प्रतिनिधियों को हटाने का भी मिले अधिकार
युवा मतदाता सिर्फ ईमानदार जनप्रतिनिधि ही नहीं चाहता है, उन्हें जनप्रतिनिधियों पर निगरानी रखने वाली व्यवस्था की जरूरत भी महसूस हो रही है. काम नहीं करने वालों के लिए राइट टू रिकॉल भी चाहता है युवा मन. इसके साथ ही वह मतदाताओं को भी चेतनशील और सचेत होकर अपने वोट का इस्तेमाल करने की नसीहत […]
युवा मतदाता सिर्फ ईमानदार जनप्रतिनिधि ही नहीं चाहता है, उन्हें जनप्रतिनिधियों पर निगरानी रखने वाली व्यवस्था की जरूरत भी महसूस हो रही है. काम नहीं करने वालों के लिए राइट टू रिकॉल भी चाहता है युवा मन. इसके साथ ही वह मतदाताओं को भी चेतनशील और सचेत होकर अपने वोट का इस्तेमाल करने की नसीहत देता हुआ दिख रहा है. युवा मन को टटोलने का कारवां जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है वैसे-वैसे नये-नये विचार सामने आ रहे हैं.
ईमानदार प्रत्याशी दें दल
बिहार को एक ऐसी सरकार चाहिए जो विकास की सिर्फ बात नहीं करे, काम भी करे. केंद्र सरकार जिस विजन से काम कर रही हैं वहीं विजन बिहार में विकास के लिए होना चाहिए तभी यहां निवेश बढ़ेगा और रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे.
केंद्र सरकार का डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट एक ऐसा अभियान है जिससे कई समस्याओं का निदान आसान हो गया है और इससे देशभर में लाखों लोगों को रोजगार भी मिलेगा. बिहार को भी ऐसे एक अभियान की दरकार है. मतदाताओं को वोट देते समय जाति-धर्म से ऊपर उठकर सोचना होगा तभी बिहार आगे बढ़ेगा. पार्टियां भी अगर सही मायने में विकास चाहती हैं तो उन्हें ईमानदार और काम करने वाले लोगों को ही विधानसभा चुनाव में टिकट देना चाहिए.
वरुण श्रीवास्तव , एनआइटी , पटना
क्यों ङोले पांच साल?
हमलोग 21वीं शताब्दी में हैं. मंगल पर भारत का मिशन सफल हो चुका है. नासा मंगल पर जीवन तलाशने में लगा है.
ऐसे दौर में भी जनता को सफाई, पार्क निर्माण, प्रमाण पत्र आदि के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाना पड़े तो इसे सिस्टम का ही दोष कहेंगे. ऐसी समस्या का समाधान कराने में जनप्रतिनिधियों की कोई भागीदारी नहीं हो तो ऐसे लोगों को जनता आखिर पांच साल क्यों ङोलेगी.
आम जनता ऐसे जनप्रतिनिधियों को क्यों चुने जो न छोटे-मोटे काम को आसान बना सकते हैं और न उसमें कोई मदद कर सकते हैं. जनता को पार्टी प्रतिनिधि नहीं पब्लिक प्रतिनिधि चाहिए. आजकल ज्यादातर एमपी-एमएलए सिर्फ पार्टी प्रतिनिधि बन रह गये हैं. ऐसे लोगों को टर्म पूरा होने से पहले ही हटाने का अधिकार जनता के पास होना चाहिए.
रश्मि कुमारी, बीबीए, पटना विमेंस कॉलेज
पहले जनता जागरुक हो
चुनाव सुधार सतत प्रक्रि या है. इसको एक दिन में नहीं सुधारा जा सकता है. इसके लिए जरूरी है कि जनप्रतिनिधियों के मानक तय हों. उनकी जवाबदेही तय होनी चाहिए. विधान सभा में पहुंचकर जिम्मेदारी नहीं निभाने वालों को दोबारा मौका नहीं देना चाहिए. जनप्रतिनिधियों को चुनने में मतदाता को जिम्मेवार नागरिक बनना होगा. चुनाव में खड़े होने वाले अपराधियों को जनता सीधे नकार अपनी ताकत का उन्हे अहसास कराये, तभी लोकतंत्र सफल होगा. हम बेहतर जनप्रतिनिधि चुनेंगे तभी हम उनसे बेहतर काम की उम्मीद कर सकते हैं. इसलिए जनता को जागरूक होना होगा. नूपुर कुमारी,सीए छात्र
वोट अंतिम हथियार
राजनीति में पढ़े-लिखे लोगों को ही आना चाहिए. उत्तराधिकार की राजनीति भी लोकतंत्र के लिए खतरनाक है. जो जनप्रतिनिधि या सरकार जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरते उसे मतदान से जवाब देना चाहिए. इसके लिए जनता को भी जागृत होना पड़ेगा. जनता के पास अंतिम हथियार वोट है. इसे सही समय पर इस्तेमाल कर जनप्रतिनिधियों को जवाब देना चाहिए.
जनप्रतिनिधियों को चुनने के लिए मानक भी तय करना चाहिए. जनप्रतिनिधि के काम का मूल्यांकन जरूरी है. इसबार बिहार के चुनाव में शिक्षा का मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन यह किसी दल के एजेंडे में नहीं दिख रहा है. शिक्षा बेहतर लोकतंत्र के लिए आवश्यक है. इसलिए वोटरों को मतदान से पहले इस मुद्दे पर पार्टियों को तौलना होगा.
अनुपम कुमार, भूतनाथ रोड, पटना
राइट टू रिकॉल का राइट
चुनाव में के बाद जनप्रतिनिधियों की भूमिका बढ़ जाती है. जनता को ऐसे जनप्रतिनिधि की जरूरत है जो उनकी समस्याओं का निदान कर सके. क्षेत्र का विकास ही उसका मुख्य उद्देश्य होना चाहिए. एक जनप्रतिनिधि को कभी यह नहीं भूलना चाहिए की जनता के वोट से ही वह जनप्रतिनिधि बना है.
इसलिए जनता की समस्याओं को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए. जनप्रतिनिधि अगर अलोकतांत्रिक कार्य करें तो उन्हें नियंत्रित करने के लिए राइट टू रिकॉल की व्यवस्था होनी चाहिए. यदि ऐसा होता है तो यह स्वच्छ राजनीति की शुरु आत होगी. इसके लिए सरकार को आगे आना होगा. कोई जनप्रतिनिधि बेहतर काम नहीं करता है तो जनता को यह अधिकार हर हाल में मिलना चाहिए कि उसे वापस बुलाया जा सके.
कुणाल कुमार, मेडिकल स्टूडेंट