नि:स्वार्थ भाव से करें लोगों की मदद

दक्षा वैदकर एक महिला अपनी कार से हाइवे से गुजर रही थी. तभी उसकी गाड़ी खराब हो जाती है. वह बाहर आ कर खड़ी हो जाती है. कोई दूसरी गाड़ी उसे मदद के लिए नजर नहीं आती. हल्की बारिश हो रही होती है. शाम का वक्त होता है. वह परेशान हो जाती है कि थोड़ी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 6, 2015 11:34 PM

दक्षा वैदकर

एक महिला अपनी कार से हाइवे से गुजर रही थी. तभी उसकी गाड़ी खराब हो जाती है. वह बाहर आ कर खड़ी हो जाती है. कोई दूसरी गाड़ी उसे मदद के लिए नजर नहीं आती. हल्की बारिश हो रही होती है.

शाम का वक्त होता है. वह परेशान हो जाती है कि थोड़ी देर में अंधेरा हो जायेगा. उस महिला की यह हालत दूर एक ढाबे पर बैठा व्यक्ति सूरज देख रहा था. वह उस महिला के पास आता है और उसे पूछता है कि क्या मैं आपकी मदद कर सकता हूं? महिला हामी भर देती है.

वह गाड़ी की प्रॉब्लम ढूंढ़ कर उसे ठीक कर देता है. महिला उसे धन्यवाद देती है और खुश हो कर रुपये देने की कोशिश करती है. सूरज कहता है कि गाड़ी सुधारना मेरा काम नहीं है, इसलिए मैं यह पैसे नहीं ले सकता. हो सके, तो आप मेरी ही तरह किसी दूसरे की मदद कर दें और इस हैप्पीनेस चेन को आगे बढ़ाते जायें.

मैंने भी आपकी मदद इसलिए की क्योंकि किसी ने मेरी मदद बिना स्वार्थ के की थी. महिला गाड़ी स्टार्ट करती है और चली जाती है. शहर पहुंचने के बाद वह एक रेस्टोरेंट जाती है. वहां उसे एक महिला काम करती दिखती है, जो लगभग सात महीने की गर्भवती नजर आ रही थी.

वह महिला सभी से बहुत प्रेम से बात कर रही थी और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी. जब यह कार वाली महिला अपनी टेबल से उठ कर चली जाती है, तो गर्भवती महिला टेबल पर रखे बिल के पैसे उठाने आती है. वहां पैसों के अलावा उसे एक लिफाफा दिखता है. वह लिफाफा खोलती है. उसमें 10 हजार रुपये और एक चिट्ठी होती है.

उस चिट्ठी में लिखा होता है, तुम लगभग सात महीने की गर्भवती हो और इन सब के बावजूद तुम काम कर रही हो. तुम्हें रुपयों की बहुत जरूरत है. इसलिए तुम ये रुपये रख लो और घर जा कर आराम करो. इस हालत में काम करना ठीक नहीं.

धन्यवाद की जरूरत नहीं, हो सके तो तुम भी किसी की इसी तरह मदद कर देना. महिला खुशी-खुशी घर आती है. वहां उसे पति बहुत परेशान हालत में नजर आता है. वह उसे गले लगाती है और कहती है कि अब डिलीवरी के रुपयों की चिंता मत करो. सब ठीक हो गया है ‘सूरज’.

बात पते की..

– जब आप किसी की मदद बिना स्वार्थ के करते हैं, तो इस मदद का फायदा किसी न किसी तरह घूम कर आपके पास तक जरूर पहुंचता है.

– लोगों की मदद करें. ये न सोचें कि बदले में सामनेवाले हमें क्या देगा. क्योंकि आपका यह व्यवहार ईश्वर देख रहा है और वह आपसे खुश है.

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