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भारत-पाक वार्ता रद्द होने से अमेरिका ”निराश”

वाशिंगटन : अमेरिका ने कहा है कि वह भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों :एनएसए: के बीच प्रस्तावित वार्ता रद्द होने से ‘‘निराश’’ है. विदेश विभाग के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने बताया, ‘‘अमेरिका को इस बात से निराशा है कि इस सप्ताह के आखिर में भारत और पाकिस्तान के बीच होने जा रही वार्ता […]

वाशिंगटन : अमेरिका ने कहा है कि वह भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों :एनएसए: के बीच प्रस्तावित वार्ता रद्द होने से ‘‘निराश’’ है. विदेश विभाग के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने बताया, ‘‘अमेरिका को इस बात से निराशा है कि इस सप्ताह के आखिर में भारत और पाकिस्तान के बीच होने जा रही वार्ता अब नहीं होगी तथा वह दोनों देशों को औपचारिक वार्ता जल्द बहाल करने के लिए प्रोत्साहित करता है.’’ प्रवक्ता ने हालांकि कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच रुस के उफा में हुई रचनात्मक बातचीत हालांकि काफी उत्साहवर्धक थी.

किर्बी ने कहा, ‘‘इस साल के शुरु में उफा में दोनों देशों के नेताओं के बीच हुई रचनात्मक बातचीत खासकर दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच होने वाली वार्ता की घोषणा के बाद अमेरिका बहुत उत्साहित था.’’ दरअसल, कल विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस्लामाबाद को यह अल्टीमेटम दिया कि पाकिस्तान अलगाववादियों के साथ बैठक पर आगे न न बढने की प्रतिबद्धता जताए। इसके बाद पाकिस्तान ने बीती रात को आज प्रस्तावित एनएसए स्तर की वार्ता रद्द कर दी. स्वराज पाकिस्तान के एनएसए सरताज अजीज की उन टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया दे रही थीं जिसमें उन्होंने कहा था कि वह बिना कोई पूर्व शर्तों के वार्ता के लिए भारत आना चाहते हैं. एनएसए स्तर की वार्ता के एजेंडा में पाकिस्तान द्वारा कश्मीर को शामिल करने से भी भारत नाखुश था क्योंकि इस वार्ता में मुख्यत: आतंकवाद के विषय पर चर्चा होनी थी. उफा में जुलाई में भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों की मुलाकात के दौरान पहली एनएसए स्तर की वार्ता पर सहमति बनी थी.

इस बीच अमेरिका के दक्षिण एशियाई विशेषज्ञों ने भारत और पाकिस्तान के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तरीय बातचीत रद्द करने के लिए पाकिस्तान पर दोष मढा है. एक शीर्ष अमेरिकी विचार समूह ‘वुडरो विल्सन इंटरनेशनल सेंटर’ में साउथ एशिया एसोसिएट माइकल कुगेलमेन ने कहा ‘‘पाकिस्तानियों ने हुर्रियत नेतृत्व को आमंत्रण दे कर बातचीत को ही ध्वस्त कर दिया. लेकिन एक बार फिर भारतीयों को यह देखना चाहिए कि आमंत्रण आया और वे ज्यादा सुनियोजित तरीके से प्रतिक्रिया दे सकते थे.’’ उन्होंने कहा कि एक बडे देश के तौर पर भारत के लिए कहा जाता है कि ज्यादा जिम्मेदार तरीके से काम करे. इन वार्ताओं का रद्द होना शर्मनाक है. वह दूर से भले ही बहुत ज्यादा कुछ नहीं कर सकते थे लेकिन कम से कम वह कुछ गुंजाइश तो छोड सकते थे.

अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने कहा कि पाकिस्तान का आचरण कश्मीर की ओर अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करने की उसकी पुरानी कोशिश के अनुसार ही था. हडसन इन्स्टीट्यूट में दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के निदेशक हक्कानी ने कहा ‘‘लेकिन मोदी के नेतृत्व में भारत पुराने चलन को खत्म कर रहा है. भारत में पहले हुए आतंकवादी हमलों, नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी, परस्पर दोषारोपण, सैन्य गतिविधियां और अंतत: अंतरराष्ट्रीय दबाव में आ जाना.. निश्चित रुप से इनमें वृद्धि होने के आसार हैं और इनका पूर्वानुमान भी पहले की तरह नहीं लगाया जा सकता। मोदी वह खेल खेलना नहीं चाहते.’’

हक्कानी ने कहा कि कश्मीर पर पाकिस्तान का रुख बेमतलब है लेकिन उसके नेताओं को लगता है कि उन्हें यह किसी भी तरह करना जरुरी है. पाकिस्तान के पास अपने गंभीर अंदरुनी मुद्दे हैं. उन्होंने कहा ‘‘लंबे समय से अनसुलङो रहे ऐसे किसी विवाद के लिए इंतजार किया जा सकता है और इस पर ध्यान देने के बजाय हमें अपने मुद्दों का सामना करने की जरुरत है. पाकिस्तान को अपने लोगों को समृद्ध बनाने पर ध्यान देना चाहिए.’’ एक अन्य अमेरिकी विचार समूह स्टिमसन सेंटर के माइकल क्रेपॉन ने कहा ‘‘नई दिल्ली के रुख से एक विषयक एजेंडा समझा जा सकता है लेकिन इससे पाकिस्तान की सरकार के लिए कई मुश्किलें खडी हो गई हैं. जो कुछ हुआ उसके नतीजों का पूरी तरह अनुमान है.’’ इस बीच, अमेरिकी मीडिया में भारत पाकिस्तान के बीच गतिरोध को व्यापक कवरेज मिला है.

न्यूयॉर्क टाइम्स के शीर्षक में कहा गया है ‘‘पाकिस्तान ने रोक का हवाला देते हुए भारत के साथ वार्ताएं रद्द कीं.’’ इसकी खबर में कहा गया है ‘‘पाकिस्तान की भारत में कश्मीरी अलगाववादियों से मिलने की योजना को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद के चलते यह निर्णय हुआ.’’ अखबार में आगे कहा गया है कि असहमति दोनों पक्षों पर भारी पडी क्योंकि दोनों ही वार्ता रद्द होने के लिए एक दूसरे पर दोषारोपण करने की स्थिति में हैं. भारत ने इस बात पर भी जोर दिया था कि वह चाहता है कि एजेंडा में सिर्फ आतंकवाद का विषय हो जबकि पाकिस्तान कश्मीर क्षेत्र को लेकर चल रहे विवाद पर चर्चा करना चाहता है जिस पर दोनों ही पक्ष दावा करते हैं.’’ वाल स्टरीट जर्नल में कहा गया है कि दोनों ही पक्षों ने वार्ता को बाधित करने के प्रयास के लिए एक दूसरे पर आरोप लगाया.

अखबार की खबर में कहा गया है ‘‘भारत ने कहा कि पाकिस्तान ने नई दिल्ली को वार्ता से हटने के लिए उकसाया। भारत ने सीमा पार से होने वाली गोलीबारी में आई तेजी और भारत में दो आतंकी हमलों का हवाला दिया जिसके बारे में उसका कहना है कि इनका संबंध पाकिस्तान में बसे आतंकी गुटों से है.’’ लॉस एंजिलिस टाइम्स के अनुसार, पाकिस्तान की प्रभावशाली सेना ने नवाज शरीफ को दरकिनार किए जाने का संकेत दिया जिससे नरेंद्र मोदी की सरकार में वार्ताओं को लेकर संशय हुआ.

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