श्रीलंका में संसदीय चुनाव के लिए मतदान जारी, राजपक्षे की नजर वापसी पर
कोलंबो : श्रीलंका में संसदीय चुनाव के लिए मतदान आज जारी है. राष्ट्रपति पद पर मैत्रीपाल सिरिसेना के हाथों मात खाए महिंदा राजपक्षे अब प्रधानमंत्री के रुप में राजनीतिक रंगमंच पर वापसी की कोशिश कर रहे हैं. उधर, सिरिसेना ने साफ कह दिया है कि अगर उनकी यूनाइटेड पीपुल्स फ्रीडम अलायंस (यूपीएफए) को बहुत मिलता […]
कोलंबो : श्रीलंका में संसदीय चुनाव के लिए मतदान आज जारी है. राष्ट्रपति पद पर मैत्रीपाल सिरिसेना के हाथों मात खाए महिंदा राजपक्षे अब प्रधानमंत्री के रुप में राजनीतिक रंगमंच पर वापसी की कोशिश कर रहे हैं. उधर, सिरिसेना ने साफ कह दिया है कि अगर उनकी यूनाइटेड पीपुल्स फ्रीडम अलायंस (यूपीएफए) को बहुत मिलता है तब भी राजपक्षे को प्रधानमंत्री नहीं बनाया जाएगा. मतदान स्थानीय समयानुसार सुबह सात बजे शुरू हुआ और शाम चार बजे तक जारी रहेगा.
उप चुनाव आयुक्त एम एम मोहम्मद ने बताया, ‘‘आज के चुनाव के लिए देश भर में 12,314 मतदान केंद्र और 1600 मतगणना केंद्र बनाये गए हैं. चुनावी ड्यूटी पर तकरीबन 1,95,000 अधिकारी तैनात किये गए हैं. इनमें से 1,25,000 अधिकारियों की तैनाती मतदान केंद्रों पर हुयी है जबकि 70,000 अधिकारियों की तैनाती मतगणना केंद्र पर की गयी है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘तरजीही वोट परिणाम मंगलवार की रात में घोषित की जाएगी.’’ 225 सीट वाली राष्ट्रीय संसद के लिए चुनाव मुकाबला प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) और राष्ट्रपति सिरिसेना के यूपीएफए के बीच है. जिला आधारित आनुपातिक प्रतिनिधित्व तंत्र के तहत चुनाव में मतदान के लिए 1.5 करोड से ज्यादा वोटर हैं. जिले से 196 सदस्य निर्वाचित होंगे जबकि 29 का चयन प्रत्येक पार्टी को मिले वोटों के राष्ट्रीय अनुपात पर आधारित होगा.
राजपक्षे का सिरीसेना पर पलटवार
राजपक्षे ने कहा, ‘मैंने जनवरी में जहां छोड़ा था, वहीं से शुरुआत करूंगा.’ भूतपूर्व राष्ट्रपति ने सि रीसेना-विक्रमसिंघे सरकार पर चीनी सहायता से शुरू किये गये कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को अटकाने का आरोप लगाया. राजपक्षे ने सिंहली लोगों से उन्हें यूपीएफए उम्मीदवार के रूप में जिताने की अपील की, ताकि वह सत्ता में फिर से आ सकें. वहीं, विक्रमसिंघे लोकतांत्रिक सुधारों के साथ सरकार में बने रहना चाहते हैं. ये सुधार उन्होंने राजपक्षे की हार के बाद से शुरू किये थे. उन्होंने नागरिक एवं लोकतांत्रिक आजादी, सुशासन और निवेश बढ़ा कर संविृद्धि बहाल करने की कोशिश की है.
बहुमत के लिए 113 सीटों की जरूरत
जिला आधारित आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत होनेवाले चुनाव के लिए डेढ़ करोड़ योग्य मतदाता हैं. 196 सदस्य जिलों से चुने जायेंगे, जबकि प्रत्येक पार्टी को मिले वोट के राष्ट्रीय अनुपात में 29 लोग नामित होंगे. बहुमत के लिए नेशनल असेंबली में 113 सीटों की जरूरत होगी.