युवाओं के लिए आजादी के मायने

युवावस्था जिंदगी का एक ऐसा पड़ाव होता है जहां आजादी की जरूरत सबसे ज्यादा महसूस होती है. हमारे पूर्वजों ने कठिन संघर्ष के बाद जब हमें स्वतंत्रता दिलायी थी, तब उनके लिए आजादी के बुनियादी मायने अलग थे, लेकिन आजादी के 68 साल बाद आज हमारे पास विचारों के आदान- प्रदान से लेकर तकनीक, शिक्षा, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 9, 2015 6:34 AM

युवावस्था जिंदगी का एक ऐसा पड़ाव होता है जहां आजादी की जरूरत सबसे ज्यादा महसूस होती है. हमारे पूर्वजों ने कठिन संघर्ष के बाद जब हमें स्वतंत्रता दिलायी थी, तब उनके लिए आजादी के बुनियादी मायने अलग थे, लेकिन आजादी के 68 साल बाद आज हमारे पास विचारों के आदान- प्रदान से लेकर तकनीक, शिक्षा, संसाधन, विज्ञान, परिधान हर तरह की आजादी है. ऐसे में जानना जरूरी है कि आज के युवाओं के लिए आजादी के क्या मायने हैं?

अक्सर लोगों को लगता है कि किशोरों के लिए स्वतंत्रता दिवस का मतलब ध्वजारोहण, स्कूल-कॉलेज के फंक्शन, एक दिन की छुट्टी, टीवी-एफएम पर देशभक्ति के गाने सुनना, फेसबुक और वाट्सएप पर मैसेज पोस्ट करने तक ही सीमित है. आजादी को लेकर इस पीढ़ी का अंदाज भले ही अलग नजर आता हो, लेकिन एक सच यह भी है कि आज के युवा अपनी आजादी और अधिकारों का इस्तेमाल नये भारत के निर्माण के लिए भी कर रहे हैं.

ऑनलाइन इंडिपेंडेंसी

इंटरनेट अफेक्शन में बसनेवाले युवाओं के लिए आज विचारों की स्वतंत्रता काफी मायने रखती है. वे खुल कर हर अपने विचारों को साझा करते हैं. अपने विचारों, अधिकारों को लेकर युवाओं की एकजुटता 2011 में अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान दिखी थी, जब वे खुलकर सोशल नेटवर्किग साइट्स पर भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलते और अन्ना का समर्थन करते नजर आये.

सोशल मीडिया ने आंदोलन को जनआंदोलन का रूप दिया. हाल में नेट न्यूट्रेलिटी मामले पर कड़ा विरोध जताया. युवाओं का मत है कि जैसे मोबाइल नेटवर्क कंपनी यह तय नहीं कर सकती कि आप किसे कॉल कर सकते हैं और किसे नहीं, वैसे ही इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर को भी ऑनलाइन अभिव्यक्ति को सीमा में नहीं बांधना चाहिए.

काम करने की आजादी

आज के युवा माता-पिता के सपनों के बजाय खुद के सपने देखने और उन्हें पूरा करने का हौसला रखते हैं. वे आर्थिक रूप से सक्षम होना चाहते हैं. वे पारंपरिक सरकारी नौकरियों के बजाय ऐसी नौकरियों को तरजीह दे रहे हैं, जहां उन्हें बेहतरीन पैकेज के साथ काम करने की आजादी भी मिले.

जीवनसाथी चुनने की आजादी

आज के युवा घरवालों के बजाय अपनी पसंद के लाइफ पार्टनर को चुनने को प्राथमिकता दे रहे हैं. जाति, धर्म, समाज जैसे बंधन में बंधने को वे तैयार नहीं हैं. इसके कई सकारात्मक परिणाम इंटरकास्ट मैरिज के बढ़ते ग्राफ, दहेज मामलों में कमी आदि के रूप में सामने भी आ रहे हैं. हाल ही में हरियाणा के सतरोल खाप पंचायत ने अपने क्षेत्र में 36 अलग-अलग जातियों के लोगों के आपस में शादी करने पर से प्रतिबंध को समाप्त कर दिया है. हरियाणा जैसे राज्य में यह एक बड़ा बदलाव है.

पिछले साल हुए एक सर्वे में लगभग 42 हजार लोगों ने स्वीकार किया कि उन्होंने अंतरजातीय विवाह किया है. हालांकि भारत में ऐसी शादियों का आंकड़ा अभी 5 फीसदी है. मध्य प्रदेश में यह 1} और गुजरात व बिहार में 11} से भी अधिक है. इस तरह अगर देखा जाये तो युवा अपनी आजादी का इस्तेमाल समाज की कई रूढ़ीवादी परंपरा को खत्म करने के लिए कर रहे हैं.

पूजा कुमारी

कुछ उठाते हैं गलत फायदा

एक ओर जहां युवा आजादी का इस्तेमाल अपनी और देश की तरक्की के लिए के लिए करते हैं, वहीं कुछ मौज-मस्ती, ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने या नशे के लिए अपनी आजादी का इस्तेमाल करते हैं.

कुछ यह भी मानते हैं कि अगर आजादी को नियमों में बांध दिया जाये तो वह आजादी कहां रही. साल की शुरुआत में फ्रांस के अखबार शार्ली एब्दो के ऑफिस में हुए आतंकी हमले के बाद अभिव्यक्ति की आजादी की सीमा को लेकर सारी दुनिया में बहस तेज हो गयी.

कई लोगों ने इस बात का समर्थन किया कि अभिव्यक्ति की आजादी उसी सीमा तक सही है जब तक यह किसी संप्रदाय विशेष को उकसाने या अपमानित करने का कार्य न करे. हालांकि हमले को लेकर हर किसी ने शार्ली एब्दो के साथ एकजुटता दिखायी और इसकी चौतरफा निंदा हुई.

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