सही एटीटय़ूड दे अवसर की समझ

किसी महान विचारक ने कहा था कि ईश्वर हम सब को जीवन में सफलता के बराबर अवसर देता है, परंतु हम अपने एटीट्यूड के कारण उसको गंवा बैठते हैं. इसका बड़ा कारण यह भी है कि हममें से अधिकतर लोग किसी रटी-रटायी बात को थोड़ा-बहुत जान कर खुद को ज्ञाता समझ लेते हैं और आगे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 10, 2013 11:02 AM

किसी महान विचारक ने कहा था कि ईश्वर हम सब को जीवन में सफलता के बराबर अवसर देता है, परंतु हम अपने एटीट्यूड के कारण उसको गंवा बैठते हैं. इसका बड़ा कारण यह भी है कि हममें से अधिकतर लोग किसी रटी-रटायी बात को थोड़ा-बहुत जान कर खुद को ज्ञाता समझ लेते हैं और आगे कुछ भी जानने की कोशिश करना छोड़ देते हैं. यदि जीवन में सफल होना है, तो विषय को गहराई से जानना बेहद जरूरी है और इसके लिए जरूरी है सदैव सीखने के लिए तैयार रहना, तभी हम स्वयं में एक सही एटीट्यूड विकसित कर पायेंगे. आज की कहानी हमें इसी विचारधारा की ओर ले जायेगी.

एक व्यक्ति था, जो दीक्षा के लिए किसी गुरु की तलाश में था. उसे पता चला कि शहर में एक गुरुजी आये हैं, जो गुप्त मंत्र देकर जीवन में सुख-शांति लाने का उपाय देते हैं. वह गुरुजी के पास गया और बोला- गुरुजी, कृपा कर मुङो भी वह गुप्त मंत्र बताइए, ताकि मेरा जीवन भी सुखी हो सके. गुरुजी ने उसे एक कागज पर गायत्री मंत्र लिख कर दिया और कहा कि इस गुप्त मंत्र का जाप करो, तुम्हारा कल्याण होगा.

गुप्त मंत्र लेकर वह वहां से निकला और सोचा कि नदी के किनारे बैठ कर शांति से इस मंत्र का जाप करूंगा. जब वह नदी के किनारे पहुंचा, तो देखा कि पीले वस्त्र पहन कर कई पंडित जोर-जोर से गायत्री मंत्र का जाप कर रहे हैं. वह बेहद आश्चर्यचकित हुआ कि इस गुप्त मंत्र का ज्ञान इनको भी है. फिर वहां से वह निकला, तो उसने देखा कि जगह-जगह दीवार पर भी गायत्री मंत्र लिखा हुआ है. उसने सोचा कि गुरुजी ने तो मुङो बेवकूफ बना दिया. वह तुरंत गुरुजी के पास पहुंचा और बोला- गुरुजी, आपने तो मुङो गुप्त मंत्र देने की बात कही थी, लेकिन यहां तो सबको यह मंत्र पता है. गुरुजी ने उससे कहा, तुम कल आओ, तुमको मैं इस बात का उत्तर दूंगा.

अगले दिन जब वह आया तो गुरुजी ने उसे एक हीरा दिया और कहा कि अब तुम बाजार जाओ और इसका मूल्य पता करके आओ. किसने क्या मूल्य बताया, उसे लिख कर ले आना. वह सबसे पहले नाई के पास गया, वह दस रुपया देने के लिए तैयार हो गया. उसके बाद पंसारी के पास पहुंचा, उसने कहा, मैं पचीस रुपये दे दूंगा. उसके बाद वह सुनार के पास पहुंचा, सुनार उसे एक सौ रुपये में लेने को तैयार हो गया. फिर शिष्य जौहरी के पास गया. उसने कहा, मैं इसका एक हजार रुपया दे सकता हूं. शिष्य लौट कर गुरु के पास आया और सारी बात बतायी. गुरु ने कहा, यही है तुम्हारे प्रश्न का जवाब. यह हीरा अनमोल है, लेकिन इसकी कीमत अलग-अलग लोगों ने अपनी बुद्धि और समझदारी से लगायी और सबने खुद को बिल्कुल ठीक समझा, परंतु इस हीरे का लाभ उसे ही मिल सकता है, जिसने इसकी सही कीमत लगायी. इसी प्रकार, यह मंत्र अनमोल है. इसलिए इसके महत्व को समझना होगा. सही एटीट्यूड सही अवसर को पहचानने का मौका देता है. इसलिए जरूरी है, किसी चीज का सही आकलन करना और उसे समझने-सीखने के लिए तैयार होना.

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