Loading election data...

यौन हिंसा से कैसे बचाएँ अपने बच्चे को?

वुसतुल्लाह ख़ान बीबीसी संवाददाता, पाकिस्तान अगर सरकार लायक होती तो इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ पाकिस्तान में हर रोज़ छह औरतें को अग़वा, छह को क़त्ल और चार को रेप न किया जाता, और न ही तीन औरतें रोज़ाना आत्महत्या करतीं. अगर पुलिस आगे बढ़कर इनकी मदद करती तो मुज़फ़्फ़रगढ़ के मीर हज़ार थाने के सामने 18 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 11, 2015 1:59 PM
यौन हिंसा से कैसे बचाएँ अपने बच्चे को? 7

अगर सरकार लायक होती तो इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ पाकिस्तान में हर रोज़ छह औरतें को अग़वा, छह को क़त्ल और चार को रेप न किया जाता, और न ही तीन औरतें रोज़ाना आत्महत्या करतीं.

अगर पुलिस आगे बढ़कर इनकी मदद करती तो मुज़फ़्फ़रगढ़ के मीर हज़ार थाने के सामने 18 साल की रेप पीड़ित लड़की भला क्यों खुद पर तेल छिड़क जल मरती.

यौन हिंसा के मामले में अदालत से भी न्याय की उम्मीद न रखिए. ऐसे मामलों में मूल अभियुक्तों को सज़ा होने की दर एक प्रतिशत से भी कम है.

सैन्य अदालतों में भी ऐसे मामलों को नहीं भेजा जा सकता क्योंकि यौन हिंसा और राष्ट्र के भविष्य के साथ बलात्कार करना ‘चरमपंथ की परिभाषा’ में नहीं आते.

शांति के बीच यौन हिंसा

यौन हिंसा से कैसे बचाएँ अपने बच्चे को? 8

इस धोखे में भी मत रहिए कि जहां क़ानून व्यवस्था की स्थिति शांत और बेहतर बताई जाती है वहां औरतें और बच्चे-बच्चियाँ सुरक्षित होंगे.

ऐसा होता तो औरत फाउंडेशन के मुताबिक पिछले साल अशांत सिंध की 85 महिलाओं की तुलना में शांतिपूर्ण पंजाब की 1408 औरतें गैंगरेप का शिकार न बनीं होती.

अगर ऐसा होता तो पाकिस्तान में पांच से 15 वर्ष तक के 10 बच्चे रोज़ाना सामूहिक और व्यक्तिगत यौन हिंसा का निशाना क्यों बनते और हर रोज़ पाँच बच्चों का अपहरण क्यों होता. वो भी तब जब पाकिस्तान में अपहरण की सज़ा मौत है.

तो क्या इस मामले में मीडिया कुछ करे? मगर उसे रेटिंग के ठेले पर मसालेदार चाट बेचने से फुर्सत कहां?

मीडिया में तो परमाणु बम गिरने की ख़बर भी चार दिन चलने के बाद पांचवें नंबर पर चली जाती है.

गाँव बनाम शहर

यौन हिंसा से कैसे बचाएँ अपने बच्चे को? 9

कहते हैं पाकिस्तान में कोई बाल संरक्षण एजेंसी भी है और एक नेशनल कमीशन फॉर चाइल्ड वेलफेयर भी है.

कहा जाता है कि शहरों के उलट आज भी ग्रामीण इलाक़ों में ख़ुदगर्जी कम है क्योंकि छोटी जगहों पर लोग एक दूसरे से ज़्यादा परिचित होते हैं.

तो फिर महिलाओं और बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न के 67 प्रतिशत घटनाएँ ग्रामीण इलाक़ों में और 33 प्रतिशत शहरी इलाक़ों में क्यों होती है?

पंजाब में ऐसा क्या है कि पिछले साल वहां पांच से 15 वर्ष के 2054 बच्चे व्यक्तिगत और सामूहिक बलात्कार का शिकार हुए और गिलगित और बाल्टिस्तान में ऐसा क्या है कि बच्चों पर यौन उत्पीड़न का केवल एक मामला सामने आया.

लेकिन आंकड़ों के गोरखधंधे में पड़ने से कुछ नहीं होता. बस यूं समझ लीजिए कि सामने आने वाली हर एक घटना के पीछे तीन से पांच ऐसी घटनाएं हैं जो घर, पड़ोस और समुदाय में ही धौंस, शर्म, पैसे के जोर और बेबसी के भार तले दब के रह जाती हैं.

प्रभावित महिला या बच्चे बाक़ी उम्र अपनी बेइज़्ज़ती की क़ीमत पर दूसरों का सम्मान रखते-रखते दहकते दिल और दिमाग के नरक में बिता देते हैं.

सामाजिक प्राणी

यौन हिंसा से कैसे बचाएँ अपने बच्चे को? 10

हाँ, ये सच है कि मनुष्य सामाजिक प्राणी है और अकेला जीवन नहीं बिता सकता. उसे क़दम क़दम पर रिश्तेदारों, जान-पहचान वालों और भरोसेमंद सहारे की जरूरत पड़ती है. मगर अंध-विश्वास भी तो खुद को अंधी गली में ले जाने का रास्ता है.

इसलिए किसी पर अंधा भरोसा मत कीजिए. आपकी बच्चे या बच्ची को किसी अजनबी से केवल 30 प्रतिशत यौन हिंसा का ख़तरा है. 70 प्रतिशत जोखिम रिश्तेदारों, परिचितों या आसपास के लोगों से होता है.

इसीलिए तो हमें और आपको अपने बच्चों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार से अधिक ये चिंता रहती है कि मुंह खोला तो दुनिया क्या कहेगी.

तो फिर क्या किया जाए? मेरे विचार से इस मुद्दे का समाधान जितना कठिन है, उतना ही आसान है.

बच्चों को समय दें

यौन हिंसा से कैसे बचाएँ अपने बच्चे को? 11

आप अपने बच्चों के साथ जितना समय बिता सकें गुज़ारें. अपने दिल के टुकड़े के जेब ख़र्च, खिलौने, सूट, मोटरसाइकिल, घड़ी या मोबाइल फोन से वास्ता रखें. अगर आपके बीच फ़ासला पैदा होगा तो बीच में कोई न कोई तीसरा आ जाएगा और यह तीसरा एक दूत भी हो सकता है और शैतान भी.

इससे पहले कि बच्चों को किसी और से पता चले, आप ख़ुद मानव शरीर और उसमें समय के साथ आने वाले बदलावों के बारे में उनकी उम्र का लिहाज रखते हुए आसान लहजे में समझाएं.

उन्हें यह भी बताना चाहिए कि माँ, पिता और बहन-भाइयों के अलावा यदि कोई भी पास या दूर का जानने वाला या अजनबी असामान्य दिलचस्पी दिखाए या लुभाने वाली चीज़ें दे तो इसके बारे में सजग हो जाना चाहिए और अपने माता-पिता को जरूर बताना चाहिए. उन्हें बताएँ कि ऐसा करने पर उन्हें शाबाशी भी मिलेगी.

जितना ध्यान हम अपनी संपत्ति और साज़ो-सामान की रक्षा के लिए देते हैं उतना ही ध्यान अपने बच्चों के ज़हनी व जिस्मानी सुरक्षा पर भी देते हैं?

पीड़ित बच्चे से बर्ताव

यौन हिंसा से कैसे बचाएँ अपने बच्चे को? 12

तमाम एहतियात के बाद भी अगर हमारा बच्चा यौन हिंसा का शिकार बन जाए तो क्या करें? सबसे पहले यह कि उसे पहले से अधिक प्यार और तरजीह दें ताकि उसे ये अहसास न खा जाए कि वह अकेला है या वही दोषी है और फिर तय करें कि आगे क्या करना है.

चुपचाप रहकर ऐसे शिकारियों को प्रोत्साहित करने की बजाय शोर मचा कर उन्हें घेरकर, दूसरों को ख़बरदार करना बेहतर विकल्प है.

जब आप किसी और के बच्चे की रक्षा करते हैं वास्तव में अपने ही बच्चे की रक्षा कर रहे होते हैं.

अगर आपको अब भी बात समझ में नहीं आ रही तो वाइल्डलाइफ़ चैनल देखा करिए ताकि आपको पता चल सके कि जानवर अपने बच्चों की सुरक्षा कैसे करते हैं, जंगल में तो कोई राज्य, थाना और कचहरी भी नहीं होते.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

Next Article

Exit mobile version