आईआईटी रुड़की ने संस्थान से निकाले गए 71 छात्रों को वापस ले लिया है. पिछले दिनों प्रथम वर्ष के इन छात्रों को संस्थान ने परीक्षा में निर्धारित अंक न ला पाने के चलते अगले सत्र में दाख़िला देने से इंकार कर दिया था.
निकाले गए छात्रों में ज़्यादातर पिछड़ी जातियों के थे. कार्रवाई 72 छात्रों पर की गई थी लेकिन कुछ दिन बाद एक छात्र को वापस ले लिया गया था क्योंकि उसके अंकों के निर्धारण में प्रशासन से ग़लती हो गई थी.
इसके बाद 71 छात्र और उनके परिजनों ने आईआईटी के फ़ैसले के ख़िलाफ नैनीताल हाईकोर्ट में भी गुहार लगाई थी. लेकिन हाईकोर्ट ने भी संस्थान के फ़ैसले को सही ठहराया था.
चारों तरफ़ से मायूस और अपने भविष्य को लेकर उदास और आशंकित इन छात्रों की दया याचिका को अचानक आईआईटी रुड़की की सीनेट ने तीसरी सुनवाई में स्वीकार कर लिया और छात्रों को एक और मौक़ा देने का फ़ैसला किया.
कड़ी शर्तें
संस्थान के रजिस्ट्रार प्रशांत गर्ग का कहना है, “बीटेक के अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम के प्रथम वर्ष में पांच सीजीपीए से कम लाने वाले सभी छात्रों को फिर से दाख़िला दिया जाएगा. लेकिन कुछ कड़ी शर्तों के साथ.”
इन शर्तों के तहत छात्रों को दस अगस्त तक फिर से प्रथम वर्ष में ही दाख़िला लेना होगा. सभी विषयों को पास करना होगा और औसत पांच सीजीपीए या इससे अधिक अंक हर हाल में लाने होंगे. इनके अलावा छात्रों की 75 फ़ीसदी अटेंडेस भी रहनी चाहिए.
साल के आख़िर में छात्रों को बैक पेपर की सुविधा नहीं मिलेगी. और इन सभी शर्तों पर सहमति का एक पत्र भी पुनर्दाख़िले के समय देना होगा.
कड़ी शर्तों के बावजूद छात्र ख़ुश हैं और सोशल मीडिया के ज़रिए अपनी जीत का इज़हार कर रहे हैं.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)