पैरेंट्स से उनके फेवरेट टॉपिक पर बात करें

एक युवा ने अपनी समस्या बतायी है. वह कहता है, जब भी मुझसे कोई गलती होती है या मुझसे जुड़ा कोई मुद्दा होता है, सभी मुझ पर चिल्लाने लगते हैं. मैं क्या कहना चाहता हूं, वो कोई सुनना ही नहीं चाहता. फिर वो भी चिल्लाते हैं और मैं भी. धीरे-धीरे झगड़ा बहुत बढ़ जाता है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 14, 2015 5:59 AM

एक युवा ने अपनी समस्या बतायी है. वह कहता है, जब भी मुझसे कोई गलती होती है या मुझसे जुड़ा कोई मुद्दा होता है, सभी मुझ पर चिल्लाने लगते हैं. मैं क्या कहना चाहता हूं, वो कोई सुनना ही नहीं चाहता. फिर वो भी चिल्लाते हैं और मैं भी. धीरे-धीरे झगड़ा बहुत बढ़ जाता है और कई-कई दिनों तक बात नहीं होती. अभी भी पिछले 10 दिनों से मेरी पापा से बातचीत बंद है.

मैं क्या करूं? इस युवक की तरह कई बच्चों व पैरेंट्स के बीच बहस होती है, इसलिए मैंने सोचा कि इस पर कॉलम लिखूं. दरअसल मैं आपको पैरेंट्स को हैंडल करने की तकनीक बताना चाहती हूं. जब मैं स्कूल में पढ़ा करती थी, उन दिनों मुङो भी हर बात पर बहुत डांट पड़ती थी. अगर मैं आम बच्चों की तरह उसी आवाज में चिल्ला-चिल्ला कर पैरेंट्स को जवाब देती, तो शायद यह झगड़ा आप सभी की तरह बढ़ जाता, लेकिन मैंने एक तकनीक निकाली थी.

जब भी झगड़ा होता, मैं सबसे पहले घर से बाहर चली जाती. जितनी जल्दी हो सके, उस माहौल से निकल जाती. फिल्म देख कर आ जाती या सहेली के घर चली जाती. हां, लेकिन घर में किसी को बता कर जाती ताकि चिंता न हो. जब वापस आती, तब तक माहौल शांत हो चुका होता. सब अपना-अपना काम कर रहे होते.

मौका देख कर मैं पापा के फेवरेट टॉपिंग पर बोलना शुरू कर देती. कभी अखबार पढ़ कर किसी नेता से जुड़ा मामला पापा से पूछती, तो कभी इतिहास की किसी खास घटना का जिक्र कर देती. राजनीति और इतिहास दोनों ही मेरे पापा के फेवरेट सब्जेक्ट थे. जैसे ही मैं कहती कि फलां-फलां नेता ने ऐसा बयान क्यों दिया, समझ नहीं आया.. तो पापा बिना बोले रह नहीं पाते.

वे पूरी घटना बताना शुरू कर देते. एक-दो घंटे बाद जब उनका मूड ठीक हो जाता, तब मैं उन्हें उस दिन का मामला प्यार से बताती. उन्हें बताती कि उस दिन झगड़े के दौरान मैं क्या कहना चाह रही थी. ऐसा-ऐसा हुआ था, लेकिन आप सुनने की स्थिति में नहीं थे. फिर पापा भी प्यार से बताते कि मेरी जगह तुम होती, तो तुम भी ऐसा ही रिएक्ट करती. इस तरह झगड़ा प्यार से खत्म हो जाता.

बात पते की..

जब झगड़ा होता है, तो इनसान सुनने की स्थिति में नहीं होता. ऐसी स्थिति में बेहतर है कि एक व्यक्ति वहां से चला जाये और झगड़ा रोक दे.

झगड़े को ज्यादा दिन तक न खींचे. जिससे झगड़ा हुआ है, उससे दूसरे टॉपिक पर बात करना शुरू कर दें. झगड़ा खुद सुलझ जायेगा.

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