दक्षा वैदकर
एक बार भगवान से उनका सेवक कहता है, भगवान आप एक जगह खड़े-खड़े थक गये होंगे. एक दिन के लिए मैं आपकी जगह मूर्ति बन कर खड़ा हो जाता हूं, आप मेरा रूप धारण कर घूम आओ. भगवान मान जाते हैं, लेकिन शर्त रखते हैं कि जो भी लोग प्रार्थना करने आयें, तुम बस उनकी प्रार्थना सुन लेना. कुछ बोलना नहीं. मैंने उन सभी के लिए प्लानिंग कर रखी है. सेवक मान जाता है.
सबसे पहले मंदिर में बिजनेसमैन आता है और कहता है, भगवान मैंने नयी फैक्ट्री डाली है, उसे खूब सफल करना. वह माथा टेकता है, तो उसका पर्स नीचे गिर जाता है. वह बिना पर्स लिये ही चला जाता है. सेवक बेचैन हो जाता है. वह सोचता है कि रोक कर उसे बताये कि पर्स गिर गया, लेकिन शर्त की वजह से वह नहीं कह पाता. इसके बाद एक गरीब आदमी आता है और भगवान को कहता है कि घर में खाने को कुछ नहीं. भगवान मदद कर. तभी उसकी नजर पर्स पर पड़ती है. वह भगवान का शुक्रिया अदा करता है और चला जाता है.
अब तीसरा व्यक्ति आता है. वह नाविक होता है. वह भगवान से कहता है कि मैं 15 दिनों के लिए जहाज लेकर समुद्र की यात्रा पर जा रहा हूं. यात्रा में कोई अड़चन न आये भगवान. तभी पीछे से बिजनेसमैन पुलिस के साथ आता है और कहता है कि मेरे बाद ये नाविक आया है. इसी ने मेरा पर्स चुरा लिया है. पुलिस नाविक को ले जा रही होती है कि सेवक बोल पड़ता है. अब पुलिस उस गरीब आदमी को पकड़ कर जेल में बंद कर देती है.
रात को भगवान आते हैं, तो सेवक खुशी-खुशी पूरा किस्सा बताता है. भगवान कहते हैं, तुमने किसी का काम बनाया नहीं, बल्कि बिगाड़ा है. वह व्यापारी गलत धंधे करता है. अगर उसका पर्स गिर भी गया, तो उसे फर्क नहीं पड़ता था. इससे उसके पाप ही कम होते, क्योंकि वह पर्स गरीब इनसान को मिला था. पर्स मिलने पर उसके बच्चे भूखों नहीं मरते. रही बात नाविक की, तो वह जिस यात्रा पर जा रहा था, वहां तूफान आनेवाला था. अगर वह जेल में रहता, तो जान बच जाती. उसकी पत्नी विधवा होने से बच जाती. तुमने सब गड़बड़ कर दी.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की…
कई बार हमारी लाइफ में भी ऐसी प्रॉब्लम आती है, जब हमें लगता है कि ये मेरा साथ ही क्यों हुआ. लेकिन इसके पीछे भगवान की प्लानिंग होती है.
जब भी कोई प्रॉब्लमन आये. उदास मत होना. इस स्टोरी को याद करना और सोचना कि जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है.