गया है. नयी तकनीक आधारित सेवाओं की शुरूआत तकरीबन 20 वर्ष पहले की गयी और उसके बाद से इन सेवाओं का और तकनीकी विकास किया गया.

साथ ही, इस दौरान ऑनलाइन पोस्टल लेनदेन पर भी लोगों का भरोसा बढ़ा है. यूपीयू के एक अध्ययन में यह पाया गया है कि दुनियाभर में इस समय 55 से भी ज्यादा विभिन्न प्रकार की पोस्टल सेवाएं उपलब्ध हैं. भविष्य में पोस्टल सेवाओं की संख्या और अधिक बढ़ायी जायेगी.

वित्तीय सेवाएं

डाक घर की ओर से नागरिकों को वित्तीय सेवाएं भी मुहैया करायी जाती हैं. कई देशों में ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को बैंकिंग और वित्तीय सुविधा हासिल होने का यह एकमात्र जरिया है. आज दुनियाभर में डेढ़ अरब से ज्यादा लोग पोस्टल की पोस्टल खातों समेत वित्तीय सेवाओं की सुविधाओं का फायदा उठाते हैं.

ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का जीवन स्तर उठाने के मकसद से कार्यरत इंटरनेशनल फंड फॉर एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट (आइएफएडी) यूपीयू के साथ मिल कर काम कर रहा है. अफ्रीका और केंद्रीय एशिया के ग्रामीण इलाकों में मुद्राहस्तांतरण सेवाओं के लिए जरूरी ढांचा निर्माण में यह मदद कर रहा है.

आइएफएडी के अनुसार, विकासशील देशों में तकरीबन डेढ़ अरब गरीब आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है. और मुद्राहस्तांतरण का करीब 40 फीसदी हिस्सा इन्हीं ग्रामीण इलाके के लोगों को किया जाता है.

(स्नेत: यूपीयू)

यूपीयू की गतिविधियां

* वित्तीय सेवाएं

* सामान्य पॉलिसी मामले

* पार्सल

* पोस्टल अर्थशास्त्र

* सतत विकास

* तकनीकी सहयोग

डॉट पोस्ट

डॉट पोस्ट एक प्रकार का शीर्षस्तरीय प्रायोजित डोमेन (स्पॉन्सर्ड टॉपलेवल डोमेन) है, जो पोस्टल क्षेत्र के लिए उपलब्ध है. साइबरस्पेस में वैश्विक पोस्टल समुदाय की जरूरतों को पूरा करने के लिए इंटरनेट पर यह एक सुरक्षित और भरोसेमंद इलेक्ट्रॉनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर है.

डॉट पोस्ट को बहुत जल्द वैधानिक पोस्टल सेवा के तौर पर मान्यता दी जानेवाली है और इससे किसी तरह के व्यक्तिगत, कारोबारी या अन्य प्रकार के भ्रम की स्थिति को दूर किया जा सकेगा. पोस्ट, फाइनेंस, कॉमर्स और गवर्नमेंट सेवाओं की सुविधाओं को स्थापित करने के मकसद से डॉट पोस्ट को भौतिक, वित्तीय और इलेक्ट्रॉनिक आयामों से एकीकृत करना है. डॉट पोस्ट के उपभोक्ताओं को ये फायदे होंगे.

सुरक्षा : इसके उपयोगकर्ताओं को अत्याधुनिक इंटरनेट सुरक्षा मुहैया करायी जायेगी.

विश्वसनीयता : समग्र समुदाय को यह पूर्णतया विश्वसनीय संचार सुविधा मुहैया करायेगा.

इंटरकनेक्टिविटी : सुरक्षित और भरोसेमंद माहौल में नियंत्रित इंटरकनेक्टिविटी की सुविधा दी जायेगी.

इंटरऑपरेबिलिटी : यूपीयू के मानकों का इस्तेमाल करते हुए नयी अंतरराष्ट्रीय डिजिटल सेवाएं मुहैया करायी जायेंगी.

डाक का लगातार कम होता कारोबार

इंटरनेट का कारोबार बढ़ने से डाक सेवाओं के लाभ में कमी रही है. साथ ही, इस क्षेत्र में कायम इसका एकाधिकार भी खत्म हो रहा है और निजी कंपनियों से इसे चुनौतियां मिल रही हैं.

संयुक्त राष्ट्र को यूपीयू द्वारा सौंपी गयी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2011 तक दुनियाभर में डाक की संख्या में तकरीबन चार फीसदी की गिरावट आयी है. खासकर विकसित देशों में यह गिरावट ज्यादा देखी गयी है.

यूनाइटेड किंगडम

इस इस देश में 500 वर्ष पुरानी रॉयल मेल सेवा को बेचने की तैयारी हो रही है.

अमेरिका

अमेरिका में वर्ष 2012 में 65 अरब डॉलर की राजस्व प्राप्ति हुई और तकरीबन 16 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. यहां शनिवार को डाक सेवाओं का वितरण बंद रहता है.

न्यूजीलैंड

सप्ताह में छह दिन डाक वितरण के बजाय अब महज तीन दिन ही किया जायेगा इसका वितरण.

फ्रांस

इस देश की डाक सेवा ने अनुमान लगाया है कि 2008 के मुकाबले यहां 2015 तक चिट्ठियों के वितरण में 30 फीसदी तक की कमी सकती है.

जापान

इस देश में पिछले वर्ष चिट्ठियों के वितरण में 13 फीसदी की कमी आयी.

डेनमार्क

एक वर्ष में डाक सेवाओं में 12 फीसदी की कमी आयी.

डाकघर के बिना कैसी होगी दुनिया

क्या हम आज किसी ऐसी दुनिया की कल्पना कर सकते हैं, जिसमें डाक की व्यवस्था हो. संप्रेषण के अन्य माध्यमों के आने से भले ही इसकी प्रासंगिकता कम हो गयी हो, लेकिन कुछ मायने में अभी भी इसकी प्रासंगिकता बरकरार है. दुनियाभर में पोस्ट ऑफिस से संबंधित इन आंकड़ों से हम इसे और अधिक स्पष्ट रूप से समझ सकते हैं.

पोस्टल ऑपरेशंस काउंसिल

पोस्टल ऑपरेशंस काउंसिल (पीओसी) यूपीयू का तकनीकी और संचालन संबंधी निकाय है. इसमें 40 सदस्य देश शामिल हैं, जिनका चयन सम्मेलन के दौरान किया जाता है. यूपीयू के मुख्यालय बर्न में सालाना इसकी बैठक होती है. इस माह के आगामी 28 अक्तूबर से एक नवंबर के दौरान पीओसी का एक विशेष सत्र आयोजित किया जायेगा. पीओसी के कार्यक्रम के जरिये डाक संबंधी सेवाओं का आधुनिकीकरण किये जाने और इसे अपग्रेड करने की ओर ध्यान देना है.

यह डाक व्यापार के संचालन, आर्थिक और व्यावसायिक मामलों को देखता है. जहां कहीं भी एकसमान कार्यप्रणाली या व्यवहार जरूरी हों, वहां अपनी क्षमता के मुताबिक यह तकनीकी और संचालन समेत अन्य प्रक्रियाओं के मानकों के लिए सदस्य देशों को अपनी अनुशंसा मुहैया कराता है.

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